Examples Of Burdens And Expectations Faced By Indian Daughters: भारत देश में बेटी होना बिल्कुल भी आसान नहीं है। सबसे पहले तो बेटी के जन्म होने पर ही लोग ज्यादा खुश नहीं होते हैं। ऐसे बहुत सारे लोग माता-पिता के पास आएंगे और उनके साथ बैठकर अफसोस करेंगे कि आपके यहां तो बेटी हो गई है, कोई नहीं अगली बार बेटा हो जाएगा। भगवान ने इस बार आपकी सुनी नहीं है। यह सब ट्रामा मां को ज्यादा सहन करना पड़ता है। चलिए जानते हैं, एक बेटी होने पर किन बातों का बोझ एक महिला के ऊपर पड़ता है-
एक बेटी के रूप में जन्म लेने पर कितने बोझ डाल दिए जाते हैं?
घर की इज्जत का बोझ
महिलाओं के ऊपर सबसे बड़ा बोझ घर की इज्जत का होता है। उन्हें बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि तुम्हें ध्यान रखना है। तुम्हें कोई ऐसा काम नहीं करना है जिससे हमारी इज्जत कम हो। महिलाएं हमेशा ही इस बात के कारण बहुत ज्यादा स्ट्रेसड रहती हैं। वह अपनी जिंदगी खुलकर जी नहीं पाती हैं। अब घर की इज्जत बहुत छोटे-छोटे कामों के ऊपर डिपेंड होती है जैसे अगर महिला ने अपनी पसंद के कपड़े पहने तो घर की इज्जत को खतरा हो जाता है। महिला ने किसी लड़के से बात कर ली तब भी इज्जत के ऊपर सवाल उठने लग जाते है। ऐसे में महिलाएं अपने मन का कुछ कर ही नहीं पाती हैं-
शादी करनी ही पड़ेगी
महिलाओं के लिए शादी की चॉइस नहीं होती है। हमारे समाज में यह समझा जाता है कि एक महिला को शादी करनी ही पड़ेगी। जब तक उसकी शादी नहीं हुई है, उसने अपनी लाइफ में जो कुछ भी अचीव किया है वो शून्य समझा जाता है। शादी के बाद बच्चों का प्रेशर भी महिलाओं के ऊपर ही बनाया जाता है। यह प्रेशर बहुत ज्यादा होता है। महिलाएं कई बार सिर्फ इस प्रेशर में आकर ही बच्चे की प्लानिंग के लिए हां बोल देती हैं। यह जरूरी नहीं है कि एक महिला होने के कारण आपको शादी या बच्चे करने ही हैं लेकिन समाज में ऐसा ही समझा जाता है।
लड़के पैदा करने का बोझ
बहुत सारी महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा इसलिए भी होती है क्योंकि उनकी कोख से बेटी ने जन्म लिया है। महिलाओं के ऊपर लड़का पैदा करने का बोझ भी बहुत ज्यादा डाला जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह कैसी औरत है, इसकी कोख से एक लड़के ने जन्म नहीं लिया है। कई बार तो लोग सिर्फ इसलिए भी डाइवोर्स दे देते हैं या फिर दूसरी शादी कर लेते हैं क्योंकि उन्हें अपनी पहली पत्नी से लड़का नहीं प्राप्त हुआ है।
अवास्तविक सौंदर्य मानक
महिलाओं के ऊपर अवास्तविक सौंदर्य मानक को फॉलो करने का बोझ होता है। हमारे समाज में कुछ स्टैंडर्ड बनाए गए हैं, अगर महिलाएं उनके ऊपर खरा नहीं उतरती हैं तो उन्हें सुंदर नहीं माना जाता है। इसके कारण महिलाएं अपने ऊपर कठोर हो जाती हैं और तरह-तरह के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं। खुद को सुंदर दिखाने के लिए अलग-अलग तरीके ट्राई करती हैं। उन्हें लगता है कि मैं सुंदर नहीं हूं और सिर्फ गोरे या फिर पतले लोग ही सुंदर होते हैं। इसका प्रेशर भी महिलाओं के ऊपर बहुत ज्यादा होता है।
दूसरों का ध्यान रखना
महिलाओं को हमेशा ही कोमलता भरी नजरों से देखा जाता है। एक औरत होने के कारण उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि आप सबसे प्यार से पेश आए और दूसरों का ध्यान रखें। अगर आप बीमार भी है तब भी घर के काम करें। अगर कोई महिला ऐसी नहीं होती है तो सवाल उठाया जाता है कि यह कैसी औरत है या औरत के नाम पर धब्बा है। हम सब इस चीज को जनरलाइज कर लेते हैं। केयरगिविंग नेचर किसी का भी हो सकता है। यह है कोई जरूरी नहीं है कि सिर्फ महिलाएं ही केयर गिविंग होती है।