Why Lohri Is Not Celebrated On The Birth Of Girls?: लोहड़ी का त्यौहार पंजाबियों की जान है। इसे बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। पंजाबी लोग घर पर साग, मक्की की रोटी, रेवड़ी और मूंगफली आदि के साथ इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं। यह साल का पहला त्यौहार है। आमतौर पर इस त्यौहार को उन घरों में ज्यादा सेलिब्रेट किया जाता है जिनके घर में लड़का पैदा हुआ होता है। ऐसा सदियों से चला आ रहा है लेकिन अब कुछ लोग लड़कियों के पैदा होने पर भी लोहड़ी को सेलिब्रेट करने लगे हैं।
क्यों लड़कियों के जन्म पर नहीं मनाई जाती लोहड़ी?
पंजाब में लोहड़ी का त्यौहार काफी पवित्र माना जाता है। सिख धर्म में इसका बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन लोग संध्या के समय अग्नि जलाकर एक साथ एकत्र होते हैं। इसके बाद उसे अग्नि में तिल, गुड़, रेवड़ी और मूंगफली आदि को चढ़ाते हैं। इसके बाद सभी लोग अग्नि के चक्कर लगाते हुए गीत गाते हुए धूमधाम से इस त्यौहार को मनाते हैं।
यहां तक सब ठीक है लेकिन समस्या तब आती है जब इस त्यौहार को सिर्फ लड़कों के लिए ज्यादा मनाया जाता है। उन घरों में ज्यादा सेलिब्रेशन देखने को मिलता है यहाँ लड़के ने जन्म लिया है। लोग हक से उन घरों में जाकर उस परिवार से लोहड़ी मांगते हैं। उनके घरों में जशन मनाए जाते हैं। कुछ लोग घर में फंक्शन भी रखते हैं जिसमें अपने सभी रिश्तेदारों और आसपास के लोगों को बुलावा देते हैं। यह सब कुछ उन घरों में ही होता है जहां लड़का पैदा हुआ हो।
जिन घरों में लड़की पैदा हुई होती है, उनके पास कोई नहीं जाता। ऐसा माना जाता है कि यह त्यौहार सिर्फ लड़कों के जन्म पर ही मनाया जाता है। लोहड़ी के अवसर पर छोटे-छोटे बच्चे घरों में जाकर लोहड़ी मांगते हैं। यह बच्चे भी सिर्फ उन लड़के पैदा हुए घरों में हक से जाकर लोहड़ी मांगते हैं। परिवार वाले भी उन्हें मना नहीं करते। जिन घरों में लड़की पैदा हुई होती है उन घरों में बच्चे जाते भी नहीं है। यह भेदभाव क्यों होता है ? क्यों लड़कियों की लोहड़ी नहीं मनाई जा सकती?
लोहड़ी का आशीर्वाद सिर्फ लड़कों को चाहिए, लड़कियों को नहीं?
लोहड़ी का आशीर्वाद सदियों से लड़कों को ही मिलते आ रहा है। जिन घरों में लड़कियां पैदा हुई होती है उन घरों में ऐसा माहौल होता है जैसे किसी की मौत हो गई हो। उन घरों में कोई हक से लोहड़ी नहीं मांगता है और न ही उनके घर में कोई सेलिब्रेशन होता है। लोग भी बहुत इस बात को लेकर भेदभाव करते हैं। आज भी लोग हर तरीके से लड़कों के होने पर जितना जशन मानते हैं उतना लड़कियों के पैदा होने पर नहीं मनाते। जिन घरों में लड़कियां पैदा हुई होती है, उनके परिवार वालों को ऐसी बातें सुनाई जाती है कि जैसे उन्होंने कोई गुनाह किया हो।
लड़कियों के जन्म पर कहा जाता है कि तुम्हारे घर में भी लड़का पैदा हो जाता, इस पत्थर का क्या करोगी, एक लड़का हो जाता तो परिवार पूरा हो जाता, घर तो लड़कों से ही भरते हैं, उनके साथ ही रौनक़ आती है। लड़कियों का क्या है शादी करके अपने घर चली जाती है।
लड़कियों की लोहड़ी मनाने की तरफ भी ध्यान
ऐसे में कुछ लोग लड़कियों के होने पर लोहड़ी मनाते हैं लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। यह भी वह लोग हैं जिनके घर में पहला बच्चा लड़की हुई होती है या फिर काफी समय बाद औलाद ने जन्म लिया होता है। हमें धीरे-धीरे इस प्रथा को बदलना चाहिए। जहां पर हम लड़कों की लोहड़ी मनाते हैं, वहीं हमें आगे बढ़कर लड़कियों की लोहड़ी मनाने की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। अगर हम जेंडर इक्वलिटी की बात करते हैं तो हमारे त्यौहारों में भी यह बात दिखाई देनी चाहिए। यह छोटी-छोटी चीजें भी हमारे समाज में बहुत फर्क डालती हैं और हमें एक बड़े बदलाव की ओर लेकर चलती हैं।