Women: औरत को जीवन में मर्दों के Approval की ज़रूरत क्यों पड़ती है?

आज भी भारतीय घरों में पित्तरसत्ता बिल्कुल अपनी चर्म सीमा पर है।महिलाएं बाहर जाकर काम कर रही है पैसा कमा रही है। वे इतनी सशक्त है कि अपनी ज़रूरतें पूरी कर सकें लेकिन उन जरूरत को पूरा करने के लिए उन्हें इजाजत चाहिए घर के मर्द की

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Rajveer Kaur
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women (Healthcare Radius)

women (Image Credit: Healthcare Radius)

Why Women Need Approval Of Men: इस टॉपिक के बारे में हम बहुत बार बात कर चुके हैं कि महिलाओं का जीवन आज के समय में बहुत कठिन हो गया है। उन्हें घर भी संभालना पड़ता है और ऑफिस भी लेकिन इस बीच एक और महत्वपूर्ण चीज है कि औरतें से ये अपेक्षा तो की जाती हैं कि घर का काम भी करें और बाहर का काम भी इसके साथ उनसे यह भी अपेक्षा की जाती है कि महिलाएं सब काम अपनी मर्जी से ना करें उन्हें इसके लिए अपने पति या फिर घर के किसी मर्द की इजाजत लेनी चाहिए सवाल यह है कि क्यों आखिर आत्मनिर्भर और आर्थिक आजाद होने के बाद भी महिलाओं को मर्दों की इजाजत लेनी पड़ती है?

Women: औरत को जीवन में मर्दों के Approval की ज़रूरत क्यों पड़ती है?

भारतीय घरों में आज भी पित्तरसत्ता का निवास

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आज भी भारतीय घरों में पित्तरसत्ता बिल्कुल अपनी चर्म सीमा पर है।महिलाएं बाहर जाकर काम कर रही है पैसा कमा रही है। वे इतनी सशक्त है कि अपनी ज़रूरतें पूरी कर सकें लेकिन उन जरूरत को पूरा करने के लिए उन्हें इजाजत चाहिए घर के मर्द की वो कोई भी हो सकता है।ऐसी रूढ़िवादी सोच आज भी हमारे दिमाग में है अगर महिला कुछ भी करना चाहिए बिजनेस, चीज खरीदना चाहती है अपनी मर्जी के कपड़े पहनाना चाहती है उसे समाज अच्छी नजर से नहीं देखा ऐसी औरत को कहा जाता है कि यह औरत तो हाथ से निकल गई है इसको काबू में करने की जरूरत है।

मर्दों के लिए अलग रवैया

महिलाओं और  पुरुषों के लिए समाज हमेशा से ही अलग रहा है इसमें कोई भी झूठ नहीं है। जैसे अगर समाज में कोई मर्द घर पर बैठकर कुछ भी करता, नशे करता है, औरत को मारता पीटता है लेकिन घर महिला की आय पर चलता है। फिर भी समाज का नजरिया औरत के प्रति ही गलत होगा मर्द फिर भी सही होगा लेकिन जब बात औरत के अधिकारों की आती है तब समाज गूंगा और बहरा हो जाता है।

महिलाओं को जरूरत है अपनी आवाज उठाने की 

जैसे पुरुष अपनी जिंदगी जीने के लिए किसी का अप्रूवल या परमिशन नहीं लेते हैं ऐसे ही महिलाओं को भी जरूरत नहीं है। इसमें म्युचुअल कंसेंट और अंडरस्टैंडिंग होना जरूरी है लेकिन परमिशन नहीं।  महिलाओं आवाज उठाएं और अपने अधिकारों के लिए लड़े और अगर उन्हें कोई कंट्रोल या फिर उनके ऊपर कोई पावर रख रहा है उन्हें उसे चीज को सहने की जरूरत नहीं है। महिला को कभी भी कहीं पर भी असुरक्षित और और असहज महसूस होता है उसे तभी वहां से निकलने की जरूरत है और उसके विरुद्ध आवाज उठाने की जरूरत है।