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कई महिलाओं के लिए 40 की उम्र एक बड़ा मोड़ लेकर आती है। सिर्फ़ एनर्जी या हार्मोन ही नहीं, बल्कि पाचन (डाइजेशन) भी बदलने लगता है। अचानक कब्ज़, पेट फूलना और अनियमित मल त्याग जैसी दिक्कतें सामने आने लगती हैं। यह सिर्फ़ “गलत खाना खाने” की वजह से नहीं होता, बल्कि इसके पीछे शरीर की असली बायोलॉजी काम करती है।
40+ महिलाओं में डाइजेशन क्यों बिगड़ता है? जानिए Menopause का असर
जब पेरिमेनोपॉज़ में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन घटने-बढ़ने लगते हैं तो यह सीधे आंत और पाचन पर असर डालते हैं। एस्ट्रोजन आमतौर पर मल त्याग को नियमित रखने में मदद करता है, जबकि प्रोजेस्टेरोन आंत की मांसपेशियों को रिलैक्स करता है। जब दोनों हार्मोन असंतुलित होते हैं, तो डाइजेशन धीमा हो सकता है, कब्ज़ हो सकती है या कई बार दस्त और पेट फूलने की समस्या भी हो सकती है।
बदलाव के पीछे का साइंस
आंत और हार्मोन का रिश्ता ज़्यादातर महिलाओं को पता ही नहीं होता। एस्ट्रोजन हमारी आंत में मौजूद माइक्रोबायोम (लाखों अच्छे बैक्टीरिया) से जुड़ा होता है, जो पाचन, इम्युनिटी और मूड तक को कंट्रोल करता है। जब एस्ट्रोजन घटता है, तो इन “अच्छे” बैक्टीरिया की संख्या भी घट सकती है। इसका असर पेट की सेहत पर दिखने लगता है- कब्ज़, गैस, सूजन या कुछ खाने की चीज़ों से तकलीफ़। इसके अलावा उम्र बढ़ने के साथ आंत की मांसपेशियां भी कमजोर हो जाती हैं, जिससे पाचन और भी धीमा हो जाता है।
रोज़मर्रा की दिक्कतें
कई महिलाएं बताती हैं कि जो पहले बिल्कुल नॉर्मल थीं, अचानक उन्हें कब्ज़ की गंभीर समस्या होने लगी। कोई-कोई कई दिन तक राहत नहीं पाती। प्रोफेशनल महिलाएं थकान और सुस्ती महसूस करती हैं, जबकि घर पर रहने वाली महिलाएं दिनभर असहजता झेलती हैं। कुछ को लगता है कि पहले जिन चीज़ों से कोई दिक्कत नहीं होती थी जैसे दूध, तले हुए स्नैक्स या ज़्यादा दाल, वह अब पचती ही नहीं। सोशल गैदरिंग में पेट फूलना कई बार शर्मिंदगी का कारण भी बन जाता है। ये छोटी-छोटी बातें नहीं हैं, बल्कि ये दिखाती हैं कि मेनोपॉज़ पेट की सेहत पर कितना असर डालता है।
न्यूट्रिशन और सप्लीमेंट्स क्यों ज़रूरी हैं
40 के बाद पाचन की इन दिक्कतों से निपटने के लिए सिर्फ़ फटाफट उपाय काफी नहीं हैं। ज़्यादा फाइबर वाला खाना, पर्याप्त पानी और हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़ बहुत ज़रूरी है। लेकिन इस उम्र में अक्सर महिलाओं को आंत की सेहत के लिए अतिरिक्त सहारा भी चाहिए।
प्लांट-बेस्ड प्रोटीन सप्लीमेंट्स इसमें मदद कर सकते हैं। ये न सिर्फ़ मांसपेशियों के लिए अच्छे होते हैं बल्कि इन्हें पचाना भी आसान होता है। इनमें फाइबर, प्रोबायोटिक्स और एडेप्टोजेन्स होते हैं जो आंत के बैक्टीरिया को मजबूत बनाते हैं। स्मूथ और आसानी से पचने वाला फॉर्मेट पाचन को हल्का रखता है और शरीर को ताकत भी देता है।
गाइट्री का 40+ महिलाओं के लिए समाधान
गाइट्री इसी ज़रूरत को ध्यान में रखकर खास प्रोडक्ट्स लाया है। इसके प्लांट-बेस्ड मेनोपॉज़ प्रोटीन ब्लेंड्स महिलाओं के लिए बनाए गए हैं, जो पचने में हल्के हैं और पेट फूलने की समस्या कम करते हैं। व्हे या नॉन-वे प्रोटीन पाउडर की तुलना में ये आंत के लिए ज़्यादा सौम्य हैं।
इसके साथ ही गाइट्री के Forty Plus Capsules हार्मोन बैलेंस और ओवरऑल सेहत के लिए माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और हर्बल सपोर्ट देते हैं। जो महिलाएं कब्ज़, सुस्ती या पाचन की अनियमितता से जूझ रही हैं, उनके लिए यह रोज़ाना का आसान और असरदार सहारा है।