Why Women's Assertiveness Is Often Mislabeled as Rudeness: समाज में अपने लिए बोलने वाली लड़कियों को अच्छा नहीं माना जाता। ऐसी लड़कियों के चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह लड़की हाथ से निकल गई है। इस पर लगाम लगाने की जरूरत है। जब किसी लड़की के लिए रिश्ता आता है तो बहुत सारे लोग यह डिमांड रखते हैं की लड़की 'गाय' होनी चाहिए जिसका मतलब है कि जो गलत होने पर भी कुछ ना बोले। हमेशा चुपचाप सब कुछ सहन करती रहे। आपने देखा होगा कि लड़कियों को हमेशा ही चुपचाप सब कुछ सहन करना सिखाया जाता है। उन्हें ऐसा बताया जाता है कि किसी के सामने बोलना नहीं है। अगर कोई आपको कुछ कह भी देता है तो आपको सुन लेना है क्योंकि इसमें ही आपकी और परिवार की भलाई है। आज हम जानेंगे कि क्यों लड़कों के बोलने को मजबूत और लड़कियों के बोलने को बदतमीज समझ जाता है?
एक पुरुष अपने लिए बोले तो मजबूत लेकिन महिला अपनी बात रखें तो बदतमीज़
इस बात में कोई शक नहीं है कि समाज का नजरिया पुरुष और महिला के लिए एक जैसा नहीं है। जब पुरुष कुछ बोलते हैं तो समाज उन्हें चुपचाप सुनता है। ऐसा कभी नहीं सोचा जाता कि यह क्यों बोल रहे हैं या फिर यह हाथ से निकल रहे हैं। पुरुषों के बोलने को बहुत ज्यादा अप्रिशिएट किया जाता है। ऐसे पुरुषों को कॉन्फिडेंट और स्ट्रांग बोला जाता है जो अपनी बात के उपर अड़े रहते हैं और कभी भी अपना ओपिनियन बोलने से नहीं डरते लेकिन अगर वहीं एक महिला अपने लिए बोलना शुरू कर देती है और गलत के खिलाफ आवाज उठाती है तो ऐसा कहा जाता है कि यह लड़की तो हाथ से निकल गई है। इसका दिमाग खराब हो गया है। ऐसी लड़कियों की शादी नहीं होती। इसे कोई लड़का पसंद नहीं करेगा। ऐसी लड़कियां घर तोड़ देती हैं। इन लड़कियों के कारण ही डिवोर्स रेट बढ़ रहा है। इसके साथ ही उन्हें बदतमीज बोला जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि लड़कियों के मुखर होने को लेबल किया जाता है।
समाज की यही सोच है कि चाहे महिला पढ़ी-लिखी और वर्किंग भी हो लेकिन उसे बोलना नहीं चाहिए। उसे हमेशा सब की बात चुपचाप रहकर मान लेनी चाहिए क्योंकि लड़कियों का फर्ज होता है कि वह परिवार की देखभाल करें और उसे जोड़कर बनाए रखें। आज के समय में लड़कियों ने इस बात की परवाह करनी छोड़ दी है कि लोग क्या कहते हैं। उन्होंने अपने लिए बोलना शुरू कर दिया है। इस कारण आज बहुत सारी लड़कियां अपनी लाइफ में बहुत आगे बढ़ रही हैं और अपने साथ हो रहे गलत या फिर अन्याय को कम कर रही हैं।