How can educational institutes make kids aware of sexual health: बच्चों के लिए सेक्स एजुकेशन बहुत जरूरी है लेकिन उन्हें ऐसे बहुत कम मौके मिलते हैं जहां पर उन्हें सही जानकारी मिल पाए। बच्चों की शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक वेल्बीइंग के लिए सही सेक्सुअल हेल्थ के बारे में जानकारी देना बहुत जरूरी है। शैक्षिक संस्थान इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि बच्चे अपनी बुनियादी शिक्षा वहीं से प्राप्त करते हैं। अगर वहां पर बच्चों को सही जानकारी मिले तो इससे बढ़िया माहौल उन्हें कहीं नहीं मिल सकता है। चलिए जानते हैं कि कैसे शैक्षिक संस्थान शारीरिक हेल्थ की अवेयरनेस में भूमिका निभा सकते हैं?
शैक्षिक संस्थान कैसे बच्चों को Sexual Health के बारे में अवेयर कर सकते हैं?
बच्चों के करिकुलम में सेक्स एजुकेशन को शामिल करना
सबसे पहले बच्चों के करिकुलम में सेक्स एजुकेशन को शामिल करना बहुत जरूरी है। बच्चे की उम्र के हिसाब से उसे सेक्सुअल हेल्थ के बारे में जानकारी देनी चाहिए जैसे बॉडी एनाटॉमी, प्यूबर्टी, कंसेंट और हेल्दी रिलेशनशिप के बारे में उन्हें जरूर पता होना चाहिए। ऐसा भी देखा जाता है कि बच्चों के करिकुलम में शारीरिक हेल्थ के बारे में जानकारी दी जाती है लेकिन टीचर्स की तरफ से इतने एफर्ट्स नहीं किए जाते हैं जिसके कारण बच्चों में सेक्सुअल हेल्थ की अवेयरनेस की कमी रह जाती है। इसलिए इस पर जोर देना बहुत जरूरी है।
उम्र के अनुसार अवेयर करना चाहिए
सेक्सुअल हेल्थ के बारे में बहुत बड़ी मिथ यह भी है कि बच्चों को 18 साल की उम्र के बाद ही इसके बारे में अवेयर करना चाहिए। हर उम्र के बच्चों के लिए पढ़ाई में सेक्सुअल हेल्थ की जानकारी होती है और उन्हें अपनी उम्र के हिसाब से उसके बारे में पता होना चाहिए। आपको प्राइमरी स्कूल से ही बच्चों को बेसिक कॉन्सेप्ट्स के बारे में बता देना चाहिए और जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे आपको ज्यादा बारीकी से बताना शुरू कर देना चाहिए।
वर्कशॉप या फिर सेमिनार होने चाहिए
सेक्स एजुकेशन के ऊपर बच्चों के ऐसे सेशंस होने चाहिए जहां पर उनके साथ बात की जा सके और उनके कंसर्न्स को भी सुना जाए। बच्चों को अलग-अलग देशों के बारे में बताना चाहिए और उनके साथ इस बारे में डिस्कस नहीं करना चाहिए जैसे कंसेंट क्यों जरूरी है, कैसे बच्चे ऑनलाइन सेफ्टी रख सकते हैं या फिर बॉडी पॉजिटिविटी को कैसे बढ़ावा मिल सकता है। बच्चों को ऐसे इवेंट्स में पार्टिसिपेट करने के लिए जरूर प्रोत्साहित करना चाहिए।
बच्चों को खुला माहौल देना चाहिए
बच्चों के आसपास ऐसा माहौल पैदा करना चाहिए जहां पर उन्हें जज न किया जाए या फिर उन्हें शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े। बच्चों के मन में कोई डर नहीं होना चाहिए और उन्हें बिना किसी डर से अपने सवालों को पूछना चाहिए। ऐसे माहौल में बच्चे अपनी बातों को खुलकर आपके सामने रखेंगे और बहुत सारी गलत बातों से भी बच सकते हैं। जब बच्चे के पास कोई जानकारी नहीं होगी तब vehicle हर जानकारी को सही समझने लग जाएंगे तो इसलिए बेहतर है कि आप बच्चे को सही जानकारी दें और इसके लिए खुला और बिना जजमेंट वाला माहौल पैदा करें।
इंक्लूजिविटी और डाइवर्सिटी को बढ़ावा देना चाहिए
इंक्लूजिविटी और डाइवर्सिटी दो ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में बात करना बहुत जरूरी है। हमें अपने समाज में इन्हें जरूर शामिल करना चाहिए ताकि सभी तरीके के लोग खुलकर बात कर सके। हमें बच्चों के साथ हर व्यक्ति की जरूरत और अनुभव को साझा करना चाहिए ताकि एलजीबीटी स्टूडेंट को सुरक्षित माहौल मिल सके। इसके साथ ही हमारे आसपास ऐसे बहुत सारे लोग होते हैं जो विकलांग होते हैं तो ऐसे में हमें बच्चों को पता होना चाहिए कि कैसे वे उनकी जरूरत का भी ध्यान रख सकते हैं। इससे बच्चों का माइंडसेट भी खुला होगा।