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Photograph: (pinterest)
How women can keep themselves healthy even after 40: 40 की उम्र महिलाओं के जिंदगी का ऐसा मोड़ होता है जब उनमें कई शारीरिक और मानसिक परिवर्तन आते है। उनके शरीर, मन और कई हार्मोनल चेंजेस आते है। पीरियड्स अनियमित होने लगते हैं, मेटाबॉलिज़्म स्लो हो जाता है, हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं, और कई बार मेंटल स्ट्रेस और नींद की समस्याएँ भी होती हैं। इसके अलावा पर्सनल और प्रोफेशनल कई ज़िम्मेदारियाँ भी पीक पर होती हैं, जिससे महिलाएँ अक्सर खुद की देखभाल करना ही भूल जाती हैं। लेकिन यह उम्र थमने की नहीं, बल्कि अपने सेहत को लेकर और भी जागरूक होने की होती है। क्योंकि ये एक ऐसी उम्र है जो कई बीमारियों की शुरुआत हो सकती है। लेकिन आप शी लाइफस्टाइल, डाइट और प्रेशर बैलेंस कर 40 के बाद भी एनर्जेटिक, हेल्थी और खुश रह सकती है।
40 के बाद भी महिलाए कैसे खुद को स्वस्थ रखे
1. एक हेल्थी डाइट ले
आपके खाने का सीधा प्रभाव आपके सेहत पर पड़ता है। ऐसे में हेल्थी डाइट आपको सेहतमंद रखेगा। कैल्शियम और विटामिन D युक्त चीजें जैसे दूध, दही, पनीर, और अंडे खाए। ये आपकी हड्डियों को मजबूत रखेगा। साथ ही फाइबर से भरपूर चीजें जैसे फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज खाएं, प्रोटीन के लिए दाल, अंकुरित अनाज, और नट्स ज़रूरी ले। प्रोसेस्ड फूड, अधिक नमक और चीनी से बचें और जंक फूड अवॉयड करे।
2. रोज एक्सरसाइज करे
रोज कम से कम आधे घंटे थोड़ी हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें। जैसे योग, वॉकिंग, साइकलिंग या स्वीमिंग कर सकती है। ये आपको शारीरिक रूप से मजबूत बनाएगा।
3. मेंटल हेल्थ पर ध्यान दे
40 की उम्र एक ऐसी उम्र होती है जब आप पर कई प्रेशर होते है। ऐसे में तनाव बढ़ना आम बात है। ऐसे में आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने जरूरत है। इसके लिए आप मेडिटेशन करे, प्राणायाम और पर्याप्त नींद लेने से आप मेंटली स्ट्रांग होंगी। इसके अलावा दोस्तों, परिवार से बात करना आपके तनाव को कम करेगा।
4. रेगुलर हेल्थ चेकअप कराएं
ये उम्र ऐसी है जब कई बीमारियां आपके पीछे आ सकती है। ऐसे में थायरॉइड, ब्लड प्रेशर, शुगर, मैमोग्राफी और बोन डेंसिटी जैसे टेस्ट नियमित रूप से कराएं। इससे जल्दी ही बीमारियों का पता लगाया जा सकता है और सही समय पर आप उसका इलाज करवा पाएंगी।
5. हार्मोनल बदलाव को समझें और संभालें
40 के बाद महिलाओं में कई हार्मोनल चेंजेस आते है। एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल घटने लगता है, जिससे कई शारीरिक और मानसिक बदलाव हो सकते हैं। इसके लक्षणों में अनियमित पीरियड्स, मूड स्विंग्स, थकान, हॉट फ्लैशेस, त्वचा में सूखापन और वजन बढ़ना शामिल हैं। ऐसे बदलावों को सामान्य समझें और जरूरत अनुसार इसको संभाले।