How To Deal With Mom Rage?: क्या आपने कभी 'मॉम रेज' के बारे में सुना है? अगर नहीं तो यह एक ऐसी स्थिति है जहां पर महिलाओं को बहुत ज्यादा गुस्सा आ जाता है जो कई बार स्थिति के हिसाब से अनुकूल भी नहीं होता है। कई बार आप छोटी बात पर भी इतना भड़क जाते हैं क्योंकि आपका अपने गुस्से पर कोई कंट्रोल नहीं रहता है। इससे आपकी डेली लाइफ भी प्रभावित होती है। महिलाओं के लिए इसे सहन करना बहुत मुश्किल हो जाता है। उन्हें समझ नहीं आता है कि ऐसे में वो क्या करें? ऐसा होना इसलिए संभव हो सकता है, जब महिलाओं के ऊपर परफेक्ट माँ बनने का बोझ डाला जाता है। आईए जानते हैं इसके साथ कैसे डील किया जा सकता है-
Mom Rage के साथ कैसे निपटे महिलाएं? जानें ये कुछ टिप्स
थेरेपी
अगर आप 'मॉम रेज' को डील नहीं कर पा रहे हैं तब आपको थेरेपी लेने में बिल्कुल भी देरी नहीं करनी चाहिए। थैरेपिस्ट आपके व्यवहार को समझकर आपके ऊपर काम करेंगे। इसमें आपकी गुस्से को मैनेज करना, खुद के इमोशंस को पहचाना और समाज के द्वारा आपके अंदर मां को लेकर गिल्ट और शर्म भरा हुआ है उसको भी कम करने में भी मदद मिलेगी। आप उनके साथ खुलकर बात कर सकते हैं कि आपको किन चीजों के कारण ऐसा महसूस हो रहा है। इससे आप छुटकारा पा सकते हैं।
खुद का ख्याल रखें
मां बनने के बाद महिलाओं में एक बड़ा शिफ्ट देखने को मिलता है कि वो अपनी केयर (Self-Care) करना ही छोड़ देती हैं। उनके लिए सब कुछ बच्चा ही हो जाता है।इसमें हमारे समाज का भी दोष है क्योंकि हम चाहते ही है कि मदर ऐसी ही हो जिनके लिए खुद की वेलबीइंग मैटर ही नहीं करती है। इसके कारण महिलाएं 'मॉम रेज' का शिकार हो जाती हैं। महिलाओं को अपनी नींद, खाने-पीने और मेंटल वेलबीइंग का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इसके साथ ही अगर समय-समय पर डॉक्टर से मदद लेने की जरूरत पड़ती है तो जो वो भी जरूर ले लेनी चाहिए।
पार्टनर के साथ जिम्मेदारियां बांटे
बहुत बार महिलाएं मदरहुड (Motherhood) का भार अकेले झेलती हैं हालांकि यह सिर्फ अकेले उनकी जिम्मेदारी नहीं है। इसलिए आपको शेयरिंग करना सीखना होगा। आप सब कुछ अपने ऊपर मत लें। अपने पार्टनर को समय-समय पर उनकी जिम्मेदारियां बताते रहें। इससे आपके ऊपर काम का बोझ कम होगा। बच्चे का बोझ सिर्फ अपने ऊपर लेन आपकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ दोनों के लिए बुरा हो सकता है। आपको अपने पार्टनर से मदद लेने में बिल्कुल भी शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए।
अपने ट्रिगर पहचाने
उन बातों को पहचान बहुत जरूरी है जिससे आप ट्रिगर होते हैं। अगर आप उन्हें पहचान लेंगे तो आपका 'मॉम रेज' कम हो सकता है। आपको उनकी पहचान के बाद उनसे बचने की कोशिश करने की चाहिए या फिर उन्हें अवॉइड करना चाहिए। बाहर की चीजों से ज्यादा, अपने अंदर की चीजों पर ध्यान देना चाहिए जो गुस्से को पैदा कर रही हैं। ट्रिगर्स कई तरीके के हो सकते हैं जैसे बच्चा रात को आपको सोने नहीं देता है, आपकी बात नहीं सुनता है, आप सब कुछ अकेले मैनेज कर रहे हैं, समाज का प्रेशर आपके ऊपर है और पार्टनर भी आपकी सुनता नहीं है। ऐसी कोई भी चीज आपको ट्रिगर कर सकती है।
खुद को व्यक्त करें
आप अपनी भावनाओं को जर्नल कर सकते हैं। इससे आपको खुद को समझने में मदद मिलेगी। आपको अपने विचारों की प्रक्रिया समझ आएगी कि आप किस तरीके से सोचते हैं और कैसे बातें आपको प्रभावित करती हैं। आप जैसे-जैसे बातों को लिखते जाएंगे, उतना ही आपके सामने उनका रहस्य खुलता जाएगा। इससे आपको अपने बारे में काफी बातें भी जानने को मिल सकती हैं। हमें बहुत सारी बातें परेशान कर देती हैं लेकिन हम उन्हें व्यक्त नहीं कर पाते हैं। जर्नलिंग से आप आसानी से बता सकते हैं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं और कौनसी बात आपको परेशान करती है।
मेडिटेशन करें
आपकोअपने अंदर धैर्य लाने के लिए मेडिटेशन करने की जरूरत है। इससे आपका मन और बॉडी दोनों रिलैक्स होंगे। आप खुद के साथ जुड़ते जाएंगे। आप गाइडेड मेडिटेशन भी कर सकते हैं। इसकी मदद से आप अपनी भावनाओं को कंट्रोल कर पाएंगे।आप एकदम से उत्तर देने नहीं देंगे। आपकी थिंकिंग में भी बदलाव आ सकता है। आप बातों के ऊपर रेस्पॉन्ड करना शुरू कर देंगे। आपकी सुनने की शक्ति भी बढ़ सकती है जिससे आप चीजों को ज्यादा अच्छे तरीके से समझ सकते हैं।