Mental Health: नई माँ डिप्रेशन से कैसे जीते जंग?

वैश्विक स्तर पर विश्व स्वास्थ्य संघठन के अनुसार 10% महिलाए गर्भावस्था और 13% महिलाए जिन्होंने तुरंत शिशु को जन्म दिया होता हैं अवसाद के प्राथमिक स्तर से गुजर रही होती हैं। यह एक ऐसा विषय हैं जिसे भारत में महिलाओ के जीवन मे सदैव नकारा जाता हैं।

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Nainsee Bansal
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Symptoms of Depression

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माँ वैश्विक स्तर पर विश्व स्वास्थ्य संघठन के अनुसार 10% महिलाए गर्भावस्था और 13% महिलाए जिन्होंने तुरंत शिशु को जन्म दिया होता हैं। अवसाद के प्राथमिक स्तर से गुजर रही होती हैं। मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसा मुद्दा हैं जिसे भारत या कम आय वाले देशों में महिलाओ के जीवन मे सदैव नकारा जाता हैं। शोधों के अनुसार, भारत मे लगभग 25% से 35% गर्भवती महिला किसी न किसी रूप मे अवसाद या चिंता से ग्रस्त होती हैं। प्रसव के बाद भी लगभग 20% अधिक महिलाए डिप्रेशन का अनुभव करती हैं। ये आकंडा जितना जटिल हैं उतना ही वैश्विक और विशेषकर भारत मे महिलाओ के प्रति सामाजिक और आर्थिक उत्पीड़ना का बोध कर रहा हैं। 

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Mental Health: नई माँ डिप्रेशन से कैसे जीते जंग?

भारत जैसा देश जो स्वास्थ्य मे वैश्विक सहायता प्रधान करता हैं उस भारत मे महिलाओ की मानसिक स्वास्थ्य को नजर अंदाज करना कितना सही है?जागरूकता से चेतना मे बदलाव लाना सिर्फ हमारा नहीं पूरे मानवजाति का कार्य हैं। 
अवसाद के प्रमुख कारण गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल और मूड मे बदलाव, भावनात्मक असुरक्षा या अकेलापन, घरेलू हिंसा या सामाजिक दवाव, आर्थिक तनाव, खासकर ग्रामीण और सबसे प्रमुख कारण गर्भधारण के समय उनका पोषणस्तर पूरा न होना और उनके स्वास्थय सम्वन्धी समस्याओ को नजरअंदाज करना। 

यू तो लक्षण आम से देखते हैं पर मानव के जीवन पर गहरी छाप छोड़ देते हैं-
•    लगातार उदासी या थकान 
•    किसी चीज मे रुचि न लेना 
•    नींद या भूख मे बदलाव 
•    आत्मग्लानि या निराशा 
•    रोने की इच्छा या चिड़चिड़ापन 
•    आम काम करने मे परेशानी

ये लक्षण जितने आम से दिख रहे हैं उतने दूरगामी परिणाम छोड़ते है, महिला का हर आयाम से प्रभावित होना और उसका वास्तविकता से स्वयं को अलग पाना उसका शोषण ही दर्शाता है। लेकिन इससे जंग जीतना आसान हैं, और वर्तमान की सशक्त और दूरगामी दृष्टिकोण रखने वाली महिलाए ये जंग अवश्य जीत सकती हैं । 

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क्या प्रयास और तरीके अपनाए जाए?

समूह से जुड़ना 

समर्थन समूह या महिला मण्डल से जुड़ना जितना आसान हैं उतना ही लाभकारी ये महिलाओ को अकेलेपन और भावनात्मक असुरक्षा से मजबूती प्रधान करता हैं।

सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता से सहायता या मानसिक रोग विशेषज्ञ से सहायता 

अपनी सहायता करना और अपने लिए सोचना बुरा नहीं हैं। महिलाए अपनी स्थिति पर खुलकर बात करे और सहायता मांगे। साथ ही जरूरत पढ़ने पर मदत लेना आपकी सशक्तिकरण की तरफ कदम लेना है। 

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अपनी कला और कला के माध्यम से सुधार लाना 

भारत जैसे देश मे महिलाए बहुत ही सुंदर और मनमोहक कला की धनी होती है, और इनको समय देना, सीखना लाभदायक ही नहीं, आर्थिक और सामाजिक मजबूती भी प्रधान करता हैं। 

योग,ध्यान या सांस की तकनीक सीखना 

योग मन को शांत और संयमित करता है, भारत के सांस्कृतिक पक्ष को स्वीकार कर स्वयं को मजबूत करने का इससे अधिक सरल उपाय हो ही नहीं सकता हैं। और अंत मे जरूरत पढ़ने पर क्लिनिक से परामर्श, साइकोलॉजिस्ट की सहायता लेना बहुत ही अच्छा और सही उपाय हैं । 

कुछ मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन नम्बर हैं जो भारत मे आपके लिए उपलब्ध है। मन की बात परिवार, अपने जानने वालों को कहना आपकी मजबूती को दर्शाता हैं । तो स्वयं के लिए कदम अवश्य उठाए ये आपके शिशु और आप दोनों के बेहतर जीवन के लिए बहुत आवश्यक हैं।

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#माँ डिप्रेशन