The Impact Of Parenting On Our Mental Health: मेंटल हेल्थ संबंधी चिन्ताएं सिर्फ भारत में नहीं पूरी दुनिया में बढ़ रही हैं। अगर हम अपने देश की बात करें तो लोगों को मेंटल हेल्थ संबंधी समस्याएं होती हैं लेकिन बहुत कम ऐसे हैं जिनके पास इस बारे में ज्यादा अवेयरनेस होती है। ज्यादातर लोग तो इसके बारे में बात भी नहीं करते। आज हमारे पास काफी अवेयरनेस है। इसके साथ ही लोगों के पास ऐसे प्लेटफार्म भी हैं जहां पर वे अपनी बात को रख सकते हैं। इससे हमें इन चीजों के बारे में बात करने का एक मौका मिलता है।
Parenting का हमारी मेंटल हेल्थ के ऊपर क्या असर पड़ता है?
हमारी जर्नी की शुरुआत में पहले हमारे पास बहुत सारा सपोर्ट होता था जैसे हमारी फैमिली में बहुत सारे लोग होते थे। हमारे पास ऐसे लोग होते थे जिनके साथ हम बात कर सकते थे। हमें एक साथ का एहसास होता है कि हमारे लिए कोई है जो हमारा अपना है और हम उनके साथ बात कर सकते हैं। आज के समय में परिवार छोटे होते जा रहे हैं और हमारे पास फैमिली सपोर्ट कम होता जा रहा है। हम दूसरों के साथ कनेक्शन महसूस नहीं करते और अकेलापन बहुत बढ़ रहा है। अब के समय में इंडिविजुअल फैमिली सिस्टम हो गया है जहां पर सिर्फ फैमिली और बच्चे होते हैं। इसके साथ ही वन चाइल्ड सिंड्रोम भी आम है क्योंकि मां-बाप काम पर चले जाते हैं और बच्चा खुद को अकेला महसूस करता है। बहुत सारी चीजें बदल रही हैं। परिवार का ताना-बाना भी बदल रहा है जिसके कारण बहुत सारी मानसिक समस्याएं भी बढ़ रही हैं। आज के समय में दो समस्याएं बहुत ज्यादा बढ़ रही हैं- एंजायटी का ज्यादा बढ़ जाना और डिप्रेशन की समस्या का होना।
बच्चों की मेंटल हेल्थ में माता-पिता का रोल
जब बच्चे का जन्म होता है तो सबसे पहले उनकी मुलाकात अपने माता-पिता से होती है। इसके अलावा वे किसी को ज्यादा नहीं जानते होते। बच्चा सिर्फ अपने माता-पिता को ही जानता होता है और उसके आसपास जैसा माहौल होता है, उससे जुड़ जाता है। बच्चे अपने आसपास जो देखते और अनुभव करते हैं, उसे अवशोषित कर लेते हैं। इसलिए माता-पिता बच्चे की परवरिश में बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं।
अगर माता-पिता बच्चे की मेंटल हेल्थ को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो उन्हें अपने व्यवहार और पैटर्न के ऊपर ध्यान देने की जरूरत है। उन्हें अपने अस्वस्थ व्यवहार को चेक करके भुला देना चाहिए। इसके साथ ही स्वस्थ तरीकों को दुबारा सीखने की जरूरत है ताकि बच्चे उन्हें सचेत और असुचेत तरीके से सीख सकें क्योंकि बच्चे जो देखते हैं, वहीं सीखते हैं।
बहुत बार ऐसा होता है कि माता पिता बच्चो के सामने बुरा व्यवहार दिखाना नहीं चाहते हैं लेकिन जब वो किसी अन्य वजह से परेशान होते हैं और उसके कारण गुस्सा करते हैं तो बच्चे उसे भी ऑब्जर्व कर लेते हैं। इस स्थिति में गुस्सा आप बच्चे के ऊपर नहीं कर रहे हैं लेकिन तब भी बच्चा उस चीज को सीखता है और इसका असर उसके ऊपर पड़ता है। इस कारण माता पिता बच्चों की फाउंडेशन में बहुत अहमियत रखते हैं।