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Feminism को हमेशा गलत क्यों समझा जाता है?

लोगों को फेमिनिज्म का नाम सुनते ही गुस्सा या इरिटेशन होने लगती है। इंटरनेट और मीडिया पर ऐसे लाखों सोर्सेस मौजूद होंगे जो फेमिनिज्म के बारे में बात करते हैं लेकिन बहुत कम लोग हैं जो इसका सही एक्सट्रैक्ट समझ पाते हैं।

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Rajveer Kaur
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Is Feminism Only For Women (Image Credit: Pinterest)

Is Feminism Only For Women: फेमिनिज्म का नाम सुनते ही लोगों को लगता है कि यह कॉन्सेप्ट सिर्फ औरतों की बात करता है, मर्दों को नीचा दिखाया जाएगा या फिर उनके हित की बात नहीं की जाएगी। इतने अवेयरनेस कैंपेन चलाने के बाद भी लोगों को फेमिनिज्म का मतलब समझ नहीं आ रहा तो फिर वे खुद समझना ही नहीं चाहते फेमिनिज्म क्या है। 

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Feminism को हमेशा गलत क्यों समझा जाता है

लोगों को फेमिनिज्म का नाम सुनते ही गुस्सा या इरिटेशन होने लगती है। इंटरनेट और मीडिया पर ऐसे लाखों सोर्सेस मौजूद होंगे जो फेमिनिज्म के बारे में बात करते हैं या उस सोच पर पहरा देते हैं लेकिन बहुत कम लोग हैं जो इसका सही एक्सट्रैक्ट समझ पाते हैं। आज हम कुछ ऐसी बातें बताएंगे जो लोग अक्सर की फेमिनिज्म के बारे में बोल देते हैं

फेमिनिज्म सिर्फ महिलाओं के लिए

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जी नहीं, फेमिनिज्म समानता की बात करता है।  यह कहीं भी नहीं लिखा कि फेमिनिज्म सिर्फ महिलाओं के लिए बात करता है। फेमिनिज्म में 'फ' शब्द होने के कारण हम उसे महिलाओं की तरफ ज्यादा जोड़ देते हैं। यह कॉन्सेप्ट इस सोच पर पहरा देता है कि महिला और मर्द बायोलॉजिकली असमान हो सकते हैं लेकिन जेंडर के नाम पर महिलाओं की काबिलियत पर शक करना गलत है। आज भी महिला काम मर्द के बराबर कर रही हैं लेकिन फिर भी उन्हें मर्दों से कम पे किया जाता है। अगर पुरुष और औरत का रोल बराबर है, दोनों के बिना गाड़ी नहीं चल सकती तो सिर्फ महिलाओं को ही क्यों अत्याचार सहन करने पड़ते हैं। इन बातों का जवाब फेमिनिज्म समाज से मांगता है। जिस कारण कुछ लोगों को फेमिनिज्म अच्छा नहीं लगता

फेमिनिज्म मर्दों के खिलाफ नहीं है

आज के समय में जो यह बात कहते हैं कि फेमिनिज्म मर्दों से नफरत करता है या उनके खिलाफ है, उन्हें यह बात समझने की जरूरत है। यह किसी के खिलाफ नहीं है। यह सिर्फ उन मुद्दों को उभारता है जो समानता का साथ नहीं देते। क्यों हम दोनों को साथ में लेकर क्यों नहीं चल सकते? आज भी क्यों हमारे समाज में मर्द प्रधानता है। औरत घर से बाहर निकलने से पहले 10 बार सोचती है। कोई भी बिना पूछे महिला की को हाथ लगाकर निकल जाता है। छेड़छाड़ को नॉर्मलाइज किया जाता है। जब यह सारे व्यवहार मर्दों की तरफ से ही किए जाते हैं तो ऐसे लगता है कि फेमिनिज्म मर्दों को ट्रिगर करता है।

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लेकिन यह इसके उल्ट मर्दों के साथ होने वाले अत्याचारों के भी ऊपर बात करता है जैसे टॉक्सिक मैस्क्युलिनिटी को ही मर्द होना क्यों समझा जाता है, उन्हें रोने क्यों नहीं दिया जाता, एक मर्द को कठोर क्यों बनना पड़ता है, घर का आर्थिक बोझ सिर्फ मर्दों पर ही क्यों होता है। इन सब बातों पर भी फेमिनिज्म बात करता है। वह अलग बात है कि यह बातें दिखती नहीं है। सिर्फ उन बातों को उछाला जाता है कि फेमिनिज्म तो मर्दों के खिलाफ है।

फेमिनिज्म औरतों को डोमिनेट नहीं बनाता 

इसके बारे में पहले भी की जा चुकी कि फेमिनिज्म सिर्फ इक्वलिटी पर काम करता है। ऐसा नहीं है कि फेमिनिज्म का जो लोग समर्थन करते हैं, सिर्फ यही चाहते हैं कि आज अगर मर्द प्रधान समाज है तो कल औरत प्रधान हो जाए और फिर औरत मर्दों के ऊपर राज करें। नहीं, यह कोई फिल्मी सीन नहीं है। यह समाज के हर उस तबके की बात करता है जिसकी सुनवाई नहीं है चाहे वह मर्द, औरत, ट्रांसजेंडर और एलजीबीटी हो। सभी को उनके हक मिलने चाहिए।

इसका मकसद यही है कि लोगों को सामान मौके मिलने चाहिए। इस छोटी सी बात को हमें समझने की जरूरत है तो फिर हमें भी लगने लगेगा कि हम भी फेमिनिस्ट है। आप इसे कहने में भी शर्म महसूस नहीं करेंगे। हम गर्व से कहेंगे हम फेमिनिज्म में विश्वास रखते हैं।

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