सदियों से, सुंदरता को एक संकीर्ण परिभाषा के माध्यम से देखा गया है, जिसमें अक्सर पतले, गोरे और युवा लोगों को आदर्श माना जाता है। इन मानकों ने समाज में बड़े पैमाने पर असुरक्षा और आत्म-संदेह पैदा किया है
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