6 Symptoms Of Schizophrenia In Children: स्किज़ोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार है जो बच्चों में भी हो सकता है। इसे पहचानना और सही समय पर उपचार कराना बहुत ज़रूरी है। इस विकार के कई लक्षण होते हैं, जिनसे बच्चों के जीवन में बड़े बदलाव आ सकते हैं। इन लक्षणों को पहचानना और सही समय पर उपचार कराना बहुत ज़रूरी है। अगर आपको अपने बच्चे में ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें। सही समय पर उपचार से बच्चों का जीवन सुधार सकता है और वे सामान्य जीवन जी सकते हैं।
बच्चों में भी हो सकती है Schizophrenia, जानें 6 लक्षण
1. भ्रम
भ्रम ऐसी झूठी धारणाएँ होती हैं जिनमें बच्चा उन चीजों पर विश्वास करता है जो वास्तव में नहीं हैं। जैसे, बच्चा सोच सकता है कि उसे किसी अदृश्य शक्ति का नियंत्रण है या उसके माता-पिता उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। यह भ्रम बच्चों के सोचने और समझने के तरीके को प्रभावित करते हैं और उन्हें वास्तविकता से दूर कर देते हैं।
2. अजीब व्यवहार
स्किज़ोफ्रेनिया से पीड़ित बच्चे अक्सर अजीब और असामान्य व्यवहार करने लगते हैं। जैसे, बिना किसी कारण के अचानक चिल्लाना, अजीबो-गरीब कपड़े पहना या बिना किसी कारण के अजीब हरकतें करना। ये व्यवहार सामान्य बच्चों से काफी अलग होते हैं और माता-पिता को यह समझना चाहिए कि यह किसी मानसिक समस्या का संकेत हो सकता है।
3. वाणी या सोच में कमी
ऐसे बच्चे अक्सर बहुत कम बोलते हैं या उनकी सोचने की क्षमता कम हो जाती है। वे किसी विषय पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते और उनकी बातें बेतुकी होती हैं। कभी-कभी वे पूरी तरह से चुप्पी साध लेते हैं और अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते।
4. बिखरी हुई सोच
सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित बच्चों की सोचने की प्रक्रिया अव्यवस्थित हो जाती है। वे किसी भी विषय पर सही तरीके से विचार नहीं कर पाते और उनकी बातचीत में तालमेल नहीं होती। उदाहरण के लिए, वे एक ही वाक्य में कई विषयों की बात करने लगते हैं, जिससे उनकी बातों का कोई मतलब नहीं निकलता।
5. मृगतृष्णा
मृगतृष्णा में बच्चा ऐसी चीजें देखता या सुनता है जो वास्तव में नहीं होतीं। जैसे, बच्चा कह सकता है कि उसने किसी अदृश्य व्यक्ति को देखा है या कोई आवाज़ सुनी है। ये अनुभव बच्चे को डराने वाले हो सकते हैं और उसे असुरक्षित महसूस करवा सकते हैं।
6. अपनी भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त ना कर पाना
स्किज़ोफ्रेनिया से पीड़ित बच्चे अपनी भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त नहीं कर पाते। उनके चेहरे पर भावनाएं नहीं दिखतीं, चाहे वे खुश हों या दुखी। वे सामान्य बच्चों की तरह हँसते या रोते नहीं हैं और उनकी भावनात्मक प्रतिक्रिया बहुत कमज़ोर होती है।
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