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Photograph: (Freepik)
आज के समय में Children’s Day सिर्फ एक सेलिब्रेशन का दिन नहीं बल्कि उन्हें अपने बॉडी और फीलिंग्स पर अधिकार समझाने का भी दिन होना चाहिए। हम अक्सर बच्चों से कहते हैं कि “प्यार जताना अच्छी बात है”, “बड़ों को मना नहीं करते”, “हग कर लो, क्या बुरा है इसमें?” लेकिन क्या कभी किसी ने उस बच्चे से पूछा कि उसे ये सब अच्छा लगा या नहीं? हो सकता है कि ये सब किसी बच्चे की नज़रों में discomfort हो। बच्चे के चेहरे पर मुस्कान देखकर हम मान लेते हैं कि सब ठीक है, पर कई बार वो मुस्कान मजबूरी की होती है। ऐसी सिचुएशन में, ज़रूरी हो जाता है कि बच्चों को “कंसेंट एजुकेशन” दी जाए। जिससे बच्चा सीखता है कि उसकी बॉडी उसकी है, और “नो” कहना बदतमीज़ी नहीं, उसका अधिकार है।
Children’s Day 2025: बच्चों को सिखाए ‘Consent Education’ और हेल्थी बाउंडरीज़ की अहमियत
1. प्यार जताने से पहले Permission ज़रूरी है
अक्सर रिश्तेदार या दोस्त बच्चों से प्यार जताने के लिए बिना पूछे उन्हें पकड़ लेते हैं, hug या kiss कर लेते हैं। ऐसे में बच्चा समझ नहीं पाता कि ना कैसे कहें। हमें बच्चों को समझाना चाहिए कि उनकी बॉडी पर उनका हक है और किसी का भी बिना पूछे उन्हें टच करना गलत है। इससे बच्चे अपने बॉडी की रिस्पेक्ट करना और दूसरों को बाउंडरीज़ बताना सीखते है।
2. ‘ना’ कहना बदतमीज़ी नहीं
आमतौर पर हम बच्चों को “थैंक यू”, “सॉरी”, “प्लीज़” जैसे polite वर्ड्स तो सिखाते है लेकिन क्या हम उन्हें “नो” जैसे strong वर्ड्स कहना सिखाते हैं? कई बार जब घर के लोग भी बच्चे को प्यार से टच करते हैं और अगर बच्चा मना करता है, तो उसे बदतमीज़ कह दिया जाता है। यही parents की सबसे बड़ी गलती है। पेरेंट्स को बच्चे की “ना” को respect करना चाहिए और उसे समझाना चाहिए कि वो चाहे तो कभी भी किसी को भी “नो” कह सकते है। ना कहना गलत नहीं बल्कि ज़रूरी है। यही “ना” उन्हें बड़े होकर भी दूसरों के लिए अपनी boundaries सेट करने और bad टच से बचने की हिम्मत देता है।
3. कंसेंट केवल ‘सेक्स एजुकेशन’ का हिस्सा नहीं है
कई लोग सोचते हैं कि consent education की केवल बड़ों की ज़रूरत है। जबकि सच ये है कि ये बेसिक human education है। बच्चे जब से बोलना सीखते हैं, तभी से उन्हें ये सिखाना चाहिए कि कोई उन्हें बिना पूछे टच करे तो वो सख्ती से मना कर सकते है और बोल सकते हैं “Don’t touch me”, “I don’t like that”, या “प्लीज़ स्टॉप”। यही सेल्फ-अवेयरनेस उनके सुरक्षा और confident फ्यूचर की नींव बनती है।
4. Parents खुद बनें Consent के रोल मॉडल
बच्चे वही सीखते हैं जो वे देखते हैं। इसलिए कंसेंट की शुरुआत घर से की जा सकती है। अगर माता-पिता खुद बच्चों से पहले पूछें कि “क्या मैं तुम्हें गले लगा सकता हूँ?” या “क्या मैं तुम्हें किस कर सकती हूँ?” इससे बच्चे सीखेंगे कि प्यार जताना ज़रूरी है, लेकिन उनकी कम्फर्ट से ऊपर नहीं। ऐसा माहौल उन्हें अपनी boundaries पर proud फील कराता है।
5. कंसेंट कल्चर ही सेफ चाइल्डहुड बनाती है
जब समाज बच्चों की consent को नज़रअंदाज़ करता है, तो हम उनसे “ना” कहने की हिम्मत छीन लेते हैं। कई बार लोग इसी बात का फ़ायदा उठाते हैं और बच्चों की सीमाओं का उल्लंघन करते हैं। और कई बार ग़लत इरादे रखने वाले लोग इसी बात का फ़ायदा उठाकर बच्चों को molest करते हैं और बच्चे कुछ कह या कर नहीं पाते। लेकिन जब हम उनसे पूछते हैं, सुनते हैं, और उनकी “ना” मानते हैं तो हम सेफ्टी के साथ उन्हें ये भी सिखाते हैं कि उनकी आवाज़ मायने रखती है। बच्चों को सेफ और empower करना ही इस Children’s Day पर उनके लिए सबसे बड़ा गिफ्ट हो सकता है।
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