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सेक्सुअल ट्रॉमा किसी व्यक्ति के जीवन में एक ऐसा समय होता है जो न केवल फिजिकली बल्कि मेंटली और इमोशनली भी बहुत गहराई तक असर करता है। इस प्रकार का ट्रॉमा व्यक्ति की सेल्फ-इमेज, रिश्तों और अपनी सेक्सुअल डिजायर के प्रति दृष्टिकोण को पूरी तरह बदल सकता है। ट्रॉमा के बाद दोबारा सेक्स की इच्छा को महसूस करना न सिर्फ एक कठिन प्रक्रिया होती है, बल्कि उसके साथ गिल्ट, डर और शर्म जैसी भावनाएँ भी जुड़ जाती हैं। लेकिन धीरे-धीरे और सही सपोर्ट के साथ, चाहत की भावना को दोबारा महसूस किया जा सकता है।
Know Your Desire: सेक्सुअल ट्रॉमा के बाद दोबारा चाहत महसूस करना
ट्रॉमा का प्रभाव और उसकी गहराई
सेक्सुअल ट्रॉमा सिर्फ एक घटना नहीं होती, यह एक अनुभव होता है जो शरीर और मन दोनों में गहरे स्तर पर असर डालता है। इससे व्यक्ति को अपने ही शरीर से अलगाव का अनुभव होता है। किसी भी स्पर्श या सेक्सुअल कनेक्शन को देखकर घबराहट, डर या बेचैनी महसूस हो सकती है। यह ट्रॉमा रिश्तों में विश्वास को भी तोड़ सकता है, जिससे व्यक्ति खुद को अलग-थलग महसूस करता है। ऐसे में सेक्सुअल डिजायर का खत्म हो जाना या उससे डरना पूरी तरह से स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है।
चाहत की भावना का खो जाना और मानसिक स्थिति पर असर
जब व्यक्ति ट्रॉमाटिक अनुभव से गुजरता है, तो उसका मस्तिष्क खुद को सुरक्षित रखने के लिए “फ्रीज़ मोड” में चला जाता है। इस अवस्था में भावनात्मक जुड़ाव, स्पर्श या सेक्सुअल डिजायर जैसी चीज़ें होना कम हो जाता है। शरीर खुद को एक सुरक्षात्मक खोल में बंद कर लेता है, जिससे यह प्रतीत होता है कि इच्छा कहीं खो गई है। लेकिन असल में वह भावना दबी होती है, मिटती नहीं है। इस बात को स्वीकारना हीलिंग की शुरुआत हो सकती है।
अपने शरीर से दोबारा जुड़ाव बनाना
अपने शरीर से फिर से जुड़ना ट्रॉमा से उबरने की एक अहम कड़ी है। इसका अर्थ है कि आप अपने शरीर को धीरे-धीरे फिर से एक सुरक्षित स्थान मानना शुरू करें। इसके लिए आप योग, ब्रीदिंग एक्सरसाइज़, ध्यान या फिजिकल थैरेपी का सहारा ले सकते हैं। कभी-कभी एक हॉट शावर लेना, गाने सुनना या अपने शरीर को बिना किसी अपेक्षा के महसूस करना भी शुरुआत हो सकती है। इस तरह के छोटे प्रयासों से व्यक्ति अपने शरीर की भाषा को फिर से सुनना और समझना शुरू करता है।
रिश्तों और सीमाओं की भूमिका
चाहे आप अकेले हों या किसी रिश्ते में, अपनी सीमाओं को पहचानना और उन्हें व्यक्त करना बहुत आवश्यक है। ट्रॉमा के बाद व्यक्ति को अक्सर ‘ना’ कहने में मुश्किल होती है, लेकिन यह जानना कि आपकी भावना और सहमति सबसे महत्वपूर्ण है, बहुत मजबूत बनाता है। एक ऐसा पार्टनर या वातावरण जहां आप बिना डर के अपने इमोशन शेयर कर सकें, हीलिंग को और सशक्त बना सकता है। धीरे-धीरे, अपने पार्टनर के साथ बातचीत और समझदारी से आप फिर से चाहत को जगह दे सकते हैं।
जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल सहायता लेना
सेक्सुअल ट्रॉमा के बाद सेक्सुअल डिजायर की वापसी एक कठिन काम हो सकता है, जिसमें प्रोफेशनल मदद लेना बहुत सहायक हो सकता है। ट्रॉमा-इनफॉर्म्ड थेरेपिस्ट, सेक्स थेरेपिस्ट या समैटिक एक्सपर्ट इस हीलिंग प्रक्रिया में मदद कर सकते हैं। EMDR (Eye Movement Desensitization and Reprocessing) जैसी थैरेपीज़, जिनका उद्देश्य ट्रॉमा से जुड़े मानसिक पैटर्न को रीप्रोग्राम करना होता है, इसमें खास मददगार हो सकती हैं। थेरेपी के ज़रिए आप सुरक्षित महसूस करना, अपनी भावनाओं को पहचानना और धीरे-धीरे दोबारा अपनी इच्छा से जुड़ना सीख सकते हैं।