Society need to control man not woman to eliminate Rape Culture: कोलकाता रेप मर्डर केस के बाद एक बार फिर से महिलाओं की सुरक्षा के प्रति सवाल उठ रहे हैं। आज लोग एक बार फिर से सडकों पर हैं, कैंडल मार्च हो रहे हैं और लोगों में आक्रोश है। वहीं पर कुछ लोग रूढ़िवादी मानसिकता का शिकार है कि वो इस सब के लिए महिला का ही दोष निकाल रहे हैं। आज के समय में सबसे बड़ी जरूरत यह है कि हमें अपने लड़कों को शिक्षित करने की जरूरत है। चलिए आज इस विषय पर बात करते हैं।
महिलाओं को बहुत सिखा लिया अब बारी पुरषों की
आज तक हमने सिर्फ महिलाओं को ही सिखाया है कि उन्हें कैसे बैठना है, बोलना है, कब घर आना है, कितनी बात करनी है, ढंग से बैठना है लेकिन अब यह सब बंद करने की जरूरत है। यह सब कुछ महिलाओं को सेफ्टी नहीं देगा। अगर हम सच में चाहते हैं कि महिलाएं बिना किसी डर के और जब मर्जी कहीं पर अकेले जा सके तो हमें अपने लड़कों को सिखाना शुरू करना होगा।
अब हमें लड़कों को यह बताने की जरूरत है कि महिलाएं ऑब्जेक्ट नहीं होती हैं। इसके साथ ही यह भी समझाना होगा कि महिला और पुरुष बराबर हैं। महिलाओं की बॉडी पर आपका कोई कंट्रोल नहीं है। इसके साथ ही कंसेंट का विषय समझाना भी बहुत जरूरी है। रेप एक बहुत बड़ी चीज है लेकिन छोटी-छोटी घटनाएं जैसे छेड़खानी या फिर हरासमेंट जैसी घटनाएं महिलाओं के साथ रोजाना होती है। अब इनमें सारा मसला कंसेंट का है। एक लड़के को लगता है कि वह महिला को जैसे मर्जी हाथ लगा सकता है। इसके लिए उसे पूछने की जरूरत नहीं है। उसे लगता है कि वह महिला को किसी तरीके के इशारे भी कर सकता है और महिला आराम से उस बात को सहन करेगी।
क्यों पुरुषों के लिए महिलाओं के साथ ऐसे जघन्य अपराध करना आसान हो जाता है? क्यों उनके मन में कोई खौफ नहीं है? क्यों उन्हें यह नहीं सोचना पड़ता कि हम कुछ गलत कर रहे हैं? क्यों उन्हें लगता है कि हम ऐसा कर सकते हैं? इन सब के पीछे बहुत सारे कारण हैं। सबसे पहले हम पुरुषों को बचपन से ही यह सिखाते हैं कि वह महिलाओं से ज्यादा ताकतवर है और उनके साथ कुछ भी कर सकते हैं और यह सब कुछ जायज है। अब समय आ गया है कि हम पुरुषों के ऊपर पाबंदियां लगाएं। उनके छोटे-छोटे एक्ट पर भी नजर रखें और अगर वे गलत हैं तो उन्हें गलत कहना शुरू करें।
ऐसा करने से ही हम महिलाओं की सेफ्टी को निश्चित कर सकते हैं। ऐसी घटनाओं के बाद अगर आपको लगता है कि महिलाओं को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है या फिर रात को बाहर जाने की जरूरत नहीं है तो ऐसे आप महिलाओं को कभी भी सुरक्षित महसूस नहीं करवा सकते हैं। ऐसी घटनाएं होती रहेंगी और आप सिर्फ देखते ही रहेंगे। जब तक पुरुष अपनी गलती को नहीं मानते हैं कि हम महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करते हैं और हमें खुद को बदलने की जरूरत है तब तक समझ में बदलाव नहीं आ सकता है।