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Photograph: (Pinterest & SheFinds)
हाल ही में कर्नाटक सरकार ने महिलाओं की सेफ्टी और हेल्थ की ओर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। कर्नाटक सरकार ने राज्य की सभी वर्किंग महिलाओं के लिए साल में 12 दिन की पेड ‘Paid Menstrual Leave’ को मंजूरी दे दी है। अच्छी बात ये है कि ये पॉलिसी गवर्नमेंट और प्राइवेट दोनों सेक्टर्स में लागू होगी। इस फैसले का उद्देश्य महिलाओं को पीरियड्स के दौरान आराम और मानसिक राहत देना है, ताकि वे बेझिझक अपनी सेहत का ध्यान रख सकें। साथ ही इससे उनके प्रोफेशनल करियर में भी कोई बाधा न आए।
Karnataka Menstrual Leave Policy: वर्किंग महिलाओं को मिलेगी साल में 12 दिन की पेड छुट्टी
क्या है Karnataka की नई Menstrual Leave Policy?
इस नई पॉलिसी के तहत महिलाएं हर महीने एक दिन की छुट्टी ले सकेंगी, जो साल भर में 12 दिन तक होगी। ये छुट्टी सैलरी के साथ दी जाएगी। पीरियड पॉलिसी का फायदा राज्य के सरकारी दफ्तरों, निजी कंपनियों, स्कूल-कॉलेजों और अन्य कार्यस्थलों में काम करने वाली सभी महिलाओं को मिलेगा। सरकार का मानना है कि महिलाओं को पीरियड्स के दौरान आराम और सम्मान देना, कार्यस्थल को ज्यादा समावेशी (inclusive) और संवेदनशील बनाएगा।
Our Government stands committed to dignity and wellbeing at work.
— CM of Karnataka (@CMofKarnataka) October 9, 2025
Through the Menstrual Leave Policy 2025, women employees across Karnataka will now receive one paid leave day every month - a step towards a more humane, understanding, and inclusive workplace.#MenstrualLeave… pic.twitter.com/d8sh3hJtTX
क्यों ज़रूरी था ये फैसला?
पीरियड्स के दौरान दर्द, थकान और असहजता कई महिलाओं के लिए बड़ी चुनौती बनती है। अक्सर महिलाएं काम पर जाते हुए इन दिक्कतों को नज़रअंदाज़ कर देती हैं, जिससे उनके physical और mental health पर असर पड़ता है। ऐसे में कर्नाटक सरकार का ये कदम सराहनीय है। इसे महिलाओं के हेल्थ और वर्क-लाइफ बैलेंस को सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
बहस और अलग-अलग राय
हालांकि, इस पॉलिसी को लेकर कुछ लोगों के अलग opinion भी सामने आए हैं। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस तरह की छुट्टी से महिलाओं के प्रति कार्यस्थलों पर ‘सॉफ्ट सेक्सिज़्म’ (soft sexism) या unequal treatment जैसी भावनाओं को बढ़ा सकता है यानी महिलाओं को कम सक्षम समझने की धारणा बन सकती है। वहीं, दूसरी तरफ कई लोग इस कदम को महिलाओं की बॉडी और हेल्थ के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने वाला पॉज़िटिव चेंज बता रहे हैं।
समाज पर असर
कर्नाटक सरकार के इस फैसले से उम्मीद की जा रही है कि दूसरे राज्य भी इस पॉलिसी से inspire होकर ऐसी सुविधाएं लागू करेंगे। इससे पीरियड्स से जुड़ी hesitation और टैबू भी कम होंगे। महिलाओं को अपने हेल्थ को प्रायोरिटी पर रखने का हक़ मिलेगा, जिससे उनकी वर्क कैपेबिलिटी और कॉन्फिडेंस दोनों बढ़ेंगे।
कुल मिलाकर, Karnataka Menstrual Leave Policy 2025 महिलाओं के लिए एक empowerment का साइन है, जो दिखाती है कि अब समाज और सरकार दोनों ही महिलाओं की ज़रूरतों को गंभीरता से समझने लगे हैं।
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