Motherhood and Self-Care: माँ बनना- खुद को भुलाकर बच्चों के लिए जीना या अपनी देखभाल को भी उतना ही जरूरी समझना?

माँ बनना एक अनमोल अनुभव है, जिसमें एक महिला अपना बहुत सारा समय और ध्यान बच्चे की परवरिश में लगाती है। माँ बनने के साथ अपनी खुद की देखभाल करना भी उतना ही जरूरी होता है?

author-image
Tamnna Vats
New Update
MOTHERHOOD

Photograph: (Freepik)

Becoming a mother- is it about forgetting yourself to live for your children, or understanding that taking care of yourself is just as important?: माँ बनना एक अनमोल अनुभव है, जिसमें एक महिला अपना बहुत सारा समय और ध्यान बच्चे की परवरिश में लगाती है। यह सफर भावनात्मक और शारीरिक रूप से काफी मुश्किल हो सकता है। अक्सर महिलाएं बच्चों के लिए अपनी जरूरतें और इच्छाएं भूल जाती हैं। क्या माँ बनना यह मतलब रखता है कि वो खुद को पूरी तरह भूल जाए? या फिर माँ बनने के साथ अपनी खुद की देखभाल करना भी उतना ही जरूरी होता है?

Advertisment

Motherhood and Self-Care: माँ बनना- खुद को भुलाकर बच्चों के लिए जीना या अपनी देखभाल को भी उतना ही जरूरी समझना?

जिम्मेदारि और चुनौतियाँ

माँ बनने के बाद एक महिला की ज़िंदगी में कई बदलाव आते हैं। बच्चे की देखभाल, खाना, नींद और सेहत की ज़िम्मेदारी माँ पर होती है। साथ ही, बच्चे की भावनात्मक ज़रूरतों का ख्याल रखना भी ज़रूरी होता है। इन सब कामों में माँ अक्सर अपनी देखभाल भूल जाती है। लेकिन यह समझना जरूरी है कि जैसे बच्चे की परवरिश अहम है, वैसे ही माँ का स्वस्थ और खुश रहना भी जरूरी है।

Advertisment

आत्म-देखभाल

एक स्वस्थ और खुश माँ ही अपने बच्चे को सही देखभाल और प्यार दे सकती है। अगर माँ अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखेगी, तो इसका असर ना सिर्फ उस पर, बल्कि बच्चे पर भी पड़ सकता है। आत्म-देखभाल का मतलब ये नहीं कि माँ अपनी ज़िम्मेदारियों से भागे, बल्कि इसका मतलब है कि वह खुद के लिए भी थोड़ा समय निकाले – चाहे वह थोड़ा आराम हो, अच्छा खाना हो या अपने पसंदीदा काम करने का मौका।

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की महत्वत्ता 

Advertisment

माँ बनने के बाद शारीरिक और मानसिक थकान महसूस करना एक सामान्य अनुभव है। हर महिला का शरीर अलग होता है, और बच्चे की देखभाल के दौरान उस पर काफी दबाव पड़ता है। ऐसे में हल्की एक्सरसाइज, योग और ध्यान जैसी गतिविधियाँ न सिर्फ शरीर को राहत देती हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी सुकून पहुंचाती हैं। मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है, क्योंकि माँ को अक्सर चिंता, तनाव और थकान का सामना करना पड़ता है। ऐसे में खुद के लिए थोड़ा समय निकालना और अपनी मानसिक स्थिति पर ध्यान देना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना बच्चे की देखभाल करना।

सामाजिक दबाव

समाज में यह आम धारणा है कि एक आदर्श माँ वही होती है जो पूरी तरह अपने बच्चों के लिए समर्पित हो जाए और अपनी इच्छाओं को भूल जाए। लेकिन यह सोच सही नहीं है। माँ होना यह कतई नहीं मतलब कि एक महिला अपनी पहचान, इच्छाएं और खुशियाँ त्याग दे। हर माँ को अपने बच्चों के साथ-साथ अपने लिए भी जीने का अधिकार है। अगर माँ स्वयं खुश और मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है, तो वह अपने बच्चों को भी पूरी तरह से खुश और संतुलित जीवन नहीं दे सकती।

motherhood mother important understanding