Miscarriage: गर्भावस्था का नुकसान या गर्भपात एक दिल दहला देने वाला अनुभव होता है। अपने खोए हुए बच्चे के लिए शोक मनाना और इस दुःख से उबरना वाजिब है। इस मुश्किल समय में अपने आप को संभालना ज़रूरी है। अपने आपको दुःखी महसूस करने दें, चाहे वो गुस्सा हो, निराशा हो, उदासी हो या अकेलापन।
गर्भावस्था के नुकसान या गर्भपात से उभरने के 5 तरीके
1. अपने आपको महसूस करने दें
यह नुकसान कैसा भी हो, यह दुःख का कारण है। गुस्सा, निराशा, उदासी या अकेलापन महसूस करना स्वाभाविक है। अपने आप को इन भावनाओं को महसूस करने दें। उन्हें दबाने की कोशिश न करें। अपने पार्टनर, किसी करीबी दोस्त या परिवार के सदस्य से बात करें। आप चाहें तो अपनी भावनाओं को लिखकर भी निकाल सकती हैं। एक डायरी लिखना या फिर रचनात्मक अभिव्यक्ति के किसी अन्य माध्यम का सहारा लेना भी फायदेमंद हो सकता है।
2. समर्थन मांगें
इस मुश्किल समय में अपने आसपास के लोगों से सहायता लेने में संकोच न करें। अपने साथी के साथ खुलकर बात करें। उन्हें बताएं कि आप कैसा महसूस कर रहीं हैं और उन्हें आपकी किस तरह की ज़रूरत है। अपने माता-पिता, भाई-बहनों या करीबी दोस्तों से भी बात करें। शायद उन्हें नहीं पता होगा कि आपको किस तरह से सपोर्ट करना है, इसलिए सीधे तौर पर उन्हें बताएं कि उनकी मौजूदगी या कोई खास तरह की मदद आपके लिए मायने रखती है। आप किसी सहायता समूह में शामिल होने पर भी विचार कर सकती हैं। ऐसे समूहों में आप उन लोगों से जुड़ सकती हैं जिन्होंने इसी तरह का अनुभव किया है।
3. अपने शरीर का ख्याल रखें
गर्भपात के बाद आपके शरीर को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होने के लिए समय चाहिए। पौष्टिक आहार लें, जिसमें भरपूर फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त चीज़ें शामिल हों। यह ज़रूरी है कि आप पर्याप्त नींद लें और आराम करें। जब आप थका हुआ महसूस करें तो आराम करें और किसी भी तरह के ज़ोर-ज़बरदस्ती वाले काम से बचें। कुछ महिलाओं को व्यायाम करने में भी मदद मिलती है। व्यायाम से एंडोर्फिन नामक हार्मोन रिलीज़ होते हैं जो आपके मूड को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
4. थेरेपिस्ट की मदद लें
यदि आप अत्यधिक दुःख, निराशा या गुस्से का अनुभव कर रही हैं, और ये भावनाएं कम होने का नाम नहीं ले रहीं, तो किसी मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श लेने में संकोच न करें। वे आपको इस कठिन समय से निपटने में और अपने दुःख के साथ स्वस्थ तरीके से जीना सीखने में मदद कर सकते हैं। थेरेपिस्ट से बात करने में हिचकिचाहट महसूस न करें। यह एकदम सामान्य बात है और वे आपको इस मुश्किल दौर से निकलने में सहायता दे सकते हैं।
5. अपने आप पर दयालु रहें
यह याद रखना बहुत ज़रूरी है कि गर्भपात अक्सर प्राकृतिक कारणों से होता है और आप इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं। खुद को दोष देने से बचें। इस मुश्किल दौर में खुद पर दयालु रहें और धीरे-धीरे आगे बढ़ने की कोशिश करें। हर किसी को स्वस्थ होने में अलग-अलग समय लगता है।अपनी रफ्तार से चलें और खुद से सख्ती न करें।
Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।