⁠ PCOD सिर्फ़ बीमारी नहीं, एक लड़ाई है अपने ही आप से

PCOD का पूरा नाम है, पोलीसिस्टिक ओवेरियन डिसीज़। इसमें औरतों की ओवरीज़ में बहुत सारे इममच्योर या पार्शियल मच्योर एग्स प्रोडूस होते हैं। ये एग्स सिस्ट्स में डेवेलोप हो जाते हैं जो ओवरीज़ में स्वेलिंग होती है और इनका साइज भी एनलार्ज होता है।

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Mandie Panesar
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PCOD Is Not Only Disease But A Fight With Yourself: PCOD का पूरा नाम है, पोलीसिस्टिक ओवेरियन डिसीज़। इसमें औरतों की ओवरीज़ में बहुत सारे इममच्योर या पार्शियल मच्योर एग्स प्रोडूस होते हैं। ये एग्स सिस्ट्स में डेवेलोप हो जाते हैं जो ओवरीज़ में स्वेलिंग होती है और इनका साइज भी एनलार्ज होता है। यह डिसीज़ औरतों की रिप्रोडक्शन की उम्र में होता है, जिसका एक मुख्य कारण हार्मोनल इम्बैलेंस होता है। यह कई बार इनफर्टिलिटी का कारण बनता है। 

⁠PCOD सिर्फ़ बीमारी नहीं, एक लड़ाई है अपने ही आप से

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स्ट्रेस, अनहैल्दी फ़ूड हैबिट्स और इनएक्टिव लाइफस्टाइल इसके कारणों में से हो सकते हैं। इस डिसीज़ से जूझने वाली औरतों की फिजिकल और मेन्टल सिचुएशन ऐसी होती है कि वे बीमारी से तो लड़ती हैं लेकिन अपने-आप से भी लड़ती हैं।

1. इर्रेगुलर, स्किप्ड और नो पीरियड्स

PCOD में महिलाओं के पीरियड्स मिस हो सकते या फिर 2, 3 या ज़्यादा महीनों के लिए स्किप भी हो सकते हैं। कई महिलाओं को साल-साल भर पीरियड्स नहीं होते। लेकिन पीरियड्स न होने की वजह से हार्मोनल इम्बैलेंस, एक्ने और कई तरह की हेल्थ प्रोब्लेम्स होती हैं। डिप्रेशन और मूड स्विंग्स भी काफी होते हैं, जिससे महिला को सोशली इंटरैक्ट करने में प्रॉब्लम हो सकती है। वे चाहते हुए भी छोटी-छोटी बातों को इग्नोर नहीं कर पाती और ओवर-सेंसिटिव हो जाती है, जिससे उनका स्ट्रेस लेवल और बिगड़ जाता है। 

2. अधिक हेयर फॉल

महिलाओं को PCOD की प्रॉब्लम होने से उनके बाल झड़ने शुरू हो जाते हैं। वे कोई भी शैम्पू, आयल या घरेलू नुस्खा अपना लें, कुछ भी नहीं बदलता। उनके हेयर ब्रश, पिलो, बेड और रूम, ऑफिस में हर जगह बाल दिखाई देते हैं। लड़कियों के लिए अच्छे घने और लम्बे बाल होना बहुत ख़ुशी की बात होती हैं तो वहीं अगर हेयरफॉल रुकने का नाम न ले तो वे काफी अपसेट हो जाती हैं और अपने-आप से नाखुश भी। 

3. फ़ूडक्रेविंग्स

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हम सब यह तो जानते ही हैं कि PCOD में डाइट कंट्रोल कितना ज़रूरी है लेकिन इन्सुलिन रेजिस्टेंस होने के कारण औरतों को फ़ूड क्रेविंग्स बढ़ जाती हैं, जिसमे वो चाहते हुए भी अपने-आप को उल्टा-सुलटा खाने से रोक नहीं पातीं। लोग बोलते हैं कि हिसाब से खाना चाहिए, कंट्रोल करना चाहिए, लेकिन हम अपनी सिचुएशन से, अपने-आप से लड़ नहीं पाते और बहुत बार खुद से ही थक जाते हैं। 

4. हिर्सुटिज़्म

हिर्सुटिज़म में औरतों के मेल होर्मोनेस बढ़ जाने के कारण फेस, गर्दन, चेस्ट, बैक और पेट के ऊपर बालों की ग्रोथ बढ़ जाती है, जिसके चलते औरतों को वैक्सिंग और थ्रेडिंग की ज़रूरत आम से ज़यादा होती है। यह सिचुएशन भी PCOD के वजह से होती है। फेस पर हेयर ग्रोथ होने से महिला का कॉन्फिडेंस लूज़ होता है और वे शेव करते-करते थक जाती हैं। दूसरी नार्मल महिलाओं को देख उनका मनोबल और हिल जाता है और वे हमेशा यही सोचती हैं कि हम नार्मल क्यों नहीं! 

5. ओबेसिटी

PCOD में तो जैसे पानी भी मोटापे का कारण बनता है! हम जो भी खाएंगे, उसी से ब्लोटिंग, गैस और बदहज़मी होगी। हॉर्मोनल इम्बैलेंस की वजह से हमारी बॉडी इन्सुलिन रेसिस्टेंट हो जाती है, जिससे पैंक्रियास ज़्यादा इन्सुलिन प्रोडूस करता है। इससे भूख बढ़ती है, फैट स्टोरेज ज़्यादा होती है और स्टोर्ड फैट का ब्रेकडाउन रुक जाता है, जिससे मोटापा बढ़ता है। हम चाहे कम से कम भी खाएं, वो भी फैट में तब्दील हो जाता है। 

6. इनफर्टिलिटी

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हर औरत माँ बनना चाहती है, जब कुछ सिस्ट उसकी ओवरी में प्रोडूस होते हैं तो ओवुलेशन एफेक्ट होती है। इससे पीरियड्स इर्रेगुलर या स्किप होते हैं, जिससे औरत को कंसीव करने में प्रॉब्लम्स होती हैं। इसकी वजह से कई बार इनफर्टिलिटी भी होती है। इसमें कई तरह की हार्मोनल थेरेपीस औरत को प्रेगनेंसी में मदद तो कर सकती हैं, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं कि PCOD क्योर हो पायेगा या नहीं। 

7. डायबिटीज, हाईब्लडप्रेशरऔरथाइरोइडकाखतरा

इन्सुलिन रेसिस्टेन्स, हार्मोनल इम्बैलेंस और वेट गेन की वजह से PCOD में महिलाओं को ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और थाइरोइड का खतरा बढ़ जाता है। इसमें हार्ट डिजीज होने का खतरा भी काफी होता है। 

हम सब अलग हैं और हमारी बॉडी की ज़रूरतें भी अलग हैं। अगर आप भी PCOD पीड़ित हैं तो अपने आप को कम न समझें, बल्कि जो फूड्स और लाइफस्टाइल आपको सूट करता है उसे फॉलो करें। ज़िंदगी में डिसिप्लिन को पहल दें और खुश एवं स्वस्थ रहें। 

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Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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