Rural Women: ग्रामीण क्षेत्रों में mental health के लिए क्या कदम उठाएं जाएं?

भारत की 70% आबादी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जिनमे से आधी आबादी महिलाओं की होती हैं। मेंटल हेल्थ एक ऐसा विषय हैं जो आज भी पुरानी मान्यताओं से घिरा पड़ा हैं और जिसे किसी बुरी शक्ति का प्रकोप मान कर अक्सर नकारा जाता हैं।

author-image
Nainsee Bansal
New Update
Know The Importance Of Mobile Education For Rural Girls

file image

भारत की 70% आबादी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जिनमे से आधी आबादी महिलाओं की होती हैं। मेंटल हेल्थ एक ऐसा विषय हैं जो आज भी पुरानी मान्यताओं से घिरा पड़ा हैं और जिसे किसी बुरी शक्ति का प्रकोप मान कर अक्सर नकारा जाता हैं। जो मानसिक रूप से अस्वस्थ होता हैं उसे या तो घर में बंद कर दिया जाता हैं या किसी धार्मिक स्थल पर ले जाकर बुरी शक्ति का आगमन मान कर उसे शोषित किया जाता है। सेहत का ध्यान और बीमार व्यक्ति को सही इलाज होना उसका  एक मानवीय अधिकार हैं और पिछड़ी और पूर्वाग्रह से प्रभावित विचारधारा ग्रामीण क्षेत्रों मे निवास करने वाले लोगों पर काफी गहरा असर डालती हैं। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों मे मेंटल हेल्थ को लेकर क्या कदम उठाएं जाए इन पर बात करते हैं:

Advertisment

Rural Women: ग्रामीण क्षेत्रों में mental health के लिए क्या कदम उठाएं जाएं?

1.मेंटल हेल्थ के अभियानों से जागरूकता

ग्रामीण क्षेत्रों मे रह रहे लोगों को उनकी लोक भाषा में नुक्कड़ नाटक, पोस्टर और रेडियो कार्यक्रम द्वारा जागरूक करना। विशेषकर किशोरियों और महिलाओं को ध्यान मे रखते हुए संवाद करना और उन्हें हार्मोन के कारण मानसिक स्वास्थय पर पड़ने भले असर के लिए जागरूक करना और साथ ही बताना कि मानसिक स्वास्थय बीमारी नहीं एक सामान्य अनुभव हैं जिसकी खुल कर बात करना आवश्यक हैं।  

2. प्राथमिक स्वास्थय केंद्र मे मानसिक स्वास्थ्य सेल / सेवाएं

आशा और प्राथमिक स्वास्थय केंद्र के staff को मानसिक स्वास्थय की शिक्षा देना और ऐसी किसी भी घटना या बात पर तुरंत प्रतिक्रिया कर कर उसे हल करकर एक बेहतर जीवन की प्रेरणा देना। cell पर विशेषज्ञों का समय समय पर आवागमन और टेली सेवाएं उपलबद्ध करना। 

Advertisment

3. स्कूल में और पंचायत स्तर पर कार्यशालाएँ कराना

स्कूल मे युवाओं को उनकी मानसिक स्वास्थय संबंधी जानकारी देना और एक सेवा केंद्र रखना जहां बच्चे और अविभावक अपनी समस्या खुल कर बता सके और समाधान पा सकें। पंचायत में ऐसी किसी भी घटना जहां किसी पीड़ित सोच का किसी व्यक्ति विशेष को सामना करना पड़ें तो तुरंत प्रतिक्रिया करते हुए हल निकालना। 

4. community-based model और NGO

स्वयं सहायता केंद्र विकसित करना और महिलाओं और युवाओं की भागीदारी बढ़ाना जिससे मानसिक स्वास्थय पर गहरी चर्चा कीज सकें। स्थानीय परामर्शदाता का होना बहुत ही अच्छा विकल्प हैं जो सांस्कृतिक भावनाओं का ध्यान रखते हुए सही निर्णय लेने और सहायता उपलब्ध कराने में काफी लाभदायक होगा। 

5. मानसिक स्वास्थय को सामान्य बनाना

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चिंता और तनाव को आम बनाना और खुलकर संवाद को बढ़ावा देना जिससे समय रहते समस्या का हल और निवारण हो सके। मेंटल हेल्थ को टैबू नहीं खुलकर बात करना जरूरी हैं। 

Advertisment
mental health Rural Women