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Menstruation Stigma: पीरियड्स से जुड़े पुराने नियमों में बदलाव क्यों जरूरी है?

पीरियड्स, जिसे मासिक धर्म भी कहते हैं, एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है। लेकिन इसे लेकर समाज में पुराने समय से कई रूढ़िवादी नियम और धारणाएं बनी हुई हैं। ये नियम न केवल महिलाओं के जीवन को प्रभावित करते हैं

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Priyanka upreti
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Why is it important to change the old rules related to periods: पीरियड्स, जिसे मासिक धर्म भी कहते हैं, एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है। लेकिन इसे लेकर समाज में पुराने समय से कई रूढ़िवादी नियम और धारणाएं बनी हुई हैं। ये नियम न केवल महिलाओं के जीवन को प्रभावित करते हैं, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इन पुराने नियमों में बदलाव बेहद जरूरी है, और इसके कई कारण हैं|

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पीरियड्स से जुड़े पुराने नियमों में बदलाव क्यों जरूरी है?

1. स्वास्थ्य और स्वच्छता को प्राथमिकता देना

पुराने समय में मासिक धर्म से जुड़ी स्वच्छता के साधन सीमित थे,  पुराने समय के लोग इसको अछूत मानते थे।जिससे कई नियम बने, जैसे रसोई में न जाना, बाहर काम न करना, मंदिर में ना जाना 3 या 4 दिन कपड़े धोना आदि। पहले औरतों के पास सेनेटरी नैपकिन नहीं होते थे वह कपड़े का इस्तेमाल करते थे। जिस से बीमारियां होती थी। लेकिन आजकल सेनेटरी नैपकिन, मेंस्ट्रुअल कप और हाइजीन प्रोडक्ट्सकी उपलब्धता ने स्वच्छता के स्तर को बढ़ाया है। इन आधुनिक विकल्पों को अपनाकर महिलाओं को इन रूढ़ियों से बाहर निकलने और सामान्य जीवन जीने की आजादी मिलनी चाहिए।

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2. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

पुराने नियम महिलाओं को हीन भावना और शर्मिंदगी महसूस कराते हैं। अशुद्ध" या "नापाक" कहलाना उनके आत्मसम्मान को चोट पहुंचाता है। महिलाओं को यह समझने की जरूरत है कि मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसमें शर्म या अपने आत्मासम्मान को चोट पहुंचाने की जरूरत नहीं है । यह कोई बुरी चीज़ नहीं है।

3. शिक्षा और जागरूकता का अभाव

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मासिक धर्म को लेकर बहुत से मिथक इसलिए हैं क्योंकि लोगों में जागरूकता की कमी है। स्कूल और समाज में इस विषय पर खुलकर चर्चा नहीं होती। इस पर बात करने से लोगों को शरमा या इसे बुरा विषय समझते हैं। शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से युवा पीढ़ी को यह सिखाया जाना चाहिए कि पीरियड्स से जुड़े पुराने नियमों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

4. समानता का अधिकार

मासिक धर्म के कारण महिलाओं को कई बार धार्मिक, सामाजिक, और कार्यक्षेत्र में भेदभाव का सामना करना पड़ता है मंदिरों में प्रवेश पर रोक, काम के दौरान छुट्टी लेने की मजबूरी, या सामाजिक कार्यक्रमों से दूर रहने जैसे नियम महिलाओं को पिछड़ा बनाते हैं। समानता का अधिकार हर महिला का हक है, जिसे इन रूढ़ियों को तोड़कर सुनिश्चित किया जा सकता है।

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5. महिलाओं की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना

पीरियड्स से जुड़े पुराने नियम अब समय के साथ अप्रासंगिक हो गए हैं। इन्हें बदलना महिलाओं के स्वास्थ्य, समानता और मानसिक शांति के लिए जरूरी है। पुराने नियम महिलाओंको अपने निर्णय लेने से रोकते हैं। ये नियम उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े फैसलों पर नियंत्रण रखते हैं। महिलाओं को अपने जीवन और शरीर से जुड़े फैसले लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।  शिक्षा, जागरूकता और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देकर हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहां मासिक धर्म को एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में स्वीकारा जाए।

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