The Myth of the Perfect Mom: मां बनने के बाद महिलाएं परफेक्ट बनना शुरू कर देती हैं। हमें लगता है कि एक मां के रूप में उन्हें परफेक्ट होना ही पड़ेगा क्योंकि समाज की अपेक्षाएं उनसे बहुत होती हैं। एक मां से अगर कोई गलती हो जाती है तो उनके मां होने पर सवाल उठने लग जाते हैं। इसलिए महिलाएं गलती करने से बहुत डरती हैं। उन्हें लगता है कि गलती करना एक पाप है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। महिलाएं भी इंसान हैं और गलतियां इंसानों से ही होती हैं। लेकिन हमारे समाज में ऐसा नहीं है। समझा जाता है कि माँ से गलती नहीं हो सकती है और उसके लिए बच्चा हमेशा ही प्राथमिकता होना चाहिए। चलिए जानते हैं कि कैसे मदर परफेक्ट मॉम बनने के प्रेशर को दूर कर सकती हैं?
क्यों महिलाओं को Perfect Mom बनने का प्रेशर नहीं लेना चाहिए?
इस मिथ को तोड़ें
सबसे पहले मदर को इस बात को समझना होगा कि परफेक्ट मॉम जैसा कुछ भी नहीं होता है। हर मदर अपने आप में परफेक्ट ही होती है। आप अपने स्ट्रगल्स बेहतर जानते हैं तो इसलिए दूसरे आपको जज नहीं कर सकते हैं। अगर आप किसी चीज में अपना 100% नहीं दे पाते तो इसमें कोई गलत बात नहीं है। अच्छी मदर होना कोई दौड़ नहीं है। यह एक जर्नी है। हर दिन आप कुछ नया सीखते हैं। बच्चे के साथ डील करना एक अलग अनुभव होता है तो इसलिए परफेक्ट बनने जैसी कोई बात है ही नहीं।
अच्छी मॉम और परफेक्ट मॉम में फर्क
बहुत सारी महिलाओं को लगता है कि अच्छी मॉम का मतलब परफेक्ट मॉम है लेकिन ऐसा नहीं है। अच्छी मॉम आप तब बनती हैं जब आपके अंदर कुछ ऐसी गुण होते हैं जैसे आप बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करते हैं। आप बच्चों के साथ-साथ अपनी वेल्बीइंग का भी ध्यान रखें। आप बच्चों के ऊपर प्रेशर नहीं डालते। आप उनकी प्राइवेसी की रिस्पेक्ट करते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है इन चीजों के बावजूद आपसे कोई गलती नहीं होनी चाहिए। परफेक्ट मॉम एक टॉक्सिक बात है जिसके कारण महिलाएं स्ट्रेसफुल रहने लगती हैं।
समाजिक अपेक्षाएं
एक मां को लेकर समाज की अपेक्षाएं बहुत ज्यादा कठिन है कि जैसे माँ को अपनी वेल्बीइंग का ध्यान नहीं रखना है और हर किसी स्थिति में बच्चों को ही प्राथमिकता देनी है। माँ को खुद कंप्रोमाइज करके अपने बच्चों को खुश रखना है। बच्चों की परवरिश माँ की जिम्मेदारी है। बच्चा होने के बाद माँ को जॉब नहीं करनी चाहिए। बच्चा होने के बाद माँ को अपनी जिंदगी सिर्फ बच्चों को डेडिकेट कर देनी चाहिए, लेकिन असलियत यह नहीं है। एक मां की भी अपनी लाइफ होती है और आपको समाज के स्टैंडर्ड को दोबारा डिफाइन करने की जरूरत है।
मॉम बर्नआउट
आज के समय में मॉम बर्नआउट बहुत आम समस्या है क्योंकि मदर अपना ध्यान रख नहीं पाती हैं। उनके ऊपर इतना बोझ होता है कि जिस कारण उन्हें खुद के लिए समय नहीं मिलता। आज की महिलाएं ज्यादातर वर्किंग हैं जिस कारण मदरहुड आसान नहीं। उनके ऊपर घर के साथ-साथ जॉब की जिम्मेदारियां भी होती है। यह हर महिला की चॉइस है कि किसी को उसे यह बताने की जरूरत नहीं है की मां बनने के बाद आपको जॉब करनी चाहिए जा नहीं। इसलिए बर्नआउट से बचने के लिए आप सेल्फ केयर पर जरूर ध्यान दें और जब भी जरूरत महसूस हो तो आपको ब्रेक जरूर लेनी चाहिए।