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Teaching Kids About Consent: कंसेंट हमारी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण पहलू है लेकिन इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। जब बात जब बच्चों की आती है तो इसे बिल्कुल ही नजरअंदाज कर दिया जाता है क्योंकि ऐसा समझा जाता है कि बच्चों से कंसेंट लेने का कोई मतलब नहीं है। इस कारण बच्चों के साथ एब्यूज भी बहुत बढ़ रहा है। हमें लगता है कि बच्चे की कंसेंट मायने नहीं रखती है और हम उसके साथ जैसा मर्जी व्यवहार कर देते हैं। चलिए जानते हैं बच्चों से कंसेंट मांगना क्यों जरूरी है?
माता-पिता को बच्चे से Consent क्यों मांगनी चाहिए?
बच्चे के साथ स्वस्थ रिश्ता
जब आप बच्चे की कंसेंट की वैल्यू और डिसीजन की रिस्पेक्ट करते हैं तो इससे आपका उनके साथ एक स्वस्थ रिश्ता बनाते हैं। बच्चे को यह समझ आती है कि मां-बाप की जिंदगी में उसके शब्दों की वैल्यू है जिसके कारण वह अपनी बात कहने से पीछे नहीं हटता। वह जानता है कि मां-बाप उसकी बात को समझेंगे और उसके अनुसार ही फैसला लेंगे।
बाउंड्रीज
जब आप बच्चे से हर बार कंसेंट लेते हैं तो इससे आप उसके साथ एक बाउंड्रीज सेट कर लेते है और उसकी बाउंड्रीज की भी रिस्पेक्ट होती है। इससे आप बच्चे की पर्सनल स्पेस में ज्यादा इंटर नहीं करते और उसको पर्सनलाइज्ड माहौल मिलता है जिसमें वह अपने आप को खुलकर व्यक्त कर सकता है। बच्चे के ऊपर हर वक्त नजर नहीं रखी जाती है बल्कि उसे एक सुरक्षित माहौल में पलने दिया जाता है।
एंपैथी
जब आप बच्चे की कंसेंट की रिस्पेक्ट करते हैं तो बच्चा एंपैथी सीखता है जो की बहुत जरूरी है। इस कारण बच्चे के अंदर इमोशनल इंटेलिजेंस डेवलप होती है। बच्चा काइंडनेस के बारे में सीखता है और दूसरों के साथ कनेक्शन बनाता है। जब बच्चे के अंदर एंपैथी आती है तो बच्चा दूसरे की समस्या का मजाक नहीं बनाता बल्कि उसे महसूस करता है। इससे वह दूसरों की मदद के लिए हमेशा ही तैयार रहता है।
मेंटल हेल्थ
आजकल के समय में बच्चों की मेंटल हेल्थ एक चिंताजनक विषय बन चुका है। ऐसे में अगर आप बच्चे को कंसेंट के बारे में बताते हैं और उसकी हर बात में कंसेंट लेते हैं तो उसकी मेंटल हेल्थ अच्छी रहती है क्योंकि बच्चे को यह महसूस होता है कि उसकी वैल्यू की जा रही है और उसकी चॉइस की रिस्पेक्ट की जा रही है जिससे बच्चा खुश रहता है। वह खुद के विचारों को बोलने से झिझकता नहीं है। उसे लगता है कि उसकी फीलिंग्स वैलिडेट हैं और और वह अपने इमोशंस को व्यक्त करने से डरता नहीं है।
ऑटोनॉमी
कंसेंट के कारण बच्चों की ऑटोनॉमी बरकरार रहती है। बच्चा छोटी उम्र से ही अपने फैसले लेने लग जाता है क्योंकि उसके शब्दों को तवज्जो मिलती है। अगर वह किसी को मना करता है तो सामने वाले उसे बात को मानते हैं। ऐसा नहीं है कि बच्चा समझकर उसके साथ जबरदस्ती हो रही है या फिर उसे सिर्फ दूसरों का आदेश मानने के लिए ही कहा जा रहा है। इससे बच्चा आत्मनिर्भर बनता है।