How To Start The Conversation About Periods At Home: बहुत सारे घरों में आज भी पीरियड के बारे में बात नहीं होती है। अगर कुछ घरों में होती है तो वे खुलकर पीरियड के बारे में नहीं बताते हैं। ऐसा कहा जाता है कि वो दिन चल रहे हैं या फिर डाउन महसूस हो रहा है लेकिन सही शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता। अगर हम पीरियड्स के से जुड़े स्टिग्मा और टैबू को कम करना चाहते हैं तो हमें इसके बारे में बात करनी होगी। अगर हम इसके बारे में खुलकर बातें करेंगे तो हमें इसके बारे में अवेयरनेस होगी और महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और आसान माहौल बनेगा। चलिए जानते हैं कि कैसे घर पर पीरियड्स के बारे में बात की जा सकती हैं?
घर पर Periods के बारे में कैसे बात करें?
इस बारे में बात करना क्यों जरूरी?
सबसे पहले आपको जानना होगा कि पीरियड के बारे में बात करना क्यों जरूरी है। अब पीरियड एक ऐसा टॉपिक है जिसे बिल्कुल भी नॉर्मलाइज नहीं किया गया है। महिलाओं को जब पीरियड आते हैं तब वे घर पर खुलकर बताती नहीं हैं। वह अपने आप को पर्दे में रखना शुरू कर देती हैं और दूसरों से अलग हो जाती हैं लेकिन ऐसा करने की जरूरत नहीं। इसके साथ ही महिलाओं को आसपास के लोगों से सपोर्ट भी नहीं मिलता है क्योंकि किसी को मालूम ही नहीं होता है कि पीरियड में एक महिला को कैसे सपोर्ट किया जाता है। अगर हम पीरियड के बारे में घर पर बात करेंगे तो उनके लिए ऐसा माहौल बनेगा जहां पर उनके लिए ऐसे दिन आसान हो जाएंगे।
कम उम्र से ही बात करना शुरू करें
पीरियड के बारे में घर पर बात करने के लिए आपको छोटी उम्र से ही इसके बारे में बात करनी होगी। आपको इसे छुपाने की जरूरत नहीं बल्कि सही एजुकेशन देने की जरूरत है। आप छोटी उम्र से ही अपनी बेटी को यह बता सकते हैं कि यह एक बायोलॉजिकल प्रोसेस है जिसमें से हर एक महिला को गुजरना पड़ता है। यह एक लाइफटाइम प्रोसेस नहीं है। एक अर्से बाद पीरियड आने बंद हो जाते हैं जिसे मेनोपॉज कहा जाता है। ऐसे में जब बच्ची को पहली बार पीरियड जाएंगे तो वह घबराएगी नहीं। उसे इससे जुड़े प्रोडक्ट्स की भी जानकारी होनी चाहिए ताकि वह उनका इस्तेमाल कर सके या फिर अगर आप उनके पास ना हो तो वह किसी से इन्हें मांग सके।
लड़कों को भी बताएं
ऐसे में लड़कों को भी इसके बारे में बताने की जरूरत है बहुत बार ऐसा होता है कि लड़के इस वजह से लड़कियों का मजाक बनाने लग जाते हैं जो उन्हें मेंटल प्रेशर दे सकता है। लड़कों को भी आप बताएं कि लड़कियों को एक उम्र के बाद पीरियड आने शुरू हो जाते हैं और कुछ सालों बाद बंद भी हो जाते हैं। ऐसे में उन्हें दर्द से गुजरना पड़ता है और उन्हें ब्लीडिंग होती है। इससे उन्हें पता चलेगा कि लड़कियों को कितनी प्रॉब्लम से गुजरना पड़ता है। ऐसे फिर वह उन दिनों में महिलाओं के साथ सॉफ्ट व्यवहार करने की कोशिश करेंगे और उनके मूड स्विंग्स को भी हैंडल कर पाएंगे।
बच्चों को कभी भी पीरियड के लिए शर्मिंदगी मत महसूस करवाएं बल्कि ऐसा माहौल बनाएं जहां पर बात करने में शर्म महसूस ना हो। पीरियड्स के दौरान भावनात्मक बदलाव भी बहुत सारे होते हैं। ऐसे में उसके बारे में भी जानकारी देना बहुत जरूरी है। एक महिला के लिए महीने में कुछ दिन ऐसे होते हैं जहां पर उसे दूसरों की सपोर्ट की जरूरत होती है लेकिन ऐसा बोल दिया जाता है कि तुम अकेली नहीं हो। इस कारण उनके दुख को रद्द ही कर दिया जाता है।