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Photograph: (freepik)
जब बच्चों को समय से पहले ही अपने भाई-बहन को देखना और देखभाल चाहे वह भावनात्मक रूप से हो या संसाधनों की देखभाल रखना सौंप दिया जाता हैं, इससे बच्चे समय से पहले mature हो जाते हैं जिससे बच्चों में तनाव, भावनात्मक अलगाव और रिश्तों से नफरत जैसी चीजे भी पैदा हो जाती हैं। इस समय से पहले over-maturity का परिणाम होता हैं, कि वह उनके पर्सनैलिटी में भी दिखता हैं और वह उसी अनुसार सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों में भी दिखाते हैं, जो कई बार सही भी नहीं होता।
Parentified Childhood: भाई बहन की देखभाल कैसे बन जाती हैं उनके लिए बोझ ?
क्या हैं parentification और कितना हैं सही ?
parentification एक मनोवैज्ञानिक स्थिति हैं, जिसमें बच्चे समय से पहले अधिक जिम्मेदारियों में दब जाते हैं या माता-पिता की जिम्मेदारी का उन पर आ जाना जिससे उन्हें भाई-बहन के लिए भावनात्मक और संसाधन दोनों रूपों में उपलब्ध होना पड़ता हैं, जिससे वे समय से पहले ही matured हो जाते हैं या तनाव, भावनात्मक सहारा और अपने जीवन में आनंदित न रहना शामिल हैं।
Instrumental parentification: घर की जिम्मेदारी जैसे भाई-बहन को खाना बनाना और खिलाना, स्कूल ले जाना, घर के और काम और देखभाल करना।
Emotional parentification: माता-पिता के झगड़ों में बचाव करना, या उनकी अनुपस्थति और साथ ही careless parenting में उपलब्ध होना या भावनात्मक सहारा बनाना।
यह दोनों ही स्थिति बच्चों पर कम उम्र में ही अधिक दबाब और समझदार बनने का बोझ पैदा करती हैं, इससे बच्चों में कई मानसिक और शारीरिक बदलाव भी लाता हैं, जो समय के साथ उन्हें बहुत प्रभावित भी करते हैं।
भाई बहन की देखभाल कब बनती हैं बोझ ?
उम्र और समझ से पहले जिम्मेदारी देना
जब बच्चा उस वजन और देखभाल के लिए तैयार नहीं हैं, तो ऐसे में वह भावनात्मक रूप से खुद तैयार नहीं है और भाई बहन की जिम्मेदारी उसे तनाव दे सकती हैं।
माता-पिता की अनुपस्थति और लापरवाही
जबमाता-पिता बच्चों पर निर्भर हो जाते हैं, तो बड़े बच्चे को माता-पिता की भूमिका निभानी पड़ती हैं। कई बार यह स्थिति छोटे या मध्य किसी भी बच्चे पर हो सकती हैं क्योंकि जो थोड़ा समझदार होता हैं या उम्र से परिपक्व दिखता हैं पर वास्तव में हुआ नहीं होता, यह उस पर भावनात्मक और शारीरिक दोनों दबाब बनाता हैं।
भावनात्मक दबाब
जब बच्चा लापरवाह या अपनी मस्ती में रहता हैं, परिवार के सदस्य या बड़े उसे महसूस कराते हैं कि वह जिम्मेदार नहीं बना तो परिवार टूट जाएगा, यह उसे अपने मन से ही पर mature होने का दबाब बनाता हैं।
परिस्थितियों का अनुकूल न होना
कई बार परिवार की स्थिति अनुकूल न होने पर बच्चे समय से पहले बड़ों की भूमिका अदा करने लगते हैं, यह भी उन पर कई मानसिक दबाब डालता हैं।
क्या है इसके प्रभाव?
अपरिपक्वता या ओवरमैच्योरिटी
बच्चा जल्दी बड़ा तो हो जाता हैं पर सभी चीजों को समझने का पूरा विकास नहीं हुआ होता या emotional maturity नहीं आती यह उन्हें अंदर से अधूरा महसूस कराता हैं, कई बार बच्चा अंदर ही अंदर घुटता रहता हैं और भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाता हैं।
गिल्ट और एंग्ज़ायटी (guilt and anxiety)
अक्सर जिम्मेदारी के चलते बच्चे अगर कुछ भूल जाएं या अनदेखा हो जाएं और ऐसे में कोई दुर्घटना का होना या भाई-बहन को कुछ हो जाना उनमें गिल्ट और एंग्ज़ायटी पैदा करता हैं। इस सबके चलते बच्चे कई बार मेंटल डिसॉर्डर भी पैदा कर लेते हैं, या ट्रॉमा जो उन्हें भविष्य में परेशान करता हैं।
रिश्तों में दूरी
भाई-बहन (sibling) के साथ माता-पिता जैसा ख्याल रखने में बच्चे सचमें वैसा व्यवहार करने लगते हैं, और उनके मन में रिश्तों में दूरी या भाई बहन जैसा प्रेम नहीं रहता।
कई बार यह उनमें रिश्तों मे दूरी भी लाता हैं।
आत्मसम्मान में कमी
जब उन्हें सिर्फ जिम्मेदारी निभाने पर प्रेम मिले तो उन्हें लगता हैं कि उनका सम्मान जब तक होगा जब तक वह जिम्मेदारी निभाते रहेंगे यह उनमें आत्मसम्मान की कमी लाता हैं।