Is it normal to have frequent mood swings: कभी-कभी हम बिना किसी खास वजह के खुश हो जाते हैं, और फिर कुछ ही देर में चुपचाप या चिड़चिड़े महसूस करने लगते हैं। ये मूड स्विंग्स सिर्फ एक दिन की बात नहीं होती कई लोगों को ये रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बार-बार महसूस होते हैं। खासकर आजकल की तेज़ ज़िंदगी, काम का दबाव, रिश्तों की उलझनें और सोशल मीडिया का असर हमारे दिमाग और मन पर सीधा असर डालते हैं।
हर किसी की ज़िंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं और मूड का बदलना एक हद तक सामान्य भी है। लेकिन जब ये मूड स्विंग्स बहुत बार होने लगें, या आपके काम, रिश्तों या नींद पर असर डालने लगें तो सवाल उठता है कि ये कितना "नॉर्मल" है? क्या ये सिर्फ थकान या स्ट्रेस का असर है, या कोई गहरी वजह है?
क्या बार-बार मूड स्विंग्स होना नॉर्मल है?
हर इंसान कभी न कभी मूड स्विंग्स का सामना करता है। कभी मन बहुत खुश रहता है, और कभी बिना किसी वजह के उदासी या गुस्सा आ जाता है। कई बार तो ऐसा होता है कि सुबह अच्छा लगता है, लेकिन शाम होते-होते चिड़चिड़ापन या थकावट महसूस होने लगती है। यह आज के दौर में आम बात बन गई है। हर घर में, हर उम्र के लोग इसका अनुभव करते हैं चाहे बच्चे हों, युवाओं की पढ़ाई का तनाव हो या बड़ों की ज़िम्मेदारियाँ।
ज़्यादातर परिवारों में देखा गया है कि जब कोई घर का सदस्य बार-बार मूड बदलता है, तो शुरुआत में लोग उसे बस मिज़ाज का बदलाव मानकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन जब ये रोज़ का हिस्सा बनने लगता है जैसे बात-बात पर चिड़चिड़ापन, छोटी बातों पर रोना या अचानक अकेले रहना पसंद करना तब घरवाले भी चिंता करने लगते हैं।
कई बार इसका कारण बहुत छोटा होता है जैसे नींद पूरी न होना, भूखे रह जाना, हार्मोनल बदलाव या ज़्यादा तनाव। बच्चों में ये पढ़ाई का दबाव हो सकता है, और बड़ों में काम या परिवार की जिम्मेदारियाँ। लेकिन जब ये मूड स्विंग्स लंबे समय तक बने रहें, तो यह इशारा हो सकता है कि व्यक्ति मानसिक रूप से थका हुआ है या उसे बात करने की ज़रूरत है।
ऐसी स्थिति में जरूरी होता है कि परिवार पहले इसे समझे और गंभीरता से ले। हर बार दवाइयों की ज़रूरत नहीं होती कभी-कभी खुलकर बात करना, थोड़ा आराम देना, या कुछ दिन की छुट्टी ही बहुत फर्क ला सकती है। जब घर का माहौल सपोर्टिव होता है, तो मूड स्विंग्स खुद-ब-खुद कम होने लगते हैं।
हर घर में पहले समस्या महसूस होती है, फिर धीरे-धीरे समझ और प्यार से उसका हल भी निकलता है। बस ज़रूरत होती है ध्यान देने की, और समय पर समझने की।