The Unspoken Truth About Motherhood: मां बनने का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं होता है। ऐसे में आपको बहुत सारे बदलावों से गुजरना पड़ता है जिसके बारे में कोई भी बात नहीं करता। जब बात मां बनने के संघर्षों की आती हैं तो सब लोग इसे बहुत ही नॉर्मलाइज कर देते हैं। मां के संघर्ष कभी भी बातचीत का हिस्सा नहीं बनते हैं। उन्हें बहुत ही साधारण रूप दे दिया जाता है जैसे उनके साथ कुछ हुआ ही नहीं होता है। मां बनना हर महिला के लिए खास एहसास होता है। सभी के संघर्ष अलग होते हैं लेकिन हम सब को एक ही तराजू में तोल देते हैं। चलिए आज बात करते हैं कि एक मां को किन-किन संघर्षों से गुजरना पड़ता है?
मां बनने के संघर्ष जिनके बारे में कोई बात नहीं करता
शारीरिक सेहत
मां बनना बिल्कुल भी आसान नहीं है। इसके कारण आपकी शारीरिक सेहत के ऊपर असर पड़ता है। बहुत सारी महिलाओं का वजन बच्चा होने के बाद बढ़ जाता है। इसके साथ ही पोस्टपार्टम रिकवरी कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनो तक या फिर सालों तक भी चल सकती है। हर महिला का शरीर अलग होता है तो इस कारण भी रिकवरी में समय लग सकता है। इसके साथ ही नींद पूरी तरह नहीं मिलती है और पूरा समय थकावट रहती है।
खुद के लिए समय नहीं मिलता
मां बनने के बाद आपकी जिंदगी बहुत ज्यादा हेक्टिक हो जाती है। आपकी जिम्मेदारियांबहुत बढ़ जाती है जिस कारण खुद के लिए समय नहीं मिलता है। आप बच्चे की देखभाल में ही दिन गुजार देते हैं। बच्चे के सोने और उठने का कोई फिक्स्ड टाइम नहीं होता है और धीरे-धीरे आप इसके ऊपर काम करते हैं। बच्चे को भूख लगने पर आपको उठना पड़ता है क्योंकि शुरुआती महीनों में बच्चा पूरी तरह ब्रेस्टफीडिंग के ऊपर पूरा निर्भर होता है।
सामाजिक अपेक्षाएं
मां बनने के बाद आपके ऊपर सामाजिक अपेक्षाएं बहुत बढ़ जाती हैं। समाज की अपेक्षा होती है कि महिला ही बच्चे को संभाले। इसके साथ ही मां की मेंटल हेल्थ के बारे में कोई बात नहीं करता है। हमेशा मां से ही अपेक्षा की जाती है कि वह खुद को कंप्रोमाइज करें या फिर स्ट्रगल करती रहे। मां को सोने का पूरा समय नहीं मिलता है। उसे सब कुछ समझने में बहुत समय लगता है लेकिन समाज की तरफ से उसे वह भी समय नहीं मिलता है।
करियर प्रभावित होता है
मां बनने के बाद करियर भी बहुत प्रभावित होता है लेकिन इसके बारे में ज्यादा बातचीत नहीं की जाती है। महिलाओं को अक्सर ही बच्चा होने के बाद करियर छोड़ने को कहा जाता है लेकिन एक पिता से कभी भी यह अपेक्षा नहीं की जाती। इसके साथ ही जो महिलाएं, बच्चा होने के बाद भी काम करना नहीं छोड़ती तो भी उन्हें जज भी किया जाता है। इस स्टेटमेंट के कारण महिलाओं को बहुत ज्यादा मेंटल प्रेशर भी झेलना पड़ता है।
अंत में, मां के ऊपर सामाजिक अपेक्षाएं बहुत बढ़ जाती हैं। एक मां से बहुत ज्यादा कंप्रोमाइज की उम्मीद की जाती है जिसके कारण महिलाओं का मेंटल स्ट्रेस बहुत बढ़ जाता है। इसके कारण बदलाव भी बहुत होते हैं। बहुत सारी महिलाएं, बच्चा होने के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन से भी गुजरती हैं। लेकिन इन चीजों के बारे में कोई बात नहीं करता है बल्कि यह कहा जाता है कि आप अकेले नहीं हैं जिसके कारण उनके स्ट्रगल्स को बहुत नॉर्मलाइज कर दिया जाता है और इसके बारे में कोई बात ही नहीं करता है।