पित्तरसत्ता की शुरुआत हमारे घर में होती है लेकिन हमें इसका पता नहीं चलता है क्यूँकि हम ऐसे व्यवहार की नोर्मल मानते हैं और इसकी पहचान नहीं कर पाते है। हम सदियों से चल रहे इस व्यवहार को अमान्य करने को तैयार नहीं है-
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