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Financial Autonomy पाना महिला के लिए बहुत जरूरी हैं। जब महिला घर के सदस्यों या पार्टनर पर पैसों के लिए निर्भर होती हैं तो उसकी फाइनेंशियल फ्रीडम ही नहीं उसकी हर तरह की फ्रीडम खतरे में आ जाती हैं। महिला को अधिकतर घरों में उनके खर्चों और न कमाने के लिए कोसा जाता हैं। जब महिला खुद नहीं कमाती तो यह उसके स्वाभिमान को चोट पहुंचाता हैं। इन सब कारणों से तनाव और गिल्ट जैसा भाव आता हैं। एक महिला के लिए अपनी आवश्यकताओं के लिए फाइनेंस होना बहुत ही जरूरी हैं। फाइनेंशियल नॉलेज और ऑटोनोमी समाज की उस धारणा को भी चुनौती देती हैं जिसमें "महिला को बाहर का काम और पैसा कमाना नहीं आता हैं" साथ ही दूसरे तरह के stereotype जो कहते हैं महिला सिर्फ घर का काम कर सकती हैं। आइए, जानते हैं कि महिला कैसे फाइनेंशियल ऑटोनोमी से streotype को चुनौती दे।
Her Money Her Choice: Financial Autonomy के जरिए कैसे महिलाएं Stereotypes को तोड़े?
1. फाइनेंस एजुकेशन से शुरुआत
महिला सबसे पहले बैंकिंग और म्यूचुअल फंड जैसे इन्वेस्टमेंट और सेविंग के तरीकों को समझे। उसके बाद ऑनलाइन बैंकिंग कैसे होती हैं, कैसे पैसे डिपॉजिट और सेव किए जाते हैं यह समझना भी बहुत जरूरी हैं। साथ ही अपना खाता अगर नहीं खुला हैं तो पास की शाखा में जाकर अपना खाता खोलना बहुत जरूरी हैं। धीरे धीरे LIC और तरह तरह की योजनाओं को समझे जो भविष्य की सुरक्षा के लिए जरूर सीखे।
2. अपनी आय की शुरुआत करें
महिला का खुद के खर्चे और आर्थिक स्वायत्तता और financial freedom के लिए कमाना बहुत जरूरी हैं। यदि महिला इतनी नहीं पढ़ी कि वह बड़ी जॉब कर सके तो स्किल से शुरुआत करें। self -employmentके तरीकों में जैसे सिलाई, बनाई और कड़ाई से भी पैसे कमाएं जा सकते हैं। साथ ही अगर 12th पास हैं तो ट्यूशन क्लासेज और प्राइमरी के बच्चों को पढ़ाने से शुरुआत करें।
3. आर्थिक बेड़ियों को चुनौती
महिला को घर से बाहर काम की स्वतंत्रता नहीं देते हैं तो उन्हें चुनौती दें। साथ ही यदि महिला पढ़ी लिखी हैं बस बाहर काम की आजादी नहीं हैं तो उन बेड़ियों को तोड़ना बहुत जरूरी हैं। धीरे धीरे अपने फैसले खुद लेने लगे और अपने खर्चों के लिए खुद के आय के स्रोत बनाने लगे जिससे आपको बाहर जाना भी पड़ें तो अपने दम और आत्मविश्वास के साथ जा पाएं।
4. उत्तराधिकार और संपत्ति का अधिकार का प्रयोग
अक्सर पिता अपने पुत्रों को संपत्ति का हिस्सा देता हैं। पुत्री को शादी के बाद घर का हिस्सा नहीं माना जाता हैं। इन सभी बातों को नकारना होगा। सबसे पहले आप भी उस संपत्ति की उत्तराधिकारी हैं और इस बात को अपने माता पिता को समझाए। और जब आपको उस हिस्से का सम्मान नहीं दिया जा रहा हैं तो आवाज उठाएं और कानूनी तौर पर क्लेम करें।
5. अपने निर्णय लेना शुरू करें
महिला छोटे बड़े निर्णय परिवार के हवाले कर देती हैं। ऐसे में उन्हें नेत्तृत्व और चुनौती स्वीकार करने का भाव कम हो जाता हैं। अपने निर्णय खुद लेना शुरू करें। अपनी आय को कैसे खर्च करना है, कैसे उसे सेविंग और इंवेस्टमेंट में लगाना हैं खुद तय करें। जब आप अपने निर्णय खुद लेती हैं तो आप स्वतंत्रता की और बढ़ने लगती हैं।
6. भावनात्मक सशक्तिकरण
जब आप खुद कमाती हैं, अपनी आवश्यकता पूरी करने की क्षमता रखती हैं, तो आप मजबूत बनती हैं। जब एक महिला आत्मनिर्भर बनती हैं तो वो सभी महिलाओं को भी मजबूत कर सकती हैं। आर्थिक स्वायत्तता सिर्फ आर्थिक मजबूती नहीं मन और भावना दोनों की मजबूती देती हैं।
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