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जानिये कैसे लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके एबॉर्शन को टाला जा सकता है

महिलाओं पर गर्भपात का शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रभाव पड़ता है जैसे दर्द, ब्लीडिंग और अन्य दिमागी समस्याएं आदि। लेकिन सही जीवनशैली महिलाओं को गर्भपात से बचने में मदद भी कर सकती हैं।

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Kavya Gupta
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Pregnancy Complications(FREEPIK)

(Image Source: freepik)

Ways To Reduce The Risk Of Miscarriage: महिलाओं पर गर्भपात का शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रभाव पड़ता है जैसे दर्द, ब्लीडिंग और अन्य दिमागी समस्याएं आदि। लेकिन सही जीवनशैली महिलाओं को गर्भपात से बचने में मदद भी कर सकती हैं। इसमें डॉक्टर्स की सलाह मानना और  प्रेगनेंसी में खुद का कैसे ध्यान रखना जैसे बातों का ज्ञान होना काफी मददगार साबित हो सकता है। सही जानकारी महिलाओं में गर्भपात टाल सकती है। 

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जानिये कैसे लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके एबॉर्शन को टाला जा सकता है

1. समय समय पर चेकअप

अबॉर्शन के जोखिम को कम करने के लिए समय-समय पर जांच करवाना महत्वपूर्ण हो सकता है। रेगुलर चेकअप्स आपकी सेहत को कण्ट्रोल कर सकती है और समय रहते गर्भाशय स्वास्थ्य समस्याओं को पहचानने में हेल्प कर सकती है।

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2. सही आहार

सही आहार और पोषण गर्भावस्था के दौरान मां और शिशु दोनों के लिए महत्वपूर्ण होता है, जो गर्भाशय की सेहत को सही बनाने में मदद कर सकता है और  गर्भधारण के जोखिम को कम करता है।

3. सही एक्सरसाइज

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डॉक्टर द्वारा बताई गई एक्सरसाइज करना भी अबॉर्शन के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। शारीरिक एक्टिविटीज गर्भाधारण के खतरों को कम कर सकती है और मां के स्वास्थ्य को सुधार सकती है। लेकिन यह आपके स्वास्थ्य स्थिति और डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है, इसलिए हमेशा डॉक्टर की सलाह के अनुसार करें।

4. कॉफी से बचे 

कैफीन की अधिक मात्रा गर्भावस्था के दौरान मुश्किलें बढ़ा सकती है और ऐसा माना जाता है कि यह अबॉर्शन के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसलिए, कॉफी के सेवन की मात्रा को नियंत्रित रखना सही हो सकता है। 

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5. शराब या सिगरेट न पिए

शराब, सिगरेट और अन्य धूम्रपान की चीज़ों का पूरी तरह से बंद करना बेहतर हो सकता है। धूम्रपान गर्भावस्था के दौरान संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ा सकता है और इससे अबॉर्शन के प्रभाव को भी प्रभावित किया जा सकता है।

6. स्ट्रेस मैनेजमेंट सीखे

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स्ट्रेस गर्भावस्था के दौरान संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता है और इससे अबॉर्शन के प्रभाव को भी प्रभावित किया जा सकता है। ध्यान, योग, प्राणायाम, और संतुलित व्यायाम जैसी तकनीकें स्ट्रेस को कम करने में मदद कर सकती हैं। इसके अलावा, अपने मन को शांति और सकारात्मकता की दिशा में ध्यान केंद्रित करना भी मादक हो सकता है।

7. कोई पुरानी बीमारियो पर नजर रखे

गर्भावस्था के दौरान पुरानी बीमारियों के प्रभाव और उनका उपचार महत्वपूर्ण होता है। यदि किसी महिला को पुरानी बीमारी  जैसे थाइरोइड या डायबिटीज  आदि है, तो उसे डॉक्टर की सलाह और नियमित जांच की आवश्यकता होती है, ताकि कोई भी संभावित समस्या समय रहते पहचानी जा सके और उपचार किया जा सके। इससे अबॉर्शन के जोखिम को कम किया जा सकता है।

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Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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