Self-love Or Selfish? सेल्फ-लव और सेल्फिश होने में कुछ ज़्यादा फर्क नहीं होता। सेल्फिशनेस में इंसान दूसरों को यूज़ करने, उनसे अपना मतलब निकलवाने या कुछ न कुछ लेने के बारे में सोचता है जबकि सेल्फ-लव सेल्फिश होने से बहुत ऊपर होता है।
क्या है फ़र्क़ सेल्फ-लव और सेल्फिशनेस में?
आजकल कुछ लोग सेल्फ-लव को सेल्फिश होना ही समझ लेते हैं, जबकि कुछ सेल्फिशनेस को ही सेल्फ-लव का नाम देते हैं। सेल्फ-लव तो सबसे ऊपर उठ कर खुद से प्यार करने को कहते हैं। दूसरों से भी अच्छे से पेश आना और खुद से भी। सेल्फ-लव एक पॉजिटिव टर्म है और सेल्फिशनेस नेगेटिव। आइए जानते हैं कि क्या फर्क है इन दोंनो में।
1. ये रखते हैं दूसरों को हैप्पी और वे अनहैप्पी
सेल्फ-लव खुद को और दूसरों को खुश रखने में विश्वास रखना है। दूसरी ओर, सेल्फिश होना खुद का मतलब निकाल दूसरों की परवाह न करना, सिर्फ अपनी ख़ुशी, ज़रूरत और ख्वाहिशों तक सीमित रहना। ये इंसान खुद को सबसे ऊपर रखते हैं और यह भी नहीं सोचते कि उनके किसी काम या एक्शन से दूसरे की ज़िंदगी कैसे इम्पैक्ट हो सकती है।
ये रखते हैं बैलेंस और वे खुद को रखते हैं ऊपर
सेल्फ-लव वाले इंसान अपने आस-पास के लोगों को भी साथ लेकर चलते हैं लेकिन सेल्फिश लोग सिर्फ खुद को ऊपर रखेंगे और अपने ही बारे में सोचेंगे। वे अपनी फैमिली या फ्रेंड्स को कभी साथ लेकर नहीं चलेंगे न ही उनके लिए कुछ करेंगे। जब बात उनके फायदे की होगी तो वे खुद का फायदा निकल साइड पर होने की सोच रखेंगे।
ये करते हैं खुद को एक्सेप्ट करना वो दूसरों को जज
सेल्फ-लव में लोग जैसे हों, खुद को एक्सेप्ट करते हैं। सेल्फिश लोग सिर्फ दूसरों की कमियाँ निकालने में लगे रहते हैं। वे लोग दूसरों को उनकी ज़िंदगी के डिसिज़ेन्स के लिए जज करते हैं। और तो और, दूसरे लोगों की बातें इधर उधर करेंगे, साथ ही साथ लोगों को नीचा दिखाने का मौका भी नहीं छोड़ते।
ये रखते हैं सबका ख्याल, वे उठाते हैं फायदा
सेल्फ-लव में इंसान अपने साथ सबका ख्याल रखता है जबकि सेल्फिश इंसान दूसरों का फायदा उठाने के बारे में ज़्यादा सोचता है। सेल्फिश लोग बहुत डिमांडिंग होते हैं। हर दोस्ती, रिश्तेदारी यहाँ तक कि फैमिली से भी अपना फायदा निकलवाने वाली सोच ही रखते हैं।
बहुत ही बारीक सी लाइन होती है, सेल्फ-लव करने और सेल्फिशनेस में। सेल्फ-लव सिर्फ खुद से प्यार करना ही नहीं सिखाता बल्कि दूसरों से प्यार करना भी सिखाता है। नेगेटिव लोगों और एनर्जी से दूर रहना होता है सेल्फ-लव, न कि पूरी दुनिया से नफरत करना। सेल्फिश इंसान खुद से ज़्यादा कुछ सोच ही नहीं सकता और यह भूल जाता है कि अकेले इंसान से ज़िंदगी नहीं चलती बल्कि सबके साथ चलने से वही ज़िंदगी खुशहाल हो जाती है।