The Evolving Perception of Women in Modern Times: आज के समय में महिलाओं के प्रति समाज का रवैया बहुत हद तक बदल भी चुका है। पहले के समय के मुकाबले, महिलाएं बहुत ज्यादा सशक्त हो चुकी हैं लेकिन अभी भी बहुत कुछ बदलने की जरूरत है। महिलाएं अभी भी पूरी तरह से आजाद नहीं हैं। उनकी दिशा में सुधार आ रहा है लेकिन यह बहुत धीरे-धीरे हो रहा है। इसके साथ ही महिलाओं के प्रति समाज का रवैया ओवरऑल नहीं बदला है लेकिन समाज में उनकी भूमिका बहुत बदल गई है। आज की महिला सिर्फ हाउसवाइफ तक सीमित नहीं है। चलिए आज इस विषय पर बात करते हैं?
आधुनिक समाज में महिलाओं के प्रति बदलते रवैये और उनकी भूमिका पर चर्चा
समाज में महिलाओं ने अपनी भूमिका को बहुत हद तक बदल लिया है। इसमें उनकी सदियों की मेहनत छिपी हुई है। इस पितृसत्तात्मक समाज में अपने लिए जगह बनाना महिलाओं के लिए कभी भी आसान नहीं रहा है क्योंकि इस समाज में महिलाओं को हमेशा ही नीचा दिखाया गया है। ऐसा ही समझा गया है कि महिलाएं कभी भी कुछ भी अकेले नहीं कर सकती। उन्हें हमेशा अपनी जिंदगी में पुरुषों के सहारे की जरूरत होती है या फिर एक पुरुष ही उनके जीवन को पूरा कर सकता है।
आज की महिला आत्मनिर्भर बन रही है जिससे वह यह बता रही है कि कैसे एक महिला खुद भी सब कुछ कर सकती है। इसके साथ ही महिलाओं ने दूसरों की बातों से खुद को डिफाइन करना भी बंद कर दिया है। उन्होंने यह जान लिया है कि कोई भी व्यक्ति या फिर ओपिनियन उन्हें डिफाइन नहीं कर सकता। वह अपनी जिंदगी को खुद लीड कर सकती है और उसे दूसरों के ओपिनियन की कोई जरूरत नहीं है।
वहीं पर अभी भी यह रास्ता बहुत लंबा है। अभी महिला ने घर से बाहर निकलना शुरू किया है। अगर एक महिला हाउसवाइफ है या फिर वर्किंग तो वह उसकी खुद की चॉइस है लेकिन समाज ने अभी भी महिलाओं को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है। आजकल महिलाएं बाहर जाकर काम कर रही हैं लेकिन अपेक्षा इस बात की ही होती है कि वे सब की देखभाल करें। अगर एक महिला माँ नहीं बनना चाहती है या फिर उसे समाज के तौर-तरीके नहीं पसंद तो लोग उसके चरित्र पर सवाल उठने शुरू हो जाते हैं।
महिलाओं के लिए अभी भी बहुत सारी चुनौतियां हैं जिनका सामना करना पड़ रहा है और आगे भी करना पड़ सकता है. महिलाओं के लिए अभी भी सुरक्षित माहौल पैदा नहीं हुआ है जहां पर वह खुलकर सांस ले सके और रात के अंधेरे में भी खुलकर घूम सके. इसके साथ ही महिलाओं से अभी भी बहुत सारी अपेक्षाएं की जाती हैं और ट्रेडिशनल जेंडर रोल्स के हिसाब से उनकी परवरिश की जाती है। इस माहौल के बदलने में समय लग सकता है। महिलाओं को अभी अपने सशक्तिकरण और अधिकारों को बचाने का काम जारी रखना होगा ताकि आने वाले समय में यह माहौल ज्यादा उनके हित में हो जाए।