Why Emotionally Vulnerability is Important: शुरू से ही हमें अपने इमोशंस को छुपा के रखना सिखाया जाता है। अगर आप दुःखी या फिर लो महसूस कर रहे हैं तब आपको रोने नहीं दिया जाता क्योंकि रोना कमजोरी की निशानी माना जाता है। हमारे समाज में सिर्फ खुशी के एक्सप्रेशन को ही व्यक्त करने की आजादी है और अगर हम दुख प्रकट करते हैं या तो हम कमजोर हैं या फिर हम नेगेटिव पर्सन करार दिए जाते हैं।
Emotionally Vulnerability: भावनाओं को लेकर वल्नरेबल होना क्यों जरुरी
आज मानसिक समस्याओं के बढ़ने का एक बहुत बढ़ा कारण भी अपनी भावनाओं को प्रकट न करना है। हम अपने अंदर जब इमोशंस को कंट्रोल करके रखते हैं तब स्ट्रेस, डिप्रेशन, फ्रस्ट्रेशन और गुस्सा पैदा होता है जिससे हमारी इमोशनल वेल बीइंग पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। आज हम जानेंगे कि इमोशंस के प्रति वल्नरेबल होना क्यों जरूरी है
वल्नरेबल होना क्या है?
James Madison University के अनुसार, वल्नरेबिलिटी को हमेशा कमजोरी के साथ जोड़ा जाता है जो कि गलत है।वह वल्नरेबल हमारे इमोशंस और फीलिंग्स का मूल है। अगर हम अपने आप को वुलनरेबल होने से बचाते हैं तो इससे हम खुद को इमोशंस को महसूस करने से रोक रहे हैं।
वल्नरेबल होना क्यों जरूरी है
रिश्ते स्ट्रांग होते हैं
किसी भी रिलेशनशिप में हम सामने वाले व्यक्ति को हमारी हैप्पी साइड तो बहुत जल्द दिखा देते हैं लेकिन हमारे अंदर जो दुख और पीड़ा होती है उसे हम जल्दी व्यक्त नहीं कर पाते। हम बहुत ज्यादा असहज और असुरक्षित महसूस करते हैं कि सामने वाला क्या सोचेगा? हम सिर्फ उस व्यक्ति के सामने ही अपने आप को वल्नरेबल करते हैं जिस पर हमें पूर्ण रूप से भरोसा होता है या फिर जिसके साथ बहुत ज्यादा सहज होते हैं। इस बात को कहने का मतलब यह है कि वल्नरेबल होने से रिलेशनशिप स्ट्रांग होता है।
खुली बातचीत होती है
जब हम रिश्तो में वुलनरेबल हो जाते हैं तब बातचीत में कोई भी रुकावट नहीं रह जाती। हम एकदम दूसरे के सामने सहज और सुरक्षित महसूस करते हैं। इसलिए अपने लोगों के साथ हमेशा ही वल्नरेबल रहना चाहिए इससे आप काफी रिलेक्स भी महसूस करेंगे और आपके अंदर बातों का बोझ भी नहीं रहेगा।