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Matriarchy: भारत में चलते हुए 3 मातृसत्तात्मक समाजों के बारे में जानें

अधिकतर लोगो को मातृसत्ता के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं होती है और वह इसलिए की हमने मातृसत्ता से चलने वाले समाज और राज्य बहुत काम या ना के बराबर ही देखे हैं। आइये जाने मातृसत्ता होता क्या है। 

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Ayushi Jha
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(image source: Hotstar)

3 Matriarchal Societies of India That You Should Know: अधिकतर लोगो को मातृसत्ता के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं होती है और वह इसलिए की हमने मातृसत्ता से चलने वाले समाज और राज्य बहुत काम या ना के बराबर ही देखे हैं। आइये जाने मातृसत्ता होता क्या है। मातृसत्ता एक ऐसा सामाजिक व्यवस्था होता है जहाँ औरतें समाज के प्रधान होते हैं। वही वहां के मुख्य अधिकारी होते हैं जिनके नीचे बांकी का समाज काम करता है। सारे आर्थिक और सामाजिक निर्णय यहीं लेतीं हैं और इनके हाथ में राजनितिक और सियासी सत्ता होती है। ऐसे समाज में औरतों की इज़्ज़त और उन्हें बराबरी की इज़्ज़त मिलती हैं। ऐसे समाज दुनिया में बहुत ही काम होते हैं लेकिन आज के समय में भी भारत के कुछ राज्यों के समाज में मातृसत्ता चलती आ रही है। यह ज्यादातर जनजातीय या ट्राइबल या फिर स्वदेशी होते हैं अपने राज्यों के। आइये इस ब्लॉग में पढ़े भारत में चलते हुए 3 मातृसत्तात्मक समाज जिनके बारे में बहुत लोगो को जानकारी नहीं है। 

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भारत में चलते हुए 3 मातृसत्तात्मक समाजों के बारे में जानें

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1. मेघालय (खासी)

मेघालय के यह ट्राइब बहुत ही जाना पहचाना नाम पूरी दुनिया में होगया है इसके मातृसत्ता समाज के कारण। इनके समाज में घर की बड़ी बेटी घर की मुख्य सदस्य होती है और इस दौरान छोटी बेटी को घर की संपत्ति प्राप्त होती है। इन समाजों का शांति से चलते रहने का कारन यह है कि औरतों के डिप्लोमेटिक स्किल्स यानि की कूटनीतिक कौशल बहुत ही अच्छे होते हैं जिससे की उस सामाज में महिला और पुरुष शांति से एक साथ रह पाते हैं। 

2. गुजरात (गरासिया जनजाति)

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गुजरात के गरासिया जनजाति के लोगों में औरतों को मर्दो से ज़्यादा ऊंचा दर्जा प्राप्त होता है। उन्हें समाज में ज़्यादा सम्मान दिया जाता है और उनके विचार और राय को भी वैल्यू किया जाता है। उनके पास सारे निर्णय लेने के शक्ति होते हैं और उनके ही निर्णय को आखरी माना जाता है। इनके शादियों में लड़के का परिवार उठाते हैं शादी का खर्चा। 

3. तुलु नाडु 

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भारत के दक्षिण क्षेत्र में भी मातृसत्ता से चलने वाला समाज तुलु नाडु में हैं। इधर भी औरतों के ओपिनियन को इज़्ज़त और सम्मान मिलता है। उनके निर्णय को ही माना जाता है चाहे वो आर्थिक या सामाजिक हो। समाज में संसाधन को सही तरीके से बांटने और खर्चने का दायित्व भी इनका होता है। 

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