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Photograph: (Pinterest)
world Philosophy Day पर जानिए भारत की महिला दार्शनिकों के बारे में। जहां हर क्षेत्र में पितृसत्ता की भूमिका रहती आईं हैं, वहां महिला दार्शनिक जो चलती आई व्यवस्था को चुनौती दे बहुत कम दिखती हैं। लेकिन जो महिला दार्शनिक समय के साथ आई हैं, उनकी कही हुई बात बहुत प्रभावी हैं। साथ ही वह समाज के चलते आ रहे ढर्रे को चुनौती देती हैं। साथ ही पूरी व्यवस्था की नींव पर प्रश्न उठा देती हैं। वैदिक काल से लेकर वर्तमान तक महिला दार्शनिकों ने पितृसत्ता के साथ साथ, समाज को नया मार्ग भी दिया हैं।
World Philosophy Day: भारत की महिला दार्शनिक जिन्होंने दी समाज को चुनौती
वैदिक काल की दार्शनिक महिलाएं
गार्गी वाचकन्वि : वैदिक काल की सबसे प्रतिभाशाली दार्शनिक हैं। बृहदारण्यक उपनिषद में याज्ञवल्क्य से आत्मा और ब्रह्म पर गहन प्रश्न पूछते हुए इनका चित्रण किया गया हैं।
मैत्रेयी : वैदिक समय की दूसरी सबसे महान चिंतक हैं। इन्होंने धन, अमरत्व पर प्रश्न उठाकर यह बताया कि सच्चा ज्ञान ही अमरत्व देता हैं। साथ ही यह सीता माता की गुरु भी कहीं जाती हैं।
लोपा मुद्रा : एक दार्शनिक कवयित्री जो ऋग्वेद की ऋषिका कही जाती हैं।इन्होंने मानव इच्छाओं और आध्यात्मिकता पर काव्य रचा हैं।
मदालसा: अपने बच्चों को लोरी के माध्यम से आत्मज्ञान और वैराग्य का पाठ पढ़ाने वाली पहली और प्रतिभाशाली दार्शनिक महिला हैं।
भक्ति काल और मध्यकालीन चिंतन
अक्का महादेवी : 12वीं शताब्दी की कवयित्री और संत, जिन्होंने शिवभक्ति के साथ साथ स्त्री स्वतंत्रता पर गहन विचार व्यक्त किए।
खना : लोकज्ञान और दार्शनिक सूक्तियों के लिए प्रसिद्ध, जिनमें जीवन और समाज के व्यावहारिक पक्ष झलकते हैं।
मीरा बाई : कृष्णभक्ति में डूबी हुई महान कवयित्री और दार्शनिक हैं। इन्होंने पितृसत्ता को चुनौती दी साथ ही समाज को नई भक्ति धारा दी। रैदास की शिष्या होकर पिछड़ी सोच को भी चुनौती देता इनका जीवन रहा हैं।
आधुनिक और समकालीन दार्शनिकाएं
गायत्री चक्रवर्ती स्पिवाक: वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध उत्तर-औपनिवेशिक को चिंतन की अग्रणी महिला दार्शनिक हैं। जिन्होंने , " Can the Subaltern Speak?" जैसी रचनाएं विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। इन्होंने औपनिवेशिकवाद को आलोचना से प्रस्तुत किया हैं।
मीना धंदा :दलित नारीवाद और सामाजिक न्याय पर काम करने वाली दार्शनिक हैं।
नीरा के. बधवार : इन्होंने जीवन में जीवन नैतिक दर्शन और सुख पर शोध किया हैं। इन्होंने दर्शन को केवल शास्त्र से हटकर, जीवन जीने की कला बनाया हैं
दिव्या द्विवेदी : उपनिवेशवाद-विरोधी और राजनीतिक दर्शन की समकालीन आवाज हैं। आधुनिक चिंतन में इन्होंने नारीवाद, सामाजिक न्याय और आत्म निर्भरता को जोड़ा हैं।
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