How Women Can Thrive And Grow: अक्सर यह बोला जाता है कि हमारे देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं या फिर समाज में अनकंफरटेबल महसूस करती हैं। इसके लिए हम सिस्टम को दोषी ठहरा देते हैं या फिर हम समाज को गालियां देते हैं लेकिन हम कभी अपने आप में सुधार लाने की कोशिश नहीं करते है। हम कभी यह नहीं सोचते कि कैसे हमारे छोटे-छोटे एक्शन महिलाओं के लिए राहत का काम कर सकते हैं या फिर उनके लिए एक कंफर्टेबल स्पेस तैयार कर सकते हैं। किसी भी बदलाव की शुरुआत हमें खुद से करनी चाहिए क्योंकि यह हमारे कंट्रोल में है। चलिए जानते हैं कि कैसे हम अपने आसपास की महिलाओं को सहज महसूस करवा सकते हैं?
कैसे हम अपने आसपास की महिलाओं को सुरक्षित महसूस करवा सकते हैं?
पुरुष भागीदारी करें
अगर हम महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाना चाहते हैं तो पुरुषों को इसमें भागीदारी करनी होगी। अगर पुरुष इस बात को समझते हैं कि हमारे एक्शंस से महिलाओं को चोट पहुंचती हैं या फिर उन्हें सुरक्षित महसूस होता है तो उन्हें अपने आप में बदलाव करने चाहिए। उन्हें इस बात को निश्चित करना चाहिए कि उनके आसपास की महिलाएं सुरक्षित महसूस करें। उनके मन में किसी भी तरीके का डर ना हो। ऐसा बोला जाता है कि सभी पुरुष गलत नहीं होते हैं लेकिन फिर भी हर बार जब किसी महिला के साथ कोई अपराध या फिर शोषण होता है तो ज्यादातर समय पुरुष ही होते हैं।
महिलाओं को दोषी मानना बंद करें
हमें महिलाओं में के साथ होने वाले अपराधों के लिए उन्हें दोषी ठहराना बंद करना होगा। इससे भी बहुत सारी महिलाएं खुलकर जिंदगी जी सकेंगी। बहुत सारी महिलाएं जीवन में इसलिए भी कुछ कर नहीं पाती क्योंकि उन्हें डर होता है कि अगर उनके साथ कुछ गलत हो गया तो दोषी उन्हें ही ठहराया जाएगा। इसके साथ ही अगर महिलाओं के साथ कुछ गलत हो भी रहा है तो तब उनके चुप रहने का यही कारण होता है कि उन्हें दोषी माना जाएगा। इसलिए हमें महिलाओं को दोषी न मानकर उन लोगों को जिम्मेदार मानना होगा जो सच में गलत कर रहे हैं।
Sexism पर रोक
महिलाओं के साथ Sexism बड़े कैजुअल तरीके से हो जाता है। हम महिलाओं के ऊपर कोई जोक सुना देते हैं या फिर उन्हें मजाक में ऐसी बात बोलते थे जिसका मतलब गहरा होता है, बाद में जस्टिफाई करने के लिए कह देते हैं कि हमने तो यह सब माहौल को लाइट करने के लिए बोला था। इसके ऊपर इतना सीरियस होने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन ऐसे छोटे-छोटे व्यवहार महिलाओं को अनकंफरटेबल कर देते हैं और उनकी इनसिक्योरिटीज को बढ़ावा दे देते हैं जिसके कारण उन्हें खुद में ही कमियां दिखाई देने लग जाती हैं।
पर्सनल स्पेस की कमी
महिलाओं के पास पर्सनल स्पेस ही नहीं होती है और अगर वे दूसरों के साथ बाउंड्रीज बनाने की कोशिश भी करती है तब भी उन्हें कोई फॉलो नहीं करता है। ऐसा समझ जाता है कि महिलाएं ज्यादा ओवर रिएक्ट कर रही हैं लेकिन उनका साथ कुछ गलत नहीं हुआ है। ऐसे व्यवहार के कारण महिलाएं को सुना नहीं जाता है। उनकी बातों को इग्नोर कर दिया जाता है। महिलाओं को उनकी चॉइस के लिए भी जज किया जाता है। लोग इस बात से महिला के चरित्र का अंदाजा लगाते हैं कि वह कैसे बात करती हैं या उसके कपड़े पहनने का तरीका कैसा है। इन सब बातों के कारण भी महिलाएं अनकंफरटेबल हो जाती हैं या फिर उन्हें सेल्फ डाउट रहने लग जाता है।