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घर पर पालतू जानवर रखने से स्ट्रेस कैसे खत्म होता है?

भारतीय समाज में अभी भी घर पर पालतू जानवर को रखना इतना कॉमन नहीं है लेकिन अगर आप घर पर एक पालतू जानवर को रखते हैं तो आपके घर का माहौल ही बदल जाएगा।

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Rajveer Kaur
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How Pets Helps To Deal With Stress: भारतीय समाज में अभी भी घर पर पालतू जानवर को रखना इतना कॉमन नहीं है लेकिन अगर आप घर पर एक पालतू जानवर को रखते हैं तो आपके घर का माहौल ही बदल जाएगा। आप खुद में भी बहुत सारे बदलाव देखेंगे। अगर आप उन लोगों से बात करेंगे जिन्होंने घर पर जानवर रखे हुए हैं तो आप जानेंगे कि जानवर का साथ कितना पवित्र है। वह आपके सच्चे दोस्त होते हैं जो आपको कभी भी छोड़कर नहीं जाते हैं। यह आपको प्यार देते हैं लेकिन बदले में कोई भी अपेक्षा नहीं रखते हैं। आईए जानते हैं कि कैसे घर में पालतू जानवर आपके स्ट्रेस को खत्म कर देते हैं-

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घर पर पालतू जानवर रखने से स्ट्रेस कैसे खत्म होता है?

आपका मूड बेहतर होता है

जब भी आप अपने पालतू जानवर की आंखों में देखते हैं तो जो मासूमियत दिखाई देती है और जो उनके दिल में हमारे लिए प्यार होता है, उससे वैसे ही हमारा मूड बेहतर हो जाता है। उनका हमें लिक करना, हग करना, कडलिंग या बार हमारे साथ खेलना ही हमारे स्ट्रेस को खत्म करने के लिए काफी है। जब वह हमारे आसपास होते हैं तब हमें कुछ भी याद नहीं रहता है। हम उनके साथ बच्चे बन जाते हैं ।

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निस्स्वार्थ प्यार

जानवरों का प्यार निस्वार्थ होता है। उनकी कोई भी शर्त या फिर स्वार्थ नहीं होता है। अगर वह हमसे प्यार करते हैं तो बदले में उन्हें हमसे कुछ भी चाहिए नहीं होता है। आप चाहे पेट डॉग के साथ अच्छे से बात भी ना करें या फिर उनके साथ समय भी कम ही बिताएं लेकिन उनके प्यार में आपको कोई भी फर्क देखने को नहीं मिलेगा। यही कारण है कि आपका स्ट्रेस खत्म हो जाता है क्योंकि जब पूरी दुनिया से आप निराश होते हो या फिर आपका दिन अच्छा नहीं गया है तब यह कभी भी आपका साथ नहीं छोड़ेंगे। 

फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ावा मिलता है

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पालतू के साथ आपकी फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ावा मिलता है। आप उन्हें बाहर घूमने के लिए लेकर जाते हैं और उनके साथ खेलते हैं तो इससे आपके हैप्पी हारमोंस रिलीज होते हैं जिसके कारण आपका मूड अच्छा हो जाता है। वहीं अगर आप पेट ओनर नहीं हैं तो आप अकेले ओवरथिंकिंग करते रहते हैं, खुद को आइसोलेट कर लेते हैं और ना ही नए लोगों से मिलते हैं क्योंकि पेट के साथ जब आप बाहर निकलते हैं तो आपको दूसरे पेट पेरेंट्स मिलते हैं। आप उनके साथ बातें करते हैं जिसके कारण आपको नए दोस्त मिलते हैं। 

अकेलापन महसूस नहीं होता

आजकल में सबसे बड़ी समस्या अकेलेपन की है। लोगों के पास बात करने के लिए कोई नहीं है। उनकी फॉलोइंग लिस्ट में ढेरों दोस्त होंगे लेकिन जब बात साथ और अफेक्शन की आती है या फिर एक साथ रहने की आती है तब हमारे पास कोई नहीं होता है। ऐसे समय में पालतू जानवर आपका इंतजार करते हैं, आपसे प्यार मांगते हैं और आपको अपने साथ रहने के लिए कहते हैं तब आपका स्वार्थ खत्म हो जाता है। आपको लगता है कि कोई तो है जो मेरी वैल्यू करता है, न कि मेरे काम या फिर प्रोफेशन की।

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जिम्मेदार बनते हैं

पेट पेरेंट् बनने से आपके पास जिम्मेदारियां आती हैं। आप उनके खाने-पीने, साफ-सफाई और घूमने तक का ध्यान रखते हैं। आप हर छोटी से बड़ी जरूरत को अपने बच्चों की तरह पूरा करते हैं। इससे भी आपका स्ट्रेस कम होता है क्योंकि आपको अपनी काबिलियत के बारे में पता चलता है। इससे आपका कॉन्फिडेंस बूस्ट होता है। आप खुद को कम नहीं समझते हैं। आपका सेल्फ स्टीम बढ़ता है। आपको लगता है कि आप किसी दूसरे की जिम्मेदारी उठा सकते हैं।

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