Signs Of Toxic Feminism : आपने टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी के बारे में अक्सर सुना होगा साथ ही इस कॉन्सेप्ट से भी वाकिफ होंगे। यह पुरुषों से अपेक्षित कुछ खास प्रकार के व्यवहार और दृष्टिकोण होते हैं जो कि उन्हें अपनी प्रधानता और शक्ति प्रदर्शन करने के लिए दबाव बनाते हैं। कई बार इससे हिंसक स्वभाव और स्त्री द्वेष भी बढ़ता है। जबकि दूसरी तरफ टॉक्सिक फेमिनिज्म तब माना जाता है जब कोई फीमेल समाज द्वारा बनाए गए स्टीरियोटाइप में खुद को ढालने का काम करें। अपनी प्रधानता दिखाना और दूसरों को मैनिपुलेट करना भी इसी के अंतर्गत आता है। साथ ही साथ इससे महिलाओं में पुरुष द्वेष भी उत्पन्न होता है। टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी और टॉक्सिक फेमिनिज्म दोनों ही समाज के लिए नुकसानदायक साबित होते हैं। आईए जानते हैं टॉक्सिक फेमिनिज्म की क्या-क्या निशानियां हो सकती हैं
जानिए टॉक्सिक फेमिनिज्म की निशानियां
1. दूसरी औरतों को जज करना
फेमिनिज्म का अर्थ यह होता है कि औरतों को अपने पसंद से जीने का हक हो। उन्हें अपनी जिंदगी के साथ क्या करना है और क्या नहीं करना यह उनकी अपनी चॉइस होनी चाहिए। इस पर यदि कोई औरत दूसरी औरत के चुनाव और जीवन शैली पर कमेंट करती है या किसी खास तरीके से जीने के लिए जबरदस्ती करती है, तो इसे भी टॉक्सिक फेमिनिज्म कहा जाता है।
2. जबरदस्ती रिलेशनशिप में आना
यदि किसी औरत को रिलेशनशिप में आने का मन नहीं है या अभी वह अपनी जिंदगी में ऐसा कुछ नहीं चाहती, पर जबरदस्ती किसी मेल पार्टनर को ढूंढना क्योंकि वह उन पर कुछ चीजों के लिए डिपेंड करती हैं। यह भी एक प्रकार का टॉक्सिक फेमिनिज्म है।
3. खुद को भूल जाना
यदि कोई औरत खुद को भूलकर दूसरों के लिए हमेशा सैक्रीफाइस करती है या समाज के बने हुए स्टीरियोटाइप में ढलने की कोशिश करती है तो इसे भी टॉक्सिक फेमिनिज्म का एक रूप माना जा सकता है। कभी भी किसी भी इंसान को अपनी ज़रूरतें, सेहत और फिलिंग्स के साथ कंप्रोमाइज करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। सामने वाले इंसान के साथ बात करें और चीज़ों का सही निष्कर्ष निकालें।
4. अकारण पुरुष द्वेष
हमेशा ही अकारण पुरुषों का मजाक उड़ाना, उन्हें नीचा दिखाकर अपनी प्रधानता साबित करना, या उन्हें मैनिपुलेट करना यह सब टॉक्सिक फेमिनिज्म की निशानियां हैं। फेमिनिज्म का असली मतलब हर जेंडर का सम्मान और चीज़ों में उनका बराबरी का हक होता है। ऐसे में किसी दूसरे जेंडर को नीचा दिखाने या बार-बार उनका अकारण ही मजाक बनाना बहुत ही गलत बात है।
5. आवाज ना उठाना
कभी-कभी बहुत ज्यादा सहना और गलत के खिलाफ आवाज ना उठाना भी टॉक्सिक फेमिनिज्म का हिस्सा हो सकता है। समाज के प्रचलित धारणाओं के अनुसार एक स्त्री को आज्ञाकारी होना चाहिए और ज्यादा बोलना नहीं चाहिए। ऐसे में यदि औरतें गलत चीजों को भी इनकी आड़ में आकर मान जाती हैं और जानबूझकर अपनी बातें सामने नहीं रखती हैं तो यह टॉक्सिक फेमिनिज्म कहलाता है।