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Mental Health Matters: बच्चों के साथ मेंटल हेल्थ के बारे में कैसे बात करें?

आजकल के लाइफस्टाइल में मेंटल हेल्थ एक आम समस्या है। हर व्यक्ति मेंटल हेल्थ समस्याओं से जूझ रहा है। यह कहना भी झूठ होगा कि बच्चों को मेंटल हेल्थ समस्याएं नहीं है।

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Rajveer Kaur
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How To Talk About Mental Health With Kids? आजकल के लाइफस्टाइल में मेंटल हेल्थ एक आम समस्या है। हर व्यक्ति मेंटल हेल्थ समस्याओं से जूझ रहा है। यह कहना भी झूठ होगा कि बच्चों को मेंटल हेल्थ समस्याएं नहीं है। इसलिए मेंटल हेल्थ के बारे में बात करना बहुत जरूरी हो जाता है। एडल्ट लोगों को मेंटल हेल्थ के बारे में अवेयरनेस होती है और उनके पास इस बारे में बात करने के लिए कई प्लेटफार्म भी मौजूद हैं। वहीं पर बच्चों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। इसलिए उनके साथ मेंटल हेल्थ के बारे में बात करना बहुत जरूरी हो जाता है ताकि उन्हें भी इसके बारे में पता चल सकें। आज हम जानेंगे कि कैसे माता-पिता बच्चों की साथ मेंटल हेल्थ के बारे में बात कर सकते हैं-

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बच्चों के साथ मेंटल हेल्थ के बारे में कैसे बात करें?

समय देना जरूरी

सबसे पहले माता-पिता बच्चों को समय देना शुरू करें। इससे आप बच्चों के बारे में जानना शुरू करेंगे और बातचीत के दौरान उनके साथ आप मेंटल हेल्थ के बारे में बात कर सकते हैं। अगर आप बच्चे को समय ही नहीं देंगे और हमेशा अपने काम में बिजी रहेंगे तो इस कारण बच्चा आपके साथ कभी बात ही नहीं करेगा। वह हमेशा आपके साथ बात करने में असहज महसूस करेगा। उसे लगेगा कि आप उसकी वैल्यू नहीं करते हैं और न ही आप उसकी समस्या को समझेंगे।

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मेंटल हेल्थ के बारे में बेसिक बातें समझाएं

आप बच्चों को मेंटल हेल्थ के बारे में बेसिक टर्म्स जैसे डिप्रैशन, एंग्जायटी और स्ट्रेस आदि के बारे में बेसिक भाषा में समझा सकते हैं। इससे बच्चों को पता लगेगा कि यह सब क्या होता है और हम ऐसी स्थिति में क्या महसूस करते हैं। जब बच्चों के पास ये बेसिक जानकारी होगी तो वे आपके साथ बातचीत जरूर करेंगे। इससे उनके इलाज में देरी भी नहीं होगी। 

बच्चों की फीलिंग्स को वैलिडेट करें

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बच्चों की फीलिंग्स को वैलिडेट करना शुरू करें। जब माता-पिता बच्चों की फीलिंग्स को समझते हैं और उन्हें सच मानते हैं तब बच्चे को बहुत अच्छा महसूस होता है। इससे उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में शर्म नहीं आती। इससे उन्हें यह बात भी समझ आती है कि हम अपने सभी इमोशंस को व्यक्त कर सकते हैं। इससे उनके आसपास एक सुरक्षित माहौल बनता है। जब हम बच्चे के इमोशंस को व्यक्त करने से रोक देते हैं तो इससे बच्चा अपने उन्हें दबाना सीख लेता है जिसके कारण भी मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं बढ़ने लग जाती हैं।

मेंटल हेल्थ टैबू टॉपिक नहीं

आप बच्चे को यह भी समझाएं कि मेंटल हेल्थ एक टैबू टॉपिक नहीं है। वे इसके बारे में वह खुलकर बात कर सकते हैं। यह कोई बीमारी नहीं है। इसका इलाज संभव है। ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। आजकल के माहौल में यह समस्या आम हो गई है क्योंकि हम ज्यादातर डिजिटल सुविधाओं के साथ जुड़ गए हैं और आसपास के लोगों के साथ बातचीत कम हो गई है। इसके साथ ही हमने प्रकृति के बीच में भी जाना छोड़ दिया है।

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