Women Health: महिलाओं में गर्भपात की वजह से होने वाले नुक्सान

महिलाओं का गर्भपात उन पर गहरा असर डाल सकता है। महिलाओ में इसका शारीरिक और मानसिक प्रभाव देखने को मिल सकता है। इसलिए, गर्भपात के कारणों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण होता है।

author-image
Kavya Gupta
New Update
Women Health*FREEPIK)

(Image Source: freepik)

How Abortion Causes Physical And Mental Illness: खराब लाइफस्टाइल जैसे अस्वस्थ आहार, कम व्यायाम, धूम्रपान, अत्यधिक तनाव, और नशे की लत के कारण गर्भावस्था में समस्याएं हो सकती हैं जो अबॉर्शन की आवश्यकता पैदा कर सकती हैं। इसके अलावा, नियमित गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल या उपयोग के तरीके की गलती भी गर्भावस्था के अनचाहे रुकावट और अबॉर्शन का कारण बन सकती है। इसलिए, अच्छा लाइफस्टाइल अपनाना और नियमित चेकअप करवाना महत्वपूर्ण होता है ताकि इस तरह की समस्याओं को पहचाना और समस्याओं को सुलझाने के उपायों को ढूंढने में मदद मिल सके।

महिलाओं में गर्भपात की वजह से होने वाले नुक्सान 

1. ज्यादा समय तक ब्लीडिंग

Advertisment

अबॉर्शन के बाद कुछ महिलाओं को ज्यादा समय तक ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है। इसे प्रोलॉंग्ड ब्लीडिंग कहा जाता है। यह सामान्यत: आधे से एक महीने तक चल सकती है। प्रोलॉंग्ड ब्लीडिंग की कई वजहें हो सकती हैं, जैसे गर्भाशय में कुछ अंशों का बचा होना या हॉर्मोनल असंतुलन। 

2. ज्यादा दर्द

अबॉर्शन के बाद ज्यादा  दर्द होना संभव है। यह आमतौर पर गर्भपात के बाद कुछ दिनों तक बना रह सकता है और इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे गर्भाशय में बची हुई सामग्री का निकलना, शरीर में हार्मोनल परिवर्तन, गलत गर्भपात प्रक्रिया, दवाओं के सेवन से होने वाले साइड इफेक्ट्स।

3. अधिक कमज़ोरी या थकान

अबॉर्शन के बाद थकान और कमजोरी का होना संभव है। गर्भपात के बाद, महिलाओं का शारीरिक और मानसिक स्थिति में बदलाव हो सकता है जो थकान और कमजोरी की अनुभूति को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, अबॉर्शन के दौरान और बाद में हार्मोनल परिवर्तन भी हो सकते हैं जो थकान और कमजोरी का कारण बन सकते हैं। 

4. हार्मोनल डिसबैलेंस

Advertisment

गर्भपात के दौरान और उसके बाद, हार्मोनल स्तर में बदलाव हो सकता है, जो आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इसमें शरीर में प्रोगेस्टेरोन और एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन के स्तर की बदलाव शामिल हो सकती हैं। यह हार्मोनल बदलाव थकान, कमजोरी, भावनात्मक परिवर्तन, मासिक धर्म में अनियमितता और अन्य शारीरिक कारणों की वजह से हो सकते हैं।

5. इंफेक्शन खतरा

 गर्भपात के दौरान और उसके बाद, गर्भाशय के अंदर ख़राब सामग्री या गंदे टिश्यू का होना संभव है, जो संक्रमण का कारण बन सकता है। इसके अलावा, अबॉर्शन प्रक्रिया के दौरान या बाद में होने वाली किसी चोट या गर्भाशय में कोई दोष भी संक्रमण का कारण बन सकता है। इसलिए, गर्भपात के बाद, संक्रमण के लक्षणों का ध्यान देना महत्वपूर्ण है, जैसे कि अत्यधिक ब्लीडिंग, गर्मी, तेज दर्द, या बदबू। 

6. भूख पर असर 

अबॉर्शन के दौरान और उसके बाद, महिलाओं के शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन के कारण उनकी भूख में बदलाव हो सकता है। कई महिलाएं अबॉर्शन के बाद भूख के वृद्धि का अनुभव करती हैं, जबकि कुछ महिलाओं की भूख काफी काम हो सकती है। हालांकि,यह अवस्था  बेहतर हो सकता है, अगर ऐसी में सही आहार, पर्याप्त पानी, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाई जाएँ 

Advertisment

इसके अलावा गर्भपात के बाद मानसिक रूप से भी महिलाए परेशान रह सकती है। मानसिक प्रभाव कई तरह के हो सकते हैं, जैसे कि दुख, चिंता, डिप्रेशन आदि। यह भावनाएं महिलाओ की स्थिति, सपोर्ट की कमी, और परिवार या समाज की समझदारी के साथ जुड़ी होती हैं। गर्भपात के बाद मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही ज़रूरी है जितना शारीरिक ध्यान।

Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

Women health abortion Physical mental illness महिलाओं गर्भपात