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Reacting Vs. Responding: कैसे करें रिएक्टिंग की जगह रेस्पॉन्डिंग की शुरुआत?

हम में से ऐसे बहुत सारे लोग होंगे जो किसी भी सिचुएशन और बात पर रिस्पांस करने की बजाय रिएक्ट करते हैं। अब आप लोग कहेंगे कि रिस्पांस और रिएक्ट तो एक दूसरे के वैकल्पिक है लेकिन यहां पर आप एक बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं।

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Rajveer Kaur
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Reacting Vs. Respond

Reacting Vs Responding: हम में से ऐसे बहुत सारे लोग होंगे जो किसी भी सिचुएशन और बात पर रिस्पांस करने की बजाय रिएक्ट करते हैं। अब आप लोग कहेंगे कि रिस्पांस और रिएक्ट तो एक दूसरे के अल्टरनेटिव्स है। इनमें तो कुछ अलग होता ही नहीं है। दोनों शब्दों का प्रयोग एक ही एक्ट को दर्शाने के लिए किया जाता है लेकिन यहां पर आप एक बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं। आज हम जानेंगे कि रिस्पांस और रिएक्ट करने का मतलब क्या है और रिएक्ट करने की बजाय रिस्पांस कैसे किया जा सकता है?

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Reacting Vs. Responding: कैसे करें रिएक्टिंग की जगह रेस्पॉन्डिंग की शुरुआत?

सबसे पहले हम रिएक्ट की बात करते हैं। ज्यादातर स्थितियों में उत्तर की जगह हम रिएक्ट ही करते हैं।  इसका मतलब होता है जब हम एकदम से किसी बात का उत्तर देते हैं बगैर यह जाने कि इसका प्रभाव सकारात्मक होगा या नकारात्मक। ऐसे में हमारा खुद के ऊपर कंट्रोल बहुत कम होता है। यह बहुत ही तुरंत और भावनात्मक रिप्लाई होता है। यह दूसरे की भावनाओं को आहत भी कर सकता है।

दूसरी तरफ अगर हम रेस्पॉन्डिंग की बात करें तो यह एक सोच समझ कर दिया गया उत्तर है। इसमें हम उत्तर देने में बिल्कुल भी जल्दी नहीं करते हैं। उत्तर देने से पहले हम कुछ देर सोचते हैं और स्थिति को समझते हैं। इन सब के बाद हम उसका जवाब देते हैं। इस स्थिति में हमारा खुद के ऊपर कंट्रोल होता है। आप पहले ऐसे भावों को समझते हैं जो किसी के लिए असहज और अच्छे नहीं होते हैं। उनमें से आप माइंडफुल तरीके से भावनाओं को चुनकर जवाब देते हैं।

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Reacting Vs. Responding: कैसे करें रिएक्टिंग की जगह रेस्पॉन्डिंग की शुरुआत?

Active Listening

सुनना एक कला है। इसके लिए आपके अंदर दूसरों को जानने की इच्छा होनी चाहिए। इसके साथ ही दूसरे व्यक्ति को ऐसा नहीं लगना चाहिए कि आप उन्हें दिल से नहीं सुन रहे हैं। कई बार जब हम किसी की बात को ध्यान से नहीं सुनते हैं और तुरंत ही उनकी बात पर जवाब दे देते हैं तो वह रिएक्ट होता है। इसके उल्ट अगर आप किसी भी व्यक्ति को रेस्पॉन्ड करना चाहते हैं, उसके लिए आपका एक्टिव लिस्नर होना बहुत जरूरी है। 

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Pause

किसी की बात का रेस्पॉन्ड करने के लिए हमें उनकी बात को सुनकर एक विराम लेना पड़ेगा। इसकी जरूरत हमें इसलिए है ताकि हम उनकी बात को समझ सकें। जब हम तुरंत किसी बात का उत्तर देते हैं उसमें हमें यह मालूम नहीं होता कि सामने वाले पर उसका क्या  प्रभाव पड़ेगा जब हम थोड़ी देर रुककर माइंडफुली अपने विचारों की चयन करते हैं और उसके हिसाब से उत्तर देते हैं। वह रेस्पॉन्डिंग कहलाता है।

Anger Management

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गुस्सा भी हमारे तुरंत रिप्लाई का कारण बनता है। जब हमें कई बार किसी की बात पसंद नहीं आती है और हम तुरंत ही उसका जवाब देने लग जाते हैं। मान लीजिए आपके पास बच्चा बैठा है, उसने आपकी कोई कीमती चीज को तोड़ दिया। अब आप उस बात पर रिएक्ट करने की तरफ भागेंगे जैसे तुमने मेरा नुकसान कर दिया, यह किसका बच्चा है। आप अपना गुस्सा उसे पर निकाल देंगे जो एक रिएक्ट होगा लेकिन अगर आप पॉज लेकर अपने गुस्से को शांत करके उसे बच्चों को यह समझाएंगे और उनके मां-बाप से आराम से बात करेंगे। यह बात का रेस्पॉन्ड होगा। इसके लिए आपको अपने गुस्से पर कंट्रोल करना होगा नहीं तो आप लगभग हर स्थिति में रिएक्शन की तरफ दौड़ेंगे।

Mindefulness

माइंडफूलनेस बहुत जरूरी है। आजकल के समय में हमारा कंसंट्रेशन और फॉक्स कम हो गया है। हमें एक बार में बात समझ नहीं आती है। कई बार हम अधूरी बात पर ही अपना निर्णय बना लेते हैं जो की गलत है। माइंडफूलनेस में जिस स्थिति में हम हैं उसे ध्यान से ऑब्जर्व करते हैं। अगर हम किसी बात के ऊपर रेस्पॉन्ड करना चाहते हैं तब हमें माइंडफुल होना बहुत जरूरी है। इससे आप कभी भी अधूरी बात पर अपना निर्णय नहीं बनाएंगे। 

Mindefulness Pause Reacting Vs. Responding
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