Periods Don't Stop During War: जंग सिर्फ जंग के मैदान में ही नहीं होती। इसके साथ लाखों लोगों को भुगतना पड़ता है। लोगों के घर चले जाते हैं। छोटे-छोटे बच्चों को अपनी आंखों के सामने जाते हुए जाना देखना पड़ता है। एक जगह से दूसरी जगह लोग विस्थापित हो जाते हैं। खाने और पानी की इतनी कमी हो जाती है कि कई बार एक समय का खाना भी नहीं जुड़ पाता। ऐसे ही कुछ हालात इसराइल-हमास जंग में बने हुए हैं।
Periods In War: कैसे जंग के माहौल में खुद को संभालती हैं महिलाएं
एक महिला अपने जीवन में बहुत सारे शारीरिक और मानसिक उतार-चढ़ाव से गुजरती है क्योंकि उसे बहुत सारी हेल्थ संबंधित इश्यूज का सामना करना पड़ता है जैसे पीरियड्स, प्रेगनेंसी और मेनोपॉज। इसके साथ ही ब्लीडिंग भी हर महिला में अलग-अलग होती है. कई बार इतनी ज्यादा होती है कि एक दिन में 4 से 5 बार पैड को बदलने की जरूरत पड़ती है। यह हम नार्मल दिनों की बात कर रहे हैं जब हम अपनी जिंदगी अच्छे से व्यतीत कर रहे हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि जब जंग की स्थिति के दौरान कैसे महिलाएं पीरियड्स को मैनेज करती है।
ऐसे ही फिलिस्तीन महिलाओं और लड़कियों के लिए पीरियड्स एक चिंता का मुद्दा है। महिला हेल्थ एक्सपर्ट, हजर दरविश के अनुसार, पीरियड प्रोडक्ट्स जल्द ही गाजा में नहीं पहुंचे तो लोग खराब हाइजीन के कारण होने वाले इन्फेक्शन से मर जाएंगे।
पीरियड्स एक चिंता का मुद्दा
पीरियड में इस्तेमाल होने वाले हाइजीन प्रोडक्ट्स की कमी के कारण महिलाएं उसके सब्सीट्यूट ढूंढ रही हैं जैसे कपड़े के टुकड़े का उपयोग करना जिससे इन्फेक्शन पैदा होने का खतरा है और कुछ महिलाएं पीरियड्स को पोस्टपोन करने के लिए पिल्स का भी इस्तेमाल कर रही हैं।
अल जजीरा के अनुसार विस्थापन, भीड़भाड़ वाली रहने की स्थिति, पानी और मेंस्ट्रूअल हाइजीन प्रोडक्ट जैसे सेनेटरी नैपकिन और टैम्पोन की कमी के कारण महिलाएं नॉरएथिस्टरोन पिल्स ले रही हैं जो आमतौर पर ज्यादा ब्लीडिंग, एंडोमेट्रियोसिस और पेनफुल पीरियड्स के दौरान प्रिसक्राइब्ड की जाती है। इन गोलियों के बहुत सारे साइड इफेक्ट भी हैं जैसे अनियमित वेजाइनल ब्लीडिंग, मतली, साइकिल में बदलाव, चक्कर आना और मूड स्विंग्स आदि।
कुछ महिलाओं ने अपने अनुभव शेयर किए हैं, चलिए जानते हैं
AFP से बात करते ये महिलाएं बताती हैं
25 वर्षीय हला अताया बताती हैं, "मैं अपने बच्चे के कपड़े या कपड़े का कोई भी टुकड़ा जो मुझे मिलता है, काट देती हूं और उन्हें अपने पीरियड्स के दौरान सैनिटरी तौलिये की तरह उपयोग करती हूं, मैं मुश्किल से हर दो हफ्ते में स्नान करती हूँ। मक्खियों से भरे शौचालय में बदबू से जी मचल रहा है।"
18 वर्षीय अमर शल्हौब, जो गाजा शहर से विस्थापित हो गई उनका कहना हैं कि "हम स्टोन ऐज में वापस चले गए हैं। वहां कोई सुरक्षा नहीं है, कोई भोजन नहीं, कोई पानी नहीं, कोई स्वच्छता नहीं। मैं शर्मिंदा हूं, मैं अपमानित महसूस करती हूं।"
Al Jazeera से बात करते ये महिलाएं बताती हैं
41 साल की सलमा गाजा शहर स्थित अपना घर छोड़कर भाग गई। सलमा कहती हैं, ''मैं इस युद्ध के दौरान अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों का अनुभव कर रही हूं।'' इस महीने अब तक मुझे दो बार पीरियड्स आएं - जो बहुत अनियमित है - और भारी ब्लीडिंग हुई।"
15 साल की समीरा अल-सादी कहना हैं कि मेरी 15 साल की बेटी है जिसे कुछ महीने पहले अब पहली बार पीरियड आए हैं। उसे सैनिटरी पैड्स और साफ पानी की जरूरत थी लेकिन यह बेसिक सुविधा भी उपलब्ध नहीं थी।
पीरियड्स एक नेचुरल प्रक्रिया है। इसमें कोई शर्म वाली बात भी नहीं है। हर महिला को महीने में एक बार पीरियड्स का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर लोग कह देते हैं कि पीरियड्स में इतना मुद्दा बनाने वाली क्या बात है, हर महिला इस दर्द से गुजरती है। महिलाओं को इन दिनों में खास ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं है। इसका मतलब है कि अभी उन्हें पीरियड की जानकरी नहीं है। हर महिला का पीरियड का अनुभव अलग होता है और इस दौरान होने वाले मानसिक और शारीरिक बदलाव भी अलग-अलग होते हैं। कई बार यह दर्द असहनीय होता है।