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हर महीने पीरियड्स से पहले हल्का चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग्स या थकान महसूस होना आम बात है। इसे प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) कहा जाता है जिससे अधिकतर महिलाएं गुजरती हैं लेकिन जब ये लक्षण बहुत ज्यादा गंभीर हो जाएं और आपकी रोज़मर्रा की जिंदगी पर असर डालने लगें तो यह सिर्फ PMS नहीं बल्कि प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) हो सकता है। यह एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।
PMDD vs. PMS: क्या आपके पीरियड्स सिर्फ मूड स्विंग्स नहीं बल्कि कुछ और भी हैं
PMS और PMDD में क्या अंतर है?
PMS और PMDD दोनों ही मासिक धर्म से पहले हार्मोनल बदलावों के कारण होते हैं लेकिन इनके प्रभाव अलग-अलग होते हैं। PMS हल्के शारीरिक और मानसिक लक्षणों के साथ आता है जबकि PMDD गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
PMS के लक्षण:
- हल्का चिड़चिड़ापन
- थकान
- हल्का सिरदर्द
- ब्रेस्ट में सूजन या दर्द
- हल्की बेचैनी या उदासी
PMDD के लक्षण:
- गंभीर डिप्रेशन और निराशा महसूस होना
- बेहद ज्यादा गुस्सा और चिड़चिड़ापन
- आत्महत्या के विचार आना
- अत्यधिक चिंता और पैनिक अटैक
- नींद की समस्या:बहुत ज्यादा या बहुत कम सोना
- थकावट, कमजोरी और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- रिश्तों पर गहरा असर:गुस्से और उदासी की वजह से झगड़े बढ़ना
PMDD को महिलाओं में एक हार्मोनल-संबंधित डिप्रेशन भी कहा जा सकता है क्योंकि यह भावनात्मक रूप से पूरी तरह से तोड़ सकता है।
क्यों होता है PMDD?
अभी तक इस बीमारी के पीछे का सही कारण पूरी तरह से नहीं जाना गया है लेकिन रिसर्च के मुताबिक यह एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के प्रति असामान्य संवेदनशीलता के कारण होता है। यह महिलाओं के दिमाग में सेरोटोनिन (Serotonin) के स्तर को भी प्रभावित करता है जो मूड को नियंत्रित करता है। यही कारण है कि PMDD में अवसाद (डिप्रेशन), गुस्सा और आत्महत्या के विचार भी आ सकते हैं।
PMDD से निपटने के तरीके:
अगर आपको लगता है कि PMS से ज्यादा गंभीर लक्षण हर महीने आपके साथ हो रहे हैं तो यह जरूरी है कि आप इसे हल्के में न लें और सही मेडिकल मदद लें। कुछ चीज़ें जो मदद कर सकती हैं:
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लाइफस्टाइल चेंजेस:
- कैफीन और प्रोसेस्ड फूड से बचें।
- नियमित एक्सरसाइज करें, खासकर योग और मेडिटेशन।
- हेल्दी डाइट लें, जिसमें प्रोटीन, ओमेगा-3 और विटामिन B6 शामिल हों।
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मेंटल हेल्थ सपोर्ट:
- थेरेपी या काउंसलिंग लें।
- जर्नलिंग करें:अपने मूड और लक्षणों को ट्रैक करें।
- परिवार और दोस्तों से सपोर्ट मांगें।
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मेडिकल ट्रीटमेंट:
- डॉक्टर से सलाह लेकर हार्मोनल थैरेपी या एंटीडिप्रेसेंट दवाएं ले सकते हैं।
- अगर बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही है तो हार्मोन बैलेंसिंग ट्रीटमेंट किया जा सकता है।
PMDD को हल्के में न लें!
PMS को लेकर अक्सर मज़ाक बनाया जाता है "ओह, उसके मूड स्विंग्स हो रहे हैं!" लेकिन PMDD मज़ाक नहीं बल्कि एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है। इसे समझना, पहचानना और सही इलाज लेना जरूरी है। अगर आपको हर महीने इतने गंभीर लक्षण होते हैं कि आपका काम, रिश्ते और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है तो इसे नजरअंदाज न करें।
PMDD कोई कमजोरी नहीं बल्कि शरीर की एक मेडिकल स्थिति है जिसे सही देखभाल और ट्रीटमेंट से कंट्रोल किया जा सकता है। महिलाओं को अपनी सेहत को प्राथमिकता देने की जरूरत है ताकि वे अपने शरीर और दिमाग को बेहतर तरीके से समझ सकें और एक स्वस्थ जीवन जी सकें।