Shared Parenting: पार्टनर्स में बराबरी कैसे पैरेंटिंग को बेहतर बनाती है

पैरेंटिंग अब सिर्फ माँ की ज़िम्मेदारी नहीं रह गई है, यह एक साझेदारी बन गई है। जानिए कैसे बराबर जिम्मेदारियाँ घर के माहौल को और भी शांत, सुरक्षित और पॉज़िटिव बनाती हैं।

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Deepika Aartthiya
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Photograph: (Pinterest via Mezzetta)

आज के समय में पैरेंटिंग सिर्फ माँ की ज़िम्मेदारी नहीं रह गई है, अब यह सच में एक साझेदारी है, जहाँ दोनों पार्टनर्स बराबर रोल निभाते हैं। Shared Parenting न सिर्फ बच्चे के विकास को बेहतर बनाती है, बल्कि रिश्ते में बैलेंस, ट्रस्ट और इमोशनल कनेक्शन भी बढ़ाती है। जब ज़िम्मेदारियाँ एक ही व्यक्ति पर नहीं डाली जाती हैं, तो घर का माहौल ज्यादा शांत, सुरक्षित और समझ से भरा होता है। यही समानता बच्चों को respect, टीमवर्क और empathy की वो सीख देती है जो उन्हें किसी किताब में नहीं मिल सकती।

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Shared Parenting: पार्टनर्स में बराबरी कैसे पैरेंटिंग को बेहतर बनाती है

1. Shared Parenting का मतलब 

शेयर्ड पेरेंटिंग का मतलब है घर के छोटे-बड़े काम में एक दूसरे का साथ देना, बच्चे की रूटीन को मिलकर संभालना और responsibilities को मिलकर तय करना। यह छोटा-सा बदलाव रिश्ते की क्वालिटी को पूरी तरह से बदल देता है। साथ ही रिश्ते में ज़्यादा harmony और understanding भी लेकर आता है।

2. बच्चे के इमोशनल डेवलपमेंट को मजबूत करती है

जब दोनों पैरेंट्स बच्चे के साथ समय बिताते हैं तो बच्चा खुद को ज़्यादा सेक्योर और loved फील करता है। फिर चाहे बच्चे के होमवर्क में मदद हो, उनके साथ खेलना हो, उनसे बातचीत करना हो या उनका bedtime रूटीन। उसे लगता है कि दोनों ही लोग उसकी ज़िंदगी में समान रूप से जुड़े हुए हैं। यह एहसास उसे ज्यादा कॉन्फ़िडेंट, इमोशनली स्टेबल और socially कम्फर्टेबल बनाता है।

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3. Household और पैरेंटिंग का डिवाइड होने से स्ट्रेस कम होता है

जब घर, नौकरी और बच्चे की सारी ज़िम्मेदारी एक ही पार्टनर पर आ जाती है, तो burnout होना तय है। लेकिन जब दोनों लोग बराबर contribute करते हैं, तो मेंटल लोड काफी कम हो जाता है। इससे वो दोनों पार्टनर्स और पैरेंट्स दोनों के रोल बखूबी निभा पाते है। 

4. बच्चे जेंडर equality को practically सीखते हैं

बच्चे बातों से नहीं, examples से सीखते हैं। जब वो देखते हैं कि माँ-बाप दोनों खाना बनाते हैं, diaper बदलते हैं, स्कूल drop-off करते हैं, तो उनके दिमाग में एक सिंपल लेसन बैठ जाता है कि कोई काम सिर्फ “मर्दों” या “औरतों” का नहीं होता। ये सीख आगे चलकर उनके relationships, decisions और ओवरऑल बिहेवियर को शेप करती है।

5. Bonding को गहरा बनाती है

जब ज़िम्मेदारियां shared होती हैं, तो दोनों पार्टनर्स एक टीम की तरह काम करते हैं। लेट नाइट ड्यूटीज़ से लेकर playtime तक, ऐसे छोटे-छोटे पल उनकी bonding को नेचुरली मजबूत करते हैं। इससे दोनों को अपने बच्चे से पर्सनल, individual कनेक्शन बनाने का बराबर मौका मिलता है। जो long-term इमोशनल बोंडिंग के लिए बेहद ज़रूरी है।

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6. पार्टनर्स की individuality को बरक़रार रखती है

जब सारी जिम्मेदारी सिर्फ एक पार्टनर पर डाल दी जाती है, तो उसका पर्सनल टाइम, करियर और इमोशनल स्पेस सब प्रभावित होता है। लेकिन shared parenting एक ऐसा बैलेंस बनाती है  जिसमें दोनों को अपने करियर पर ध्यान देने का समय मिलता है। दोनों अपनी हॉबीज़ और पर्सनल ग्रोथ को continue कर पाते हैं और दोनों का इमोशनल exhaustion कम होता है।

इससे रिश्ते में resentment कम होता है और दोनों पार्टनर्स एक healthier, happier version के रूप में बच्चे के साथ कनेक्ट कर पाते हैं। Individuality के साथ यही बैलेंस घर के environment को पूरी तरह से पॉज़िटिव और स्टेबल बनाता है।

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