सेक्स वर्क का नाम सुनते आज भी लोक अपने कान बंद कर लेते है। समाज में इसे आज भी गंदा काम समझा जाता है। इसके कारण इसे करने वाली महिलाएँ आज भी इज्जत पाने के लिए संघर्ष कर रही है। यह समाज उन्हें ऐसे नाम से पुकारता है जिसे बोलने में भी एक बार शर्म आ जाती है। सेक्स वर्क्स को आज भी इतना सम्मान नहीं मिलता उनके काम को काम नहीं धंधा समझा जाता है।
क्यों समाज Prostitution के काम को Profession नही मानता
सेक्स वर्क को एक पेशे के रूप में अभी भी समाज ने मानता नहीं है। समाज आज भी इसे एक नीच काम की तरह देखता है। जैसे हमारे समाज में डॉक्टर, टीचर, पत्रकार, इंजीनियर, नर्स आदि पेशे है लेकिन इसे नहीं मानता है लेकिन असलियत में देखा जाए यह एक 'पेशा' है।
क्या कहता है क़ानून
सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्क को एक पेशे के रूप में मानता दी है लेकिन इस बात को यक़ीनी बनाना है कि वह अडल्ट हो और अपनी मर्ज़ी से इस prostitution में है अगर ऐसा है तब पुलिस उन्हें किसी भी तरीक़े से कार्रवाई नही कर सकती है। इसके साथ सप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था जब छापेमारी की जाती है तब सेक्स वर्क्स के साथ परेशान मत किया जाए जैसे उनका अरेस्ट नहीं होना चाहिए ना ही उन पर जुर्माना नहीं लगना चाहिए।
भारत में सेक्स वर्क तब तक लीगल जब तक दो लोग सहमति से संबंध बना रहे है लेकिन नाबालिग के साथ, पब्लिक प्लेस पर करना यह अपराध है।
समाज का दोहरापन
सेक्स वर्क तभी चल रहा है जब हमारे समाज में लोग उठकर उनके दरवाज़े पर जाते है लेकिन फिर भी महिलाएँ वह ग़लत है जो उन्हें यह सर्विस दे रही है। समाज उनसे मज़े भी लेता है और उन्हें ग़लत भी कहता है और उन पर उँगली भी करता है।
गंदे हालातों में करना पड़ता है काम
सेक्स वर्क्स जिन हालातों में रहकर काम करती है ना अच्छे रहने की सुविधा होती है और ना ही वहाँ साफ़-सफ़ाई होती है। इसके साथ सेक्स के दौरान प्रोटेकशन की भी दिक़्क़त रहती है जिस कारण उन्हें STD होने का भी ख़तरा रहता है।
ग़रीबी के कारण करना पड़ता है
महिलाओं को यह काम ग़रीबी के कारण करना पड़ता है। इस स्थिति में उन्हें अपने परिवार और बच्चों का पेट पालने के लिए यह काम को चुनना पड़ता है लेकिन अगर वे यह काम कर भी रही है तो उसमें कोई बुराई नही है और इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं समाज उन्हें जज करें या उनका निरादर करे।