Do Indian Parents Understand Mental Health? Young Women Speak Out : मानसिक स्वास्थ्य, एक ऐसा विषय जो हमारे समाज में धीरे-धीरे लेकिन मजबूती से अपनी जगह बना रहा है। लेकिन क्या भारतीय माता-पिता इसे वास्तव में समझते हैं? क्या वे अपने बच्चों की मानसिक समस्याओं को गंभीरता से लेते हैं? इस सवाल के जवाब के लिए मैंने अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहीं अपनी कुछ दोस्तों से चर्चा की। उनकी राय और अनुभव समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति माता-पिता की सोच को उजागर करते हैं।
क्या भारतीय माता-पिता मानसिक स्वास्थ्य को समझते हैं? युवतियों ने साझा की अपनी राय
"मानसिक स्वास्थ्य को सिर्फ बहाना समझा जाता है"
मेरी एक दोस्त, जो कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करती हैं, ने बताया कि जब भी वह अपने काम के तनाव या चिंता के बारे में अपने माता-पिता से बात करती हैं, तो उन्हें अक्सर यह जवाब मिलता है, "ये सब बहाने हैं, मेहनत करो, सब ठीक हो जाएगा।" उनका मानना है कि माता-पिता मानसिक स्वास्थ्य को एक वास्तविक समस्या के रूप में नहीं देखते, बल्कि इसे आलस्य या बहानेबाजी मान लेते हैं।
"जजमेंट का डर मानसिक स्वास्थ्य पर बात करने से रोकता है"
एक और दोस्त, जो शिक्षा के क्षेत्र में हैं, ने कहा कि उन्हें अपने माता-पिता के सामने मानसिक स्वास्थ्य पर बात करने में डर लगता है। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि अगर मैं अपनी समस्याएं बताऊंगी, तो वे मुझे कमजोर समझेंगे।" यह डर माता-पिता और बच्चों के बीच एक बड़ी खाई पैदा करता है।
"सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को महत्व दिया जाता है"
हेल्थकेयर सेक्टर में काम कर रहीं मेरी एक अन्य दोस्त ने कहा, "मेरे माता-पिता के लिए स्वास्थ्य का मतलब सिर्फ शारीरिक समस्याएं हैं। अगर मैं कहूं कि मैं उदास हूं या चिंतित हूं, तो वे इसे नजरअंदाज कर देंगे।" उनका मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य की बात को हमारे समाज में अभी भी प्राथमिकता नहीं दी जाती।
"समझ बढ़ रही है, लेकिन बहुत धीरे"
हालांकि, कुछ ने यह भी माना कि माता-पिता की सोच में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। एक दोस्त, जो स्टार्टअप में काम करती हैं, ने कहा, "आज के समय में माता-पिता बच्चों को बेहतर समझने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह प्रक्रिया बहुत धीमी है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि बच्चों को भी अपने माता-पिता को इस विषय पर जागरूक करना चाहिए।
मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता क्यों है जरूरी?
मानसिक स्वास्थ्य केवल एक व्यक्तिगत समस्या नहीं है; यह पूरे परिवार और समाज को प्रभावित करता है। माता-पिता का बच्चों की समस्याओं को समझना न केवल बच्चों को बेहतर महसूस कराता है, बल्कि यह उनकी समस्याओं को सही दिशा में हल करने में भी मदद करता है।
पाठकों से सवाल: आपकी राय क्या है?
यह लेख केवल मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा शुरू करने के लिए है। क्या आपने भी अपने माता-पिता के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत की है? अगर हां, तो आपका अनुभव कैसा रहा? अगर नहीं, तो क्यों?