How Parents Can Prioritize Mindfulness: पहले के समय में पेरेंटिंग का इतना प्रेशर नहीं होता था क्योंकि पेरेंट्स अकेले पेरेंटिंग नहीं करते थे। उन्हें बच्चों के दादा-दादी का सपोर्ट भी मिल जाता था। आज के समाज में परिवार छोटे होते जा रहे हैं। इस कारण पेरेंटिंग का सारा प्रेशर मां-बाप के ऊपर आ जाता है। उन्हें बच्चे की हर छोटी से लेकर बड़ी जरूरत का ध्यान रखना पड़ता है। आजकल तो बच्चे की परवरिश में बहुत सारी नई चीजें शामिल हो चुकी हैं। ऐसे में माता-पिता अपना ध्यान रखना भूल जाते हैं। बहुत सारे माता-पिता Parental Burnout का भी शिकार हो रहे हैं। आज हम जानेंगे कि कैसे पेरेंटिंग की भागदौड़ में माता-पिता माइंडफूलनेस के लिए समय निकाल सकते हैं-
भागदौड़ भरी जिंदगी में पेरेंट्स कैसे Mindfulness के लिए समय निकालें
काम बांट लेने चाहिए
पेरेंट्स को अपने काम बांट लेने चाहिए। बच्चे की परवरिश में पिता का भी रोल बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में अगर सुबह को बच्चे के काम मदर कर रही है तो शाम के कामों की जिम्मेदारी पिता को लेनी चाहिए। आपको अपने प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ के बीच में बाउंड्रीज बनाने की बहुत ज्यादा जरूरत है। आप ऐसा नहीं करेंगे तो आप कभी भी अपने बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाएंगे। आपको समझना होगा कि बच्चों को आपकी जरूरत है और अगर आप बच्चे को समय नहीं देंगे तो बच्चे और आपके बीच में दूरियां आने लग जाएगी जिसके कारण आप भी स्ट्रेस में रहेंगे और बच्चा भी परेशान रहेगा।
मल्टीटास्किंग के पीछे मत भागें
पेरेंट बनने के बाद हम मल्टीटास्किंग करने लग जाते हैं जिस कारण हम परेशान रहने लग जाते हैं। इसलिए कभी भी मल्टीटास्किंग के पीछे मत भागें। इससे आपका दिमाग स्ट्रेस में रहता है और आप एक काम अच्छे से फोकस नहीं कर पाते। इसलिए आज में रहने की कोशिश करें। बीते हुए समय और आने वाले समय का प्रेशर लेना छोड़ दें। जितना हो सकता है आज में रहने की कोशिश करें। इसके साथ ही एक समय पर एक ही काम करें।
स्थिति को स्वीकार करना शुरू करें
जब हम खुद भी परफेक्ट बनना चाहते हैं और बच्चे को भी परफेक्ट बनाने की कोशिश करते हैं तब भी हम खुश नहीं रह पाते। अगर हमें लगता है कि पेरेंट के तौर पर आपसे भी कोई गलती ना हो और बच्चा भी हर चीज में अव्वल रहे तो ऐसा मुमकिन नहीं है। जब हम अनरियलिस्टिक एक्सपेक्टशंस के पीछे भागते हैं तो स्ट्रेस में रहने लग जाते हैं जिसके कारण हमें डिप्रेशन और एंग्जायटी होना भी लाजमी है। इसलिए माइंडफूलनेस रहने के लिए परफेक्शन को अचीव करना छोड़ कर स्थिति को स्वीकार करना शुरू करें। जितना आप अपने आसपास के माहौल को और स्थितियों को स्वीकार करना शुरू करेंगे, उतनी ही आपकी जिंदगी आसान हो जाएगी।
एंपैथी
बच्चों के ऊपर दया करने कि बजाय उन्हें हमदर्दी दिखाएं। उनकी समस्या को अपनी समस्या समझने की कोशिश करें। कई बार होता है कि बच्चे किसी समस्या से गुजर रहे होते हैं लेकिन आप समझ ही नहीं पाते हैं। इस कारण बच्चा परेशान रहता है। ऐसे होने पर खुद में एंपैथी लेकर आना बहुत जरूरी है। इससे आपका स्ट्रेस कम होगा। आपका मन और बॉडी दोनों रिलैक्स होंगे क्योंकि आपका बच्चा खुश रहने लग जाएगा।