Is it only the responsibility of the daughter-in-law to take care of her in-laws? भारतीय परिवारों में बहु होना बिल्कुल भी आसान नहीं है। आपके ऊपर अपेक्षाओं का एक बोझ होगा जो परिवार के हर सदस्य की तरफ से की जाएगी। अगर आप उन अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते तब आपके लिए मुश्किल खड़ी हो जाती है। आज के इस ब्लॉग में हम बात करेंगे कि क्या सास-ससुर को संभालने की जिम्मेदारी सिर्फ बहू की है? चलिए इस पर बात करते हैं-
सास-ससुर का ध्यान रखने की जिम्मेदारी अकेली बहु की?
भारतीय कल्चर में जब दो लोगों की शादी होती है तब वह सिर्फ दो लोगों की नहीं होती, वो पूरे परिवार की शादी होती है। शादी को एक तैयार की तरह बहुत बड़े लेवल पर किया जाता है जिसमें सभी रिश्तेदारों शामिल होते हैं। उसके बाद महिला पर जिम्मेदारियों का बोझ भी उतना ही बढ़ जाता है। परिवार के सदस्य भी उनसे बहुत ज्यादा अपेक्षा करने लग जाते हैं। आज के मॉडर्न युग में तो महिलाएं घर संभालने के साथ-साथ जॉब भी करती है। इसके साथ ही शादी के कुछ सालों बाद बच्चे भी हो जाते हैं। उसके बाद सास-ससुर भी बूढ़े होने लग जाते हैं जिस कारण एक बहू से सुपरवुमेन बनने की आशा की जाती है जो सास-ससुर, पति और बच्चे सब की देखभाल करें।
हम महिलाओं को क्या समझते हैं?
इसके बाद उससे गलती भी नहीं होनी चाहिए और कोई भी काम छूटना नहीं चाहिए। सब काम समय पर होने चाहिए नहीं तो उसके ऊपर बुरी होने का लेबल लगने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। हम महिलाओं को क्या समझते हैं? क्या वह एक मशीन है? वही मर्द की जिम्मेदारियां अपने माता-पिता के प्रति इतनी नहीं होती जितनी बहू को निभानी पड़ती है। सास-ससुर की दवाई, खाना पीना और हाइजीन आदि सभी चीजों का ध्यान एक बहू को रखना पड़ता है। क्या आपने कभी किसी बेटे को यह सब करते हुए देखा है? नहीं, क्यों यह दोगलापन है? घर हो चाहे बाहर महिला को हर चीज का हिसाब रखना पड़ता है।
सास-ससुर को भी करना चाहिए बहू को सहयोग
जब घर में बहू इतनी सारी जिम्मेदारियां अदा कर रही है तो सास-ससुर को भी बहु के साथ सहयोग देना चाहिए। उसके साथ प्यार से पेश आना चाहिए। कभी-कभी बहु को भी लगता है उसे भी खास महसूस करवाया जाए। उसे भी कोई पैंपर करें। एक दिन उसे भी आराम करने को मिले। इससे बहु जितना करती है उससे दुगुना आपके लिए करेंगी।