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भारत में डायबिटीज अब केवल "लाइफस्टाइल डिजीज" नहीं रही हैं, बल्कि एक पब्लिक हेल्थ क्राइसिस बन चुकीं हैं। खासकर महिलाओं के लिए यह बीमारी न सिर्फ स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि परिवार, motherhood और सामाजिक रोल पर भी गहरा असर डालती हैं। डायबिटीज सिर्फ़ बॉडी में हार्मोनल इंबैलेंस नहीं करती हैं। डायबिटीज से लाइफस्टाइल का पूरा रूटीन बदल जाता हैं। खाने से लेकर जीने का तरीका पूरी तरह बदल जाता हैं। ऐसे में प्री- डायबिटीज का स्टेज बहुत खतरनाक होता हैं। इसमें बॉडी में ऐसे चेंजेज आते हैं जो बुखार या थकान से लगते हैं पर लाकरवाही न करे। आइए जानते हैं, डायबिटीज के बारे में और उसके पीछे का कारण।
Diabetes in India: कैसे डायबिटीज आज महिलाओं और बच्चों को प्रभावित कर रहा हैं
डायबिटीज का बढ़ता खतरा
भारत दुनिया में डायबिटीज के सबसे बड़े बोझ वाले देशों में से एक हैं।महिलाओं में डायबिटीज के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, खासकर शहरी क्षेत्रों और गर्भावस्था के दौरान जिसे gestational diabities कहते हैं। डायबिटीज की उम्र अब प्रौढ़ावस्था तक नहीं बल्कि किशोरी और किशोरों में भी इसके खतरे बढ़ते जा रहा हैं। आज भारत में 95,600 बच्चे ( 0-14 उम्र) टाइप-1 डायबिटीज़ के साथ जी रहे हैं। पहले इसे एडल्ट डायबिटीज माना जाता था, लेकिन अब किशोरों और बच्चों के भी टाइप-2 डायबिटीज के मामले सामने आ रहे हैं।
डायबिटीज के पीछे का कारण
सबसे बड़ा कारण लाइफस्टाइल औरजंक फूड कल्चर का बढ़ना हैं। लाइफस्टाइल में अब ऐक्टिविटी स्क्रीन और टेबल तक ही रह गईं, जिससे वजन बढ़ना और शुगर बढ़ना भी इसका कारण हैं। पैकेज फूड और हाई प्रोसेस्ड फूड भी अब भारत में यंग और चाइल्ड बहुत उपभोग करते हैं। इसके कारण स्लॉट और शुगर का लेवल जरूरत से ज्यादा बॉडी में होने से डायबिटीज बढ़ रहा हैं। सबसे बड़ा कारण हैं- ओवर ईटिंग और एक्सरसाइज़ का लाइफस्टाइल में न होना। जब कार्ब्स और प्रोटीन के बिना खाना खाया जाएगा, तो बॉडी फैट के साथ साथ हार्मोनल इंबैलेंस भी होता हैं। जो प्री - डायबिटीज़ का भी सबसे बड़ा कारण हैं।
महिलाओं में डायबिटीज होने के कारण
महिलाएंअक्सर परिवार का ध्यान रखते समय, अपनी सेहत को नजअंदाज करती हैं। साथ ही काम, घर और स्वास्थ्य का बैलेंस नहीं बन पाने के कारण हेल्थी डाइट से शिफ्ट इंस्टेंट हाई प्रोसेस्ड फूड की तरफ हो जाता हैं। कई बार यह जरूरत का पोषक आहार न मिलने से भी डायबिटीज बढ़ जाता हैं। प्रेग्नेंट women में डायबिटीज सिर्फ़ मां के लिए ही नहीं बच्चे के लिए भी खतरा होता हैं।
इस पर बात करना क्यों है जरूरी?
डायबिटीज़ जेनेटिक से होने वाली बीमारी भी हैं। महिलाओं और बच्चों पर अधिकतर डायबिटीज का असर intergenerational हैं- यानी एक पीढ़ी की बीमारी अगली पीढ़ी को भी प्रभावित कर सकती हैं। यह केवल मेडिकल issue नहीं हैं, बल्कि सोशल स्ट्रक्चर और ओवर बर्डन का भी सवाल हैं। क्यों पेरेंट्स और फैमिली बच्चों और महिलाओं को जिम्मेदारी और लाइफस्टाइल में इतना चेंज और बर्डन को थोप रहे हैं। यह बर्डन उनके जीवन के लिए खतरा बन रहा हैं। बच्चा और जब कोई भी इंसान diabetic होता हैं उसकी लाइफस्टाइल ही नहीं उसकी ईमोशनल, सोशल और फिज़िकल हेल्थ पूरी तरह से बदल जाती हैं। सामान्यतः इससे जूझना आसान नहीं होता हैं।
क्या है आगे की राह?
सबसे बड़ी भूमिका समाज और सरकार की होती हैं। ग्रामीण महिलाओं में विशेषकर इसके लिए अवेयरनेस कैंपेनिंग की जरूरत हैं। महिलाएं अक्सर अपनी सेहत और सिम्पटम को नजरअंदाज करती हैं। साथ ही वे हेल्थ चेकअप नहीं करवाती हैं। ऐसे में जागरूकता से सही समय पर डाइट लेना और रेगुलर व्यायाम और मेंटल हेल्थ सपोर्ट की जरूरत को नजअंदाज न करना सबसे बड़ा उपाय हैं।
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